25 अप्रैल 2022
आकर चारि लच्छ चौरासी। जोनि भ्रमत यह जिव अबिनासी॥कबहुँक करि करुना नर देही। देत ईस बिनु हेतु सनेही॥भावार्थ:- यह अविनाशी जीव अण्डज, स्वेदज, जरायुज और उद्भिज्ज चार खानों और चौरासी लाख योनियों में चक्कर लग