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सर्दी की सुबह

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सर्दी की सुबह में एक खास ही बात होती है। ठंडी हवा की हल्की सी ठंढ़क, चाय की गर्मी में लिपटी हुई, और धुंध में लिपटी हुई दुनिया एक नयापन महसूस कराती है। सूरज की किरणें धीरे-धीरे धरती को अपनी गर्मी देने लगती हैं, लेकिन ठंडक का एहसास अभी भी बना रहता है। पक्षियों की चहचहाहट और दूर से आते हुए ट्रैफिक की आवाज, ये सब मिलकर सर्दी की सुबह को और भी मोहक बना देते हैं।


चारों हवेली के विशाल दरवाजे तक पहुंचे। हवेली पहले से भी अधिक डरावनी लग रही थी। टूटे हुए झरोखों और जंग खाए दरवाजों से ठंडी हवा की सरसराहट उनके दिलों में डर और बेचैनी भर रही थी।"यह वही जगह है," अरमान ने

जैसे ही कमरे की ठंडी हवा और अजीब सी फुसफुसाहट तेज़ होने लगी, रुद्र ने डायरी को अपने हाथों में कसकर पकड़ लिया। उसने कहा,"हमें यहां से निकलना होगा। अगर ज्यादा देर रुके, तो कोई नहीं बचेगा।"रिया कांपते हु

रुद्र ने डायरी को हाथ में कसकर पकड़ा और दीवार पर लिखे खून के संदेश को घूरते हुए कहा, "हमें इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। ये शुरुआत है।"इतने में अचानक, फ्लैट की खिड़कियां तेज आवाज के साथ खुल गईं। ठंडी

पात्र पात्र  राजीव पात्र दिव्या पात्र जया पात्र मुकेश कहानी कि शुरुआत होती है दिल्ली के रहने वाले राजीव के घर से जहां वो अपनी अस्त व्यस्त जिंदगी में अपने परिवार को और खुद

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