कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का भविष्य अत्यंत उज्ज्वल और संभावनाओं से भरा हुआ है। यह तकनीक विभिन्न क्षेत्रों जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, परिवहन, और उद्योग में क्रांतिकारी बदलाव ला रही है। आगामी वर्षों में, AI का विकास न केवल अधिक स्वायत्त और प्रभावी प्रणालियाँ बनाने में मदद करेगा, बल्कि मानव जीवन को सरल और सुरक्षित बनाने में भी योगदान देगा। हालाँकि, इसके साथ नैतिक चुनौतियाँ, गोपनीयता से जुड़े मुद्दे और रोजगार पर संभावित प्रभाव जैसी चिंताएँ भी उभरेंगी, जिन्हें सुलझाने के लिए समाज, सरकार, और उद्योगों को मिलकर काम करना होगा। यदि सही दिशा में उपयोग किया जाए, तो AI मानवता के लिए अभूतपूर्व प्रगति का द्वार खोल सकता है।
अमावस्या की वह रात हवेली के इतिहास की सबसे काली रात बनने वाली थी। चारों ओर एक अजीब-सी खामोशी थी, लेकिन हवेली के भीतर कुछ और ही हलचल चल रही थी। सूरजभान ने चंद्रिका की आत्मा को मुक्त करने के लिए यज्ञ की
अगले दिन, सूरज की पहली किरण के साथ, सूरजभान ने उस कमरे को ताला लगवाया और गांव में यह खबर फैला दी कि चंद्रिका और उसका बेटा आग में गलती से जलकर मर गए। लोगों ने अफसोस जताया, लेकिन सूरजभान का चेहरा देखकर
समय धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था, और चंद्रिका बेसब्री से अमावस्या की रात का इंतजार कर रही थी। उसने कई दिनों से खुद को इस रात के लिए तैयार कर रखा था। उसकी आँखों में एक अनोखी चमक थी—एक अजीब सी बेचैनी, जिसमे
चंद्रिका और सूरजभान के जीवन में बीते नौ महीने किसी भयावह स्वप्न से कम नहीं थे। इक्कीस बलियों के इस काले सिलसिले में 20 मासूम बच्चों का जीवन समाप्त हो चुका था। चंद्रिका का गर्भवती होना इस दुष्चक्र का अ
सूरजभान ने चंद्रिका से बेहद प्रेम किया था। चंद्रिका का आकर्षण, उसकी तीव्र इच्छाशक्ति, और रहस्यमय व्यक्तित्व सूरजभान को उसकी हर बात मानने के लिए बाध्य कर देता था। लेकिन जब चंद्रिका ने बलि के लिए बच्चों
शाम के समय सूरजभान का मन उस बच्चे के कटा हुआ हाथ देखकर बहुत परेशान था। वह अभी भी उस दृश्य को नहीं भूल पा रहा था, और उसका मन एक अजीब सी घबराहट से भर गया था। लेकिन चंद्रिका, जो अब तक शांत और स्थिर दिख र
कुछ और दिन बीत चुके थे। चंद्रिका का हृदय अब और अधिक निर्मम और ठंडा हो चुका था। अपनी पहली बलि के बाद उसका आत्मविश्वास बढ़ गया था, और वह अब दूसरी बलि के लिए अपना शिकार ढूंढ रही थी।चंद्रिका अब अपने मकसद
कुछ ही दिनों बाद, चंद्रिका ने आस-पास के गाँवों में संदेश भिजवाया कि हवेली में एक भव्य भोज का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन गरीब और जरूरतमंद लोगों के लिए था, ताकि सभी को भोजन और सहायता मिल सके। सूरजभा
अगले दिन सुबह का सूरज धीरे-धीरे हवेली की खिड़कियों से झाँकने लगा। लेकिन चंद्रिका के भीतर एक अलग ही हलचल थी। उसका मन अब सिर्फ और सिर्फ उस कमरे पर टिका हुआ था, जहाँ उसने पिछली रात किताब रखी थी। उसकी आँख
हालांकि, सूरजभान के साथ उसने वादा किया था कि वह उस कमरे का दरवाजा कभी नहीं खोलेगी, फिर भी उसका मन उस प्रतिबंध से बाहर निकलने के लिए व्याकुल हो जाता। वह जानना चाहती थी कि वह कमरा क्या राज़ छिपाए हुए है
सूरजभान और चंद्रिका की शादीहवेली की भव्यता आज किसी त्योहार से कम नहीं थी। हर कोने में दीयों की रोशनी झिलमिलाती थी, और हवेली के दरवाजों के बाहर रंगीन फूलों से सजावट की गई थी। हवेली का माहौल जैसे एक खास
यह कहानी आज से दो सौ साल पहले की जब दिल्ली दौलताबाद के नाम से जाना जाता था, तब दौलताबाद एक गाँव था, वह गांव जो कभी व्यापार और समृद्धि का प्रतीक था, अपनी धूमधाम में था। यह गाँव अपनी हरियाली, शानदार हवे