बिना रंग की दुनिया एक ऐसी जगह होगी जहाँ हर चीज़ केवल काले, सफेद और ग्रे शेड्स में नजर आएगी, जिससे जीवन का हर पहलू फीका और एकरस लगेगा। प्राकृतिक सौंदर्य, जैसे हरे पेड़, नीला आसमान, और रंग-बिरंगे फूल, अपनी चमक खो देंगे, और कला, संस्कृति, और भावनात्मक अभिव्यक्ति सीमित हो जाएगी। मनोवैज्ञानिक रूप से, रंगों का अभाव प्रेरणा, उत्साह और शांति जैसी भावनाओं पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। हालांकि, यह दुनिया समानता का प्रतीक हो सकती है, जहाँ रंग के आधार पर भेदभाव की संभावना खत्म हो जाए, लेकिन इसके साथ जीवन की विविधता और खूबसूरती भी खो जाएगी।
बेरंग सी दुनिया में क्या है जज्बात,जैसे तुमने की थी इश्क की शुरुआत।कभी करीब दिल के आकर देखो,समझ लोंगे तुम मेरे दिल के हालात।जो देखें थे हमने सपने साथ साथ,आओ कभी करेंगे फिर से वहीं बात।दूर से ही मुझे ए