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मैं सिपाही

11 जनवरी 2016

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किसी गजरे की खुशबु को महकता छोड़ के आया हूँ...

मेरी नन्ही सी चिड़िया को चहकता छोड़के आया हूँ..

मुझे छाती से अपनी तू लगा लेना ऐ भारत माँ,....

में अपनी माँ की बाहों को तरसता छोड़के आया हूँ.....

उन आँखों की दो बूँदों से सातों समंदर हारे होंगे ...

जब मेंहदी वाले हाथों ने मंगलसूत्र उतारे होंगे ...


संपा. संतोष आडे

संतोष की अन्य किताबें

मदन पाण्डेय 'शिखर'

मदन पाण्डेय 'शिखर'

सुन्दर पंक्तियाँ...

11 जनवरी 2016

ओम प्रकाश शर्मा

ओम प्रकाश शर्मा

देशप्रेम के रंगों से सजी, अति सुन्दर कविता !

11 जनवरी 2016

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रचनाएँ
shodhprtibha
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हाँ मै साहित्य पर होने वाली समीक्षा का गठन करने का एक छोटासा प्रयास कर रहा हुँ
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सूरज पर प्रतिबंध अनेकों

2 जनवरी 2016
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सूरज पर प्रतिबंध अनेकोंऔर भरोसा रातों परनयन हमारे सीख रहे हैंहॅसना झूठी बातों परहमने जीवन की चौसर परदॉव लगाए ऑसू वालेकुछ लोगों ने हर पल, हर दिनमौके देखे बदले पालेहम शंकित सच पा अपने,वे मुग्‍ध स्‍वयं की घातों परनयन हमारे सीख रहे हैंहॅसना झूठी बातों परहम तक आकर लौट गई हैंमौसम की बेशर्म क़पाऐंहमने सेहर

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ज़िंदगी बहुत कम बची है दोस्त !

7 जनवरी 2016
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ज़िंदगी बहुत कम बची है दोस्त !मगर जान लो ये बात ..मैं ज़िंदगी के पीछे दौड़ता नहीं मौत से घबराता नहीं !ज़िंदगी को ख़ूबसूरत बनाने के लिए बेशुमार सपने भी देखता हूँ उन सपनों के लिए मेहनत करता हूँ !मगर वो सपने मेरे है, मेहनत भी मेरी किसी पर कोई आरोप या ईर्ष्या नहीं जो साथ आते है, उन्हें स्वीकारता हूँ !कुछ भी

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मोहब्बत

10 जनवरी 2016
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फना तेरे मोहब्बत पे मैं भी होता,नजर भर प्यार से गर देख तू लेती..ईश्क की आग में जल भी मैं जाता,मुस्कुरा कर थोड़ा जो निहार तू लेती..अश्कों के सागर भी बहा मैं देता,मांग कर दिल गर जो तोड़ तू देती..जुदाई का ये गम भी उठा मैं लेता,जला अलख प्यार का गर दूर तू होती..मनाने का हुनर भी सीख मैं लेता,इक प्यार से ग

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मैं सिपाही

11 जनवरी 2016
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किसी गजरे की खुशबु को महकता छोड़ के आया हूँ...मेरी नन्ही सी चिड़िया को चहकता छोड़के आया हूँ..मुझे छाती से अपनी तू लगा लेना ऐ भारत माँ,....में अपनी माँ की बाहों को तरसता छोड़के आया हूँ.....उन आँखों की दो बूँदों से सातों समंदर हारे होंगे ...जब मेंहदी वाले हाथों ने मंगलसूत्र उतारे होंगे ...संपा. संतोष

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साजन! होली आई है!

29 फरवरी 2016
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साजन! होली आई है!सुख से हँसनाजी भर गानामस्ती से मन को बहलानापर्व हो गया आज-साजन ! होली आई है!हँसाने हमको आई है!साजन! होली आई है!इसी बहानेक्षण भर गा लेंदुखमय जीवन को बहला लेंले मस्ती की आग-साजन! होली आई है!जलाने जग को आई है!साजन! होली आई है!रंग उड़ातीमधु बरसातीकण-कण में यौवन बिखराती,ऋतु वसंत का राज-ल

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