किसी गजरे की खुशबु को महकता छोड़ के आया हूँ...
मेरी नन्ही सी चिड़िया को चहकता छोड़के आया हूँ..
मुझे छाती से अपनी तू लगा लेना ऐ भारत माँ,....
में अपनी माँ की बाहों को तरसता छोड़के आया हूँ.....
उन आँखों की दो बूँदों से सातों समंदर हारे होंगे ...
जब मेंहदी वाले हाथों ने मंगलसूत्र उतारे होंगे ...
संपा. संतोष आडे