इन आँखो के दरिया मैं डूबकर बुझा ले तू मन की प्यास, इस दरिया को कब से था ओ मांझी तेरा इंतज़ार.. आजा मेरे आग़ोश मैं किस बात का तुझे है डर बता... दुनिया तो है मतलब की हरदम ढूंढेगी सिर्फ़ तेरी खता... ना बाहरी दुनिया से डर के तू जीना छोड़ रे। लगा प्रीत की डुबकी..कहते दरिया के छोर रे...!!