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ख्वाबों में तुम हो ख्यालों में तुम हो, मेरे दिन में तुम हो रातों में तुम हो, सपना तुम हो हकीकत भी तुम हो।। कहते है कि ख़ुदा हर जगह मौजूद है.. तो क्या मैं कहूँ कि मेरे ख़ुदा भी तुम हो..!!
तुमसे मिलने को हरदम ही ये जी ललचाता है तेरा याद आना आँखों को अक्सर ही भीगता है तेरे साथ होने का एहसास ही मुझे ख़ुशी दिलाता है तुमसे दूर रहना मुझे.. बड़ा सताता है... तेरी चाहत के सपने ये दिल रोज़ सजाता है अब तुम ही बूझो ये रिश्ता क्या कहलाता है...!!!!
इन आँखो के दरिया मैं डूबकर बुझा ले तू मन की प्यास, इस दरिया को कब से था ओ मांझी तेरा इंतज़ार.. आजा मेरे आग़ोश मैं किस बात का तुझे है डर बता... दुनिया तो है मतलब की हरदम ढूंढेगी सिर्फ़ तेरी खता... ना बाहरी दुनिया से डर के तू जीना छोड़ रे। लगा प्रीत की डुबकी..कहते दरिया के छोर रे.
तेरी यादें उन सूखे पत्तों की तरह है.....जिन्हें थामे रखूं तो चूर चूर हो जाने का डर है..और छोड़ दूं तो कहीं खो जाने का..!!!
उन घने पेड़ों के साए में बैठ कर तुम्हारे साथ बुना हर सपना.... सूखे पत्तों की तरह एक एक कर बिखरता चला गया....!!
तेरे साथ बिताई पतझड़ की वो शामें .....आज भी मेरे गालों पर बरसात ले आती है..!!