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मनकर्णिका

भालचंद्र नरेंद्र देव

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भाग 1 देखते ही देखते रात के 10:45 बजे का वक्त था.संकेत घर से बाहर निकला था,क्योंकि घर का दूध खराब हो गया था, और रात को द्रिगा को मतलब उसके बेटी को पीने के लिए दूध नहीं था. अभी अभी तो वह ढाई साल की हुई थी,उसका घर रेलवे स्टेशन से थोड़ा सा दूर था इसलिए वह चलते-चलते निकल गया पूरा रास्ता सुनसान था. सिर्फ कहीं जगह दारू और खाने की दुकाने अभी भी खुली थी.वह अपने हमेशा के दुकानदार के पास पहुंच गया और फिर उसे पता चला कि वहां पर बोतल वाला दूध खत्म हो चुका था. सिर्फ गाय के तबेले का दूध ही बाकी था.लेकिन वह प्रीति को उसके वाइफ और द्रिगा को नहीं अच्छा लगता था इसलिए वह अकेला ही आगे निकल गया. ढूंढते ढूंढते वह बाजार से आगे निकल आया. बीच में बहुत कम लोग कभी कभी रास्ते में दिख रहे थे. बीच-बीच में रोड में बिजली के खंबे नहीं चल रहे थे, शायद खंभों की बिजली चली गई होगी. वह मोबाइल लाइट के प्रकाशसे रास्ते में चल रहा था.इतने में उसको किसी के रोने की आवाज सुनाई दी. वह आवाज की तरफ आगे बढ़ा.आगे बढ़ते ही कुछ लम्हे हुए होंगे.उसे एक लड़की दिखाई दी,जो रो रही थी.उस लड़की ने सफेद रंग की एक जरी वाली साड़ी पहनी हुई थी. उसके पास जाना है, या नहीं जाना है.यह वोह सोच रहा था. कुछ अलग बात नहीं होगी ना. खाली फोकट अंग पर कुछ आ जाएगा, कही भूतों प्रेतों का कुछ निकला तो हाथ से जान चली जाएगी.उसने दिल पर पत्थर रखकर उस लड़की से पूछा मैडम आप कौन हो यहां इस निर्जन जगह पर अकेले क्यों रो रही हो. वह आवाज सुनते ही लड़की शांत हो गई और पीछे मुड़ के संकेत के चेहरे पर देखने लगी मोबाइल की लाइट में भी वह बहुत सुंदर दिख रही थी. उसका पूरा बदन सिनेमा की हीरोइन की तरह एकदम कटीला था, आंखों और गले पर आंसू थे मगर उसकी आंखें हिरन की तरह नशीली थी. उसमे बड़ी मेहनत से काजल लगाया हुआ था.पलकों के ऊपर मोरपंखी कलर दिख रहा था. उसकी नाक एकदम कटीली थी.फोटो के ऊपर गुलाबी रंग की लिपस्टिक लगाई थी. सफेद जरी के साड़ी के ऊपर उसने एक वेलवेट का स्लीवलेस और पूरी पीठ दिखाने वाला ब्लाउज पहना हुआ था. संकेत के आवाज से वह शांत हो गई और धीरे-धीरे वह उसके करीब बढ़ने लगी संकेत 2 मिनट तक उसे देखताही रह गया. इतनी सुंदर स्त्री वह पहली बार इतनी नजदीकी से देख रहा था. वह एकदम उसके करीब आकर खड़ी रह गई और उतने में बिजली कड़कने की आवाज आई और वह लड़की डर के मारे संकेत से लिपट गई.संकेत जैसे ही भ्रमीत हो गया था.उसे उस आहोश से बाहर निकलना था.पर उसका शरीर  उसका साथ नहीं दे रहा था. एक बर्फ जैसा स्पर्श उसके पूरे बदन में चिपक गया  था. उस लडकी का पूरा शरीर एक भोगी की तरह उससे लिपटे बैठा था. एक पतंगे की तरह संकेत उसकी आहोश में  अटक गया था. थोड़े समय बाद उसे अपनी पत्नी और बेटी की याद आई. और उसने अपनी पूरी शक्ति लगाकर उसे अपने से अलग किया.यह देखते हैं उस लड़की के चेहरे पर गुस्सा और आश्चर्य दिखाई दिया. थोड़े गुस्से से उसने उसे अपना नाम बताया वह थी  मनकर्णिका. मैं कब से मेरे जीवन साथी की राह देख रही थी परंतु आज तक जो भी आया सबके मन में मेरे बारे में वासना ही थी मेरे आलिंगन से कोई बाहर नहीं निकल पाया, मगर तुम सिर्फ थोड़े मिनीट में ही मेरे बदन से दूर हो गए और बच गए. संकेत ने आजू बाजू में नजर घुमाई, उसे पता चल गया था कि वह मेन रास्ते से और मार्केट से बहुत दूर आ गया था. थोड़ी ही दूर एक आधी जली हुई चिता दिख रही थी, मतलब वह शमशान के नजदीक पहुंच चुका था.उसके दिमाग में परसों की अखबार की खबर आ गई. पिछले हफ्ते में हर रोज एक या दो लोग यहां आ कर दिल के दौरे से मर जाते थे, जैसे कि कोई छाती में हाथ डालकर  किसी के दिल को कपडो की तरह मरोड़ के सूखने के लिए छोड़ देता था. इसका मतलब यह सब हत्याए थी और यह इस मनकर्णिकाने की हुई थी. क्रमशः  

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