बेपरवाह
बेपरवाही का आलम है यह, कभी तुम हुये, तो कभी मै, जिन्दगी ने ऐसी करवट बदली, एक दूसरे के बिना रह सके न हम, अब फलक पर फिर से मिलेंगे, कभी बेपरवाह तुम होना, और कभी हम, इस जमीं पर सितम बहुत है, मगरधोखे सिर्फ तुम्हीं से खाये है, वजूद मेरा, वजूद मेरा कोई हिला न सका, पर तुम्हारे दिये जख्म ने, मेरा जर्रा जर्