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कुरूपता

21 सितम्बर 2021

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सुबह के 7:00 बजे आम घरो की तरह चतुर्वेदी
निवास मे भी हलचल मची हुई है। किसी को आफिस जाना हैं, किसी को स्कूल तो किसी को कालेज जाना हैं। पंडिताईन रसोईघर मे सबके लिए नाश्ता तैयार कर रही हैं साथ ही सभी के टिफिन भी पैक कर रही है। इनके परिवार में तीन बच्चे है जिसमे दो बेटियां और एक बेटा। बडी बेटी का नाम अल्पना, छोटी का नाम रंगोली और बेटे का नाम निरंजन चतुर्वेदी। अल्पना ने एम ए, एम एड किया है तथा एक स्कूल मे टीचर है। घर में उसके लिए रिश्ते आ रहे हैं।इस साल तक उसकी शादी तय कर देगे। कुछ रिश्ते आये हैं उस पर विचार विमर्श चल रहा है।

दूसरी बेटी रंगोली जो बी. ए सैकंड ईयर में है। साथ में कम्प्यूटर कोर्स भी कर रही है। कालेज के बाद शाम को 5:00 बजे वह कम्प्यूटर क्लास के लिए जाती है। छोटा बेटा निरंजन 11वी कक्षा में है उसने सांइस लिया है वह भी मैथ्स। उसकी इच्छा इंजीनियर बनने की है। शाम को वह कोचिंग जाता है।  माताजी व पिताजी को अपने तीनो बच्चों पर गर्व है। हो भी क्यों न तीनो बच्चे संस्कारी है और अपने पिता की प्रतिष्ठता बनाये रखने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं,और कक्षा में भी प्रथम आते हैं।

अनंतनारायण चतुर्वेदी सचिवालय में क्लर्क है सरकारी नौकरी है तनख्वाह भी अच्छी है सो सभी बच्चों को अच्छा पढाया। इनकी पत्नी उपासना चतुर्वेदी घरेलू महिला है, पर पढी लिखी है। बच्चो को पूरा सपोर्ट करती है। रंगोली ग्रेजुएशन के बाद सिविल सर्विस की तैयारी करना चाहती है। उपासना जी ने कहा ठीक है मेहनत करो मै और तुम्हारे पिता जी तुम बच्चों की तरक्की देखना चाहते हैं।  इनकी गृहस्थी बडी हंसी-खुशी चल रही है।

आज का दिन भी और दिन की तरह ही है सब सुबह अपने-अपने काम पर जाने की तैयारी कर रहे हैं।
पंडिताईन उपासना जी ने सबके टिफिन पैक कर दिए और सबके लिए नाश्ता लगा दिया और सभी को आवाज देते हुए,
' अरे जल्दी आओ पहले नाश्ता कर लो, नही तो ठंडा हो जाएगा फिर मै दुबारा गर्म नही करूगी और किसी ने प्लेट में नाश्ता छोड़ा तो देख लेना। "
अनंतनारायण —(हंसते हुए) अरे बच्चों जल्दी-जल्दी आ जाओ नही तो तुम्हारी मां का लैक्चर शुरू हो जायेगा।
बच्चे - (हंसते हुए खाने की टेबल पर बैठ जाते हैं। और नाश्ता करने लगते हैं।)
नाश्ते के बाद सभी अपने गंतव्य की ओर निकल पडते है।


टेलीविजन में न्यूज चल रही है 'आज की ब्रेकिंग न्यूज "दिनदहाड़े कालैज की छात्रा पर एसिड अटैक................. अटैक करने वाले फरार............. लडकी बुरी तरह से झुलसी........... सूत्रों से पता चला छात्रा.... राजकीय पी. जी. कालैज की छात्रा है।.….... उसे अभी अभी पुलिस द्वारा सिविल अस्पताल ले जाया जा रहा है आगे की खबर के लिए बने रहे.....
कालैज का नाम सुनते ही अनंतनारायण जी सीधे टेलीविजन के सामने आ कर न्यूज सुनने लगे साथ ही जेब से मोबाईल निकल कर बेटी को फोन करने लगे। पूरी रिंग गयी किसी ने नही उठाया। फिर ट्राई किया किसी ने नही उठाया। तीसरी बार ट्राई करने पर एक आवाज आई 'हैलो यह फोन जिनका है उन पर एसिड अटैक हुआ है वो सिविल अस्पताल के इयरजेंसी वार्ड में है।
इतना सुनते ही अनंतनारायण जी के हाथ से फोन छूट गया और वह धडाम से फर्श पर गिर पड़े।
सारा स्टाफ सकते मे आ गया सब उस दिशा की तरफ दौडे जिधर से आवाज आई थी। देखा तो पंडित जी औधे मुंह गिरे पडे है।
लोगो ने उन्हे उठाया। पानी पिलाया और ढांढस
बधाया। भागते हुए वो अस्पताल पहुंचे. निकलने से पहले उन्होंने घरवालों को भी फोन कर अस्पताल पहुंचने के निर्देश दे दिया।

अस्पताल में अफरा-तफरी का माहौल था लोग उस लड़की को देखने के लिए भीड लगायें खड़े थे अस्पताल प्रशासन भीड कम करने की कोशिश कर रहा था। OT के अंदर से दर्दभरी चीखे सुनाई दे रही थी जो वहाँ खड़े सभी के दिलो को झकझोर रहीं थी और हर कोई सोच रहा था कि हमारा समाज किस ओर जा रहा है।

पंडित अनंत नारायण और उनकी पत्नी अस्पताल पहुंच चुके हैं। रिसेप्शन पर पता करने पर उन्होंने उन दोनो को OTमे भेज दिया। OTवालो ने बाहर इंतजार करने के लिए कहा। अंदर से दर्द भरी आवाजें आ रही थी जो कलेजा छलनी कर रही थी।

इंतजार करते हुए ढाई घंटे हो चुके थे। अंदर क्या हो रहा है पता नहीं चल रहा था। इंतजार लम्बा होता जा रहा था। दोनो बच्चे भी हास्पिटल पहुंच चुके थे। सभी रो रहे थे और अपनी किस्मत को कोस रहे थे कि यह हादसा उनकी बेटी रंगोली के साथ क्यो हुआ। ऐसा क्या हुआ जो एसिड अटैक की नौबत आई। रंगोली ने तो कभी कोई जिक्र ही नहीं किया कि इस तरह की कोई घटना हो सकती। सब इसी उधेड़बुन मे अपने अपने कयास लगा रहे थे। किसी को भी कुछ समझ नहीं आ रहा था। तभी O. T से डाक्टर बाहर निकले उन्होंने अनंतनारायण को अपने केबिन में आने को कहा तथा उस शख्स को फोन किया जो रंगोली के साथ आया था।

थोडी देर में अनंतनारायण और वह शख्स डाक्टर के केबिन मे थे। डाक्टर ने उस शख्स का परिचय अनंतनारायण से करवाया कि यह मिस्टर अर्जुन खंडेलवाल है जाने माने वकील है यही आपकी बेटी को हास्पिटल लाये हैं और इन्ही की कोशिशों की वजह से आपकी बेटी का ईलाज समय से शुरू हो सका, नही तो हम आप की बेटी को बचा नहीं पाते। अभी आप की बेटी खतरे से बाहर है आप की बेटी के शरीर में जो जख्म है वह धीरे धीरे भर जायेगें उसके बाद हम उनकी प्लास्टिक सर्जरी कर उनकी स्किन ठीक करने की कोशिश करेंगे। अब साईंस ने बहुत तरक्की कर ली है। हम उन्हें दुबारा वैसा ही बनाने की कोशिश करेंगे।बस आप उनका हौसला बनाये रखे और उनका आत्मविश्वास जगाये रखे। बिना उनके सपोर्ट के हम कुछ नही कर पायेंगे। थोडी देर में उन्हे वार्ड में शिफ्ट किया जायेगा तब आप उनसे मिल सकते हैं। अनंतनारायण अश्रुपूरित नेत्रों से हाथ जोड़कर उनकी बाते सुनते रहे। और सोच रहे थे कि मै मिडिल क्लास का आदमी इतना खर्चा कैसे उठाऊंगा।

रंगोली को वार्ड में शिफ्ट किया गया जहां उसके शरीर को ढक कर रखा गया था। वह दर्द से कराह रही थी। पुलिस भी लडकी का बयान दर्ज करने आ पहुंची थी। वकील खंडेलवाल ने पहले ही पुलिस को इत्तला दे दी थी कि लड़की को होश आ चुका है। खंडेलवाल का बयान दर्ज हो चुका था अब रंगोली की ब्यान की बारी थी। पुलिस उसके होश में आने और ब्यान देने का इंतजार कर रही थी।

अंदर कमरे में रंगोली के माता-पिता, डाक्टर और वकील खंडेलवाल की मौजूदगी में बयान दर्ज किया गया।

रंगोली ने कहा कि वह उन अटैकर को नही जानती वह यह भी नही जानती कि वह अटैक क्यो हुआ। पुलिस हर एंगल को खंगाल रही थी पर कुछ भी सामने नही आ रहा था।

खंडेलवाल के बयान से भी कुछ निकल कर सामने नही आया, हां खंडेलवाल ने यह जरूर कहा कि अगर रंगोली न होती तो सारा एसिड मेरे ऊपर गिरता। अभी भी कुछ एक जगह पर बूदे गिरी थी जिसमें जलन हो रही थी।

जितने मुंह उतनी बाते हो रही थी कोई कहता प्रेम - प्रसंग का चक्कर की वजह से है, कोई कहता खानदान की दुश्मनी की वजह से ऎसा हुआ है , मीडिया वाले भी खूब नमक मिर्च लगा के न्यूज बेच रहे थे उनकी टी. आर. पी. बढ रही थी।

इधर पुलिस अटैकर को पकडने के लिए एडी चोटी का जोर लगा रही थी। कही से पुलिस को सूचना मिली कि हादसे के समय वहां लगे सी सी टी वी में पूरी घटना कैद हो गयी।

उस सीसीटीवी की रिकार्डिंग को जब्त कर लिया गया। जब उसे देखा गया तो सब सामने आ गया।

ऐसिड अटैकर को पकडा गया। तो कहानी कुछ यू सामने आई कि लोगो ने अपने दांतो तले उंगली दबा ली।क्योंकि वह ऐसिड अटैक रंगोली के लिए न होकर वकील खंडेलवाल के लिए था। वह तो रंगोली की बदकिस्मती कि वह गलत समय पर गलत जगह आ गयी थी।



अर्जुन खंडेलवाल  एक निहायत ही कपटी किस्म का इंसान है वह जितना अच्छा वकील है उतना ही कपटी इंसान है उसे सिर्फ केस जितने से मतलब है चाहे सामने वाली पार्टी कितनी ही सच्ची क्यो न हो वह अपनी दलीलो के दम पर सच को झूठ और झूठ को सच साबित कर केस का पांसा ही पलट देता था।

।अभी कुछ दिन पहले इक केस काफी चर्चा में रहा था। यह केस था नीना भंसाली और बिजनेसमैन रत्नाकर के बेटे राहुल का था। राहुल ने नीना का रेप अपने दोस्तो के साथ किया था।

खंडेलवाल ने अपनी दलीलो से नीना को बदचलन और प्रौसटीटयूड साबित कर दिया जो पैसा ले कर अपना शरीर बेचती है। यह सुनकर नीना और उसके परिवार वालों की बहुत बेइज्जती हुयी। इस हार को नीना बर्दाश्त नहीं कर सकी और मिट्टी का तेल डालकर आग लगा दी। 95%वह जल चुकी थी और दर्द मे ही उसे भर्ती किया गया जहा उसकी म्रत्यु हो। इसी से नाराज हो कर उसके रिश्तेदारों मे से किसी ने यह काम किया है। अब उस शख्स को ढूढा गया और वह बडी आसानी से पकड़ा गया वह नीना का छोटा भाई नीरज था।
ऐसिड अटैकर को पकडा गया। तो कहानी कुछ यू सामने आई कि लोगो ने अपने दांतो तले उंगली दबा ली।

नीरज 17 साल का एक लडका था जिससे अपनी बहन का दर्द बर्दाश्त नही हो सका, खंडेलवाल द्वारा उसकी बहन के चरित्र पर लांछन लगाने और आत्महत्या के लिए उसने खंडेलवाल को जिम्मेदार ठहराया।

इसलिए बदला लेने के लिए उसने  खंडेलवाल की रेकी करनी शुरु कर दी। वह कब कहां जाता है क्या करता है, इस रेकी के दौरान नीरज को पता चला कि खंडेलवाल ने कई मुजरिमो को बचाया है और कानून की आंखो में धूल झोकी है। खंडेलवाल की वजह से कई घर बर्बाद हुये हैं और कई बेगुनाह बिना जुर्म की सजा काट रहे हैं। क्योकि खंडेलवाल पैसो के दम पर गवाहो को और सबूतो को अपने हिसाब से तोड मरोड़ देता है। इसी वजह से गरीब आदमी को इंसाफ नहीं मिल पाता है।

नीरज को अब खंडेलवाल को हर हालत में सजा देनी थी इसलिए उसने यह रास्ता चुना कि वह मरे भी न और उसे जलने के दर्द का अहसास भी हो जाये जो उसकी बहन को हुआ था। इसमें उसका साथ उसके दोस्त ने दिया। दोनो ने प्लान किया कि खंडेलवाल पर सुबह के समय अटैक करेंगे क्योंकि उस समय भीड नही होती है। इसलिए नियत समय पर वह खंडेलवाल का इंतजार करने लगे। खंडेलवाल आया और जैसे ही वह आगे बढा नीरज ने उस पर एसिड उछाल दिया। पर पता नहीं कहाँ से ऐन वकत पर रंगोली सामने आ गयी और एसिड उस पर गिर पड़ा। रंगोली को तड़पते और चिल्लाते देख वह वहाँ से भाग निकला। बस इतना ही हुआ था। नीरज को इस बात का दुख था कि रंगोली के साथ यह हादसा हुआ।

नीरज ने कहा वह खंडेलवाल को किसी भी हालत में छोडेगा नही। वह बदला जरूर लेगा।

मीडिया को जब इस बयान और पूरी कहानी का पता चला तो उन्होंने इसे अपने चैनल पर खूब दिखाया जिसकी वजह से सब रंगोली की सहायता के लिए आगे आएं और खंडेलवाल की सजा की मांग की जिसने 17 साल के नीरज को जुर्म करने पर मजबूर किया। जनता की आवाज और मीडिया वालों की वजह से नीना भंसाली केस को रिओपन किया गया। दूसरी तरफ रंगोली की चिकित्सा खर्च के लिए लोगो ने दान देना शुरु किया। इस पैसो से रंगोली की सर्जरी की जाने लगी जिससे उसे पहले जैसी शक्ल दी जा सके।

इधर नीना भंसाली को इंसाफ मिला और उसके गुनाहगारों को सजा सुनाई गई खंडेलवाल की वकालत की डिग्री छीन ली गई। उसे जालसाजी और धोखाधड़ी के लिए सजा दी गई। साथ उन केसो के लिए जो खंडेलवाल द्वारा लडे गये थे उन लोगो से गुजारिश की गयीं कि सामने आये और अपना केस रिओपन करे इसलिए खंडेलवाल पर कई केस चल रहे हैं।

नीरज को भी सजा सुनाई गई क्योंकि उसने भी कानून हाथ में लिया था। आज वह भी सलाखो के पीछे है और अपनी पढाई पूरी कर रहा है।

इधर रंगोली भी घर आ गयी है। अभी वह ठीक है उसकी कुछ सर्जरी और होनी है। जिसके बाद वह पहले जैसी हो जायेगी।

इस परिवार की जिन्दगी वापस ढर्रे पर आने की कोशिश कर रही है। लेकिन इनको यह समझ आ गया है कि ईश्वर अगर परेशानी देता है तो लडने का हौसला भी देता है और साधन भी जुटाता है। बस उस पर विश्वास रखो।

धन्यवाद

मानवी सिंह झूपा
उत्तर प्रदेश
लखनऊ

















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nice.. muje folow kre me nya join hu shkar dijiye

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Very interesting story I admire u

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