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मेरा भारत 2020

12 अगस्त 2018

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मेरा भारत 2020 (लेख) परतंत्र भारत में नहीं जन्मे न देखी है परतंत्रता भारतीय होकर भी दोस्तों पाश के बंधनों में जकड़ी है हमारी स्वयं की विचारशीलता जी हाँ मित्रों आज स्थिति यह है कि हम स्वतंत्र होते हुए भी परतंत्र हैं । परतंत्र हैं अपने ही विचारों के अपनी ही सोच के । मैं आपसे यह कहना चाहूँगी कि अगर हमें भविष्य निर्माण करना है तो वर्तमान को पहले समझना होगा तभी हम अपने सपनों के भारत का निर्माण कर सकते हैं यह तो आप सभी जानते हैं कि आज देश को स्वतंत्र हुए 72 साल बीत चुके हैं मगर अगर देखा जाए तो शायद… शायद नहीं यकीनन आज भी हम स्वतंत्र नहीं है आज हम अपने विचारों के अपनी सोच के अपने स्वभाव के वशीभूत हैं ।


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आज भी हम अपने विचारों और सोच के पाश में बंधे हैं । मैं आप सभी को तीन चार दशक पीछे ले जाना चाहूँगी और देश की स्थिति से रू-ब-रू करवाना चाहूँगी उस समय देश की स्थिति कुछ इस प्रकार थी… कालाबाजारी, घूसखोरी, अराजनीति, अराजकता, आतंकवाद, भ्रष्टाचार जैसी समस्याएँ । यह तो कुछ नहीं अगर सोचे और विचार करें तो स्थिति इससे भी खराब थी । समस्याएँ अधिक थी और समाधान सीमित । आज के संदर्भ में देखा जाए तो यह समस्याएँ अभी भी ज्यों की त्यों बनी हुई हैं … दरिद्रता अपने चरम पर है, भ्रष्टाचार की जड़ें मजबूत हो चुकी है, शिक्षा में राजनीति ने घर कर लिया है, देश की बेटियों की स्थिति चिंताजनक है, पढ़ा-लिखा युवा वर्ग अभी भी बेरोजगार है, इन सभी का कारण भ्रष्ट राजनीति, राजनीति में भाई-भतीजावाद, अशिक्षित और अनपढ़ सदस्यों का राजनीति में प्रदार्पण । इसमें कोई संदेह नहीं है कि विकास का स्तर ऊँचा उठा है मगर दूसरी ओर गरीबी का स्तर भी बड़ा है । देश में असमानता के स्तर में बढ़ोतरी हुई है… अमीर फल-फूल गए और गरीब डूब गए सबसे ज्यादा असर मध्यम वर्ग पर पड़ा । जहाँ नए-नए उद्योग-धंधों का तेजी से विकास हुआ है वहीं इसका ख़ामियाज़ा पर्यावरण को चुकाना पड़ा है । जी हाँ, आज हमारा पर्यावरण पूर्ण रूप से दूषित हो चुका है । अभी भी गर हम न चेते तो विनाश संभव है । पेय जल का आभाव, वायु प्रदूषण, कंक्रीट में परिवर्तित वन्य प्रदेश, ग्लेशियरों का पिघलना, नदियों का प्रदूषण आज चर्चा का विषय बन गया है । स्थिति यह है कि सभी एक दूसरे पर दोषारोपण करते नज़र आ रहे हैं मगर सुधार हेतु पहल न तो सरकार और न ही आम जन करता नज़र अ रहा है । ओजोन परत नष्ट हो रही प्रकृति बन रही है अभिशाप वक्त अभी है विचारिए वरना…वरना बहुत पछताएँगे आप मैं आपका ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहूँगी कि जब तक हम वर्तमान की स्थिति को नहीं सुधारेंगे या समझेंगे तब तक हम भविष्य की पृष्ठभूमि तैयार नहीं कर सकते ।


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आज जिन समस्याओं का हम सामना कर रहे हैं अगर उनको मिटाया ना गया या उस पर काबू न पाया गया तो विनाश करीब पाएँगे और ऐसी स्थिति के साथ हम अपने सपनों के भारत का निर्माण नहीं कर सकते हैं फिर चाहे 2020 आ जाए या 2040 स्थिति ऐसी ही बनी रहेगी । स्थिति को सुधारना है तो देश की युवा शक्ति को आगे आना होगा इसके लिए पहल देश के युवाओं को करनी होगी देश को विनाश से बचने के लिए उनको शत-प्रतिशत योगदान देना होगा । पर्यावरण सुधार हेतु कार्य करने होंगे, शिक्षा को उन्नत बनाना होगा, बाल श्रम उन्मूलन, बेटी शिक्षा का प्रसार, स्वच्छ राजनीति, भ्रष्टाचार उन्मूलन उपाय और गरीबी के स्तर में सुधार लाना होगा समस्याएं तो बहुत है मगर अगर इन समस्याओं से निजात पा सके तो हम 2020 में भारत को विश्व स्तर पर न भी ला पाए मगर भारत की आंतरिक समस्याओं से जरूर निजात पा सकते हैं । और 2020 तक ऐसे भारत का निर्माण कर सकते हैं जो शायद हम सभी का सपना है … स्वच्छ, सुसंस्कृत, प्रदूषण रहित, शिक्षित भारत सुदृढ़ भारत । मेरा भारत 2020 में ऐसा हो प्रदूषण रहित और पर्यावरण सुरक्षित हो । सम्मान दे हर जन एक दूजे को धर्म-जाति, भेदभाव और द्वेष से हटकर हो । न लड़े कोई कश्मीर, मंदिर-मस्जिद पर राजनीति ऐसी… अमन, चैन हिंदुस्तान में फैला हो मेरे सपनों का भारत ऐसा हो हाँ, मेरा भारत 2020 तक सुनहरा हो घर की बेटी के मान-सम्मान जैसा हो मेरा भारत, मेरा भारत फिर से सोने की चिड़िया जैसा हो मेरा भारत सुनहरा हो । मेरा भारत सुनहरा हो । नीरू मोहन 'वागीश्वरी'

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