राष्ट्र वाद,,,,
ये सिलसिला अब रुकना नहीं चाहिए
सिर काट जाए मगर झुकना नहीं चाहिए
विकास पथ पर बढ़ रहे कदम निरंतर अभी शूल है
मा भारती के रत्नों से होगा स्वागत
बस लक्ष सिद्धि से विमुख होना नहीं चाहिए,,,
भारत केवल भूमि का टुकड़ा नहीं अपितु हमने इसे मा मना ,है भारत मा कहा है, ओर मा शब्द का प्रयोग इसलिए किया क्योंकि मा वहीं होती है , जो निस्वार्थ मन से लालन पालन करती है ,,,