कलम का आगाज
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तुमसे मुक्कमल हे जिंदगी मेरीतन्हाई भरी शाम की हसीन महफ़िल हो तुममेरे खयालात में पहली दौलत हो तुम
राष्ट्र वाद,,,,ये सिलसिला अब रुकना नहीं चाहिए सिर काट जाए मगर झुकना नहीं चाहिएविकास पथ पर बढ़ रहे कदम निरंतर अभी शूल है मा भारती के रत्नों से होगा स्वागत बस लक्ष सिद्धि से विमुख होना नह