तुम्हारी खुशी गिटार की झंकार सी,
सात सुरों में बजने वाले संगीत सी।
ठिठुरते जाड़ों में गुनगुनाती धूप सी,
गुलशन में फूलों से लदी साख सी।
अर्श से फर्श तक रंगीन रोशनी में डूबी हुई सी,
सूरज सी अरुनाई लिए कुछ शरमाई सी।
मन ही मन गुनगुनाते हुए कुछ पुलकित सी,
बारिश की बूंदों से उठी मिट्टी की महक सी।
कच्ची उम्र की तुम्हारी नादानियां,
कुछ डूबी हुई ,कुछ बेखयाली सी।
हजारों ख्वाहिशों वाली तुम,
उड़ने को आतुर सी।
मेरी नन्ही परी ,तुम कभी बडी मत होना,
रहना बचकानी सी।
संजोना अपनी ख्वाहिशों को,
जीना उन्मुक्त परिंदों सी।