कोई मेरी यादों में ऐसे दीप जला दे।
यादों के मायाजाल मे ,
चलचित्र कोई सुनहरा चला दे।।
खिल उठे मेरे मन का गुलाब
किरन रोशनी की कोई ऐसी दिखा दे।।
जीत हो सदा उजालों की
कोई नफरतों के अंधकार को मिटा दे।।
न किसी कन्धे की तलाश है
एकबार आसमान को छूना सीखा दे।।
मेरे मौन की प्रबल अभिव्यक्ति
अब तूं ही मेरी मंजिल बता दे।।
सुनहरी यादों की कोई तान छिड जाये
कोई तो ऐसा संगीत बजा दे।।
न उठे कोई कसक दिल मे
ऐसी यादों को कोई ताला लगा दे।।
न उलझे कोई तार जिन्दगी के
कोई तो सारी उलझने सुलझा दे।।
उडे़ल दे सारी शितलता ए - महताब
तूं अपनी चांदनी से मेरे मन को शीतल बना दे।।
कुछ न कह पाएंगे और तुमसे
मेरे सपनों को तूं परवाज बना दे।।
थम के रह गई हैं हसरतें
तूं मेरी पूरानी यादों को फिर से लौटा दे।।