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किताबें हमेशा से मेरे लिए खास और महत्वपूर्ण थी...मैं किताबों से कभी जुदा नहीं रह पाया और गौरतलब है कि तमाम व्यस्तताओं के बावज़ूद आजतलक वे मेरे बेहद करीब हैं ।
शायद मैं उस वक्त कक्षा '06' में पढ़ रहा होगा, तभी से मैं कोर्स की किताबों के अलावा तरह-तरह की किताबें पढ़ा करता था।
तब किताबें मुझे सुकून भरा साथ देती थी...मैंने अपने इस जीवन में किताबों से बहुत कुछ सीखा है...किताबें मेरी सच्ची हमदर्द बनकर मुझे अपनेपन का एहसास कराती थी...वे मुझमें नवीन प्रेरणा और स्फूर्ति जगाती थी।
मैं "लाइब्रेरी" जाकर किस्म - किस्म की किताबों को खोज कर पढ़ा करता था...और उस वक्त तक मैं कुछ किताबें खरीद भी चुका था ।
किताबों से मेरा बेहद प्रगाढ़ और खूबसूरत सा रिश्ता है, जो ताउम्र बना रहेगा ।
©SD. Arya