***नारी भी नारायणी भी***
मंगल मृदुल मुस्कानवाली मेरी मैया,
दाहक प्रचंड चण्डिका स्वरूपिणी भी है।
करूणामयी है, तापनाशिनी है मैया,
रिपुदल का दलन करे दुष्टमर्दिनी भी है।
ममतामयी वरदायिनी है महामाया,
क्रोधित स्वरूप स्वयं भस्मकारिणी भी है।
गुण, ज्ञान , बुद्धिदायिनी है मेरी मैया,
कष्ट, रोग, बाधा, भय, दुःखहारिणी भी है।
नारी सम्मान निज मान हेतु करो भैया,
जन्मदायिनी है और प्राणहारिणी भी है।
भवसागर में दोनों है सवार एक नैया,
वो तो अनुगामिनी है और तारिणी भी है।
आधी आबादी का विचार करो भैया,
माता, सुता, भगिनी और अर्धांगिनी भी है।
कन्या भ्रूण हंता, दुष्कर्म के करैया, सुनो!
मैया कुकर्मियों का मूल नाशकारिणी भी है।
©सौरभ सतर्ष