हूँ सहज भावो का संगम सहज...सच...स्पष्ट ,हूँ सहज भावो का संगम सहज...सच...स्पष्ट ,हूँ सहज भावो का संगम सहज...सच...स्पष्ट
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***नारी भी नारायणी भी*** मंगल मृदुल मुस्कानवाली मेरी मैया,दाहक प्रचंड चण्डिका स्वरूपिणी भी है।करूणामयी है, तापनाशिनी है मैया,रिपुदल का दलन करे दुष्टमर्दिनी भी है।ममतामयी वरदायिनी है महामाया,क्रोधित स्वरूप स्वयं भस्मकारिणी भी है।गुण, ज्ञान, बुद्धिदायिनी है मेरी मैया,कष्ट,
तेरी याद आती हैकभी बैठु अकेल मे तो तेरी याद आती है॥कभी करता कोइ शुरुआत तो तेरी याद आती है।कभी चुभ जाए कोइ बात तो तेरी याद आती है।।कोइ अरमान जब टुटे तो तेरी याद आती है।कोइ वादे करे झुठे तो तेरी याद आती है।।कभी कुछ जल्दी से बोलु तो तेरी य