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वो थकी हारी जब आती है काम से ,और फिर भी खुश है जीवन के इनाम से | बिना किसी फल के करती रहती है वो श्रम, माँ कहते है लोग जिसे नाम से | ममता की देवी , त्याग की मूरत ,करुणामयी लगती है देखने मै जिसकी सूरत | खुद ना खाये पर