आया फाल्गुन का माह
लाया होली जैसा अद्भूत उत्सव
जिस दिन ना किसी से शिकवा
ना किसी से गिला
जो भी मिला एक दुसरे से
हाथों में रंग लिए प्यार से मिला
दूर हुई नफरतें
और रंगों को आकार मिला
जो छोड़ गया था बरसों पहले
लौट आ फिर परिवार से मिला
चारों और रंग ही रंग
खुशी उत्साह और उमंग
तपती धूप में भी रंगों के साथ टोली में
और जमा रंग खुशियों केसाथ होली में