चंद्र से इनका मुकुट सजा है
माथे पर बिंदी लाली है
लाल चूनर ओढ़े माता
करती शेर सवारी है
सुन ले मेरी विनती मइया
कर दे बेड़ा पार तू
इस जहां में नहीं कोई अपना
दे दे अपनाप्यार तू
रूप धरी तू दुर्गा काली की
जब भक्तों पर भीड़ पड़ी
अब मेरे भी क्लेश हरो
"माँ"
मैं तेरे द्वार खड़ी
👏👏👏👏👏👏👏