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पाकी के पास परमानू

6 मई 2016

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प्रमाण 

 जब से बदरू ने सुना है कि पाकी ने परमानू बम मारने की घमकी दी है उसकी नींद उड़ गई है। बीवी तो बीवी है, उसकी चिंता ये है कि बदरू दो दिन से सो नहीं पाए हैं। जब वो नहीं सो पाए हैं तो जाहिर है कि वह भी नहीं सो पा रही है। जब दोनों नहीं सो पा रहे हैं तो क्या करेंगे सिवा बातों के। बदरू का ही एक शेर है कि ‘नींद जब न आए तो बातें कर, कोई न हो तो बदरू से कर’। बदरू जब जागते हैं तो खुद से ही बातें करते हैं। उनकी इसी आदत से परेशान घर वालों ने ही उन्हें अफीम की लत लगा दी। लेकिन आज बात अलग है, पाकी के पास परमानू है और उन्हें लग रहा है कि वो सीधे उनके उपर गिराने वाला है। यही चिंता उन्हें खाए जा रही है कि पाकी के परमानू से कौन कौन मरेगा। साइंस से सब कुछ मुमकिन है, अमरिक्का अपने घर में बैठे बैठे दूसरे मुल्क में किसी के ख्वाबगाह पर निगाह रख लेता है तो फिर क्या छुपा है किसी से। इतनी तरक्की के बारे में तो उन्होंने कभी सोचा नहीं था वरना आज चौदह बच्चों के बाप हो कर बेइज्जती के खतरे से सराबोर नहीं रहते। पता नहीं नामाकूलों ने क्या क्या नहीं देखा। चलो देखा सो देखा, उनको देखे से कुछ हमने सीखा और हमें देखे से वो कुछ सीख लेंगे। इसमें कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन साइंसदानों कुछ इल्म और हाॅसिल करना था। पाकी वाले जो परमानू मारेंगे उससे बदरू नहीं मरें इसका कुछ इंतजाम होना चाहिए या नहीं। अगर यों उठा के मार दिया तो बिरादरान भी मारे जाएंगे ! साइंसदानों को कोई ऐसा बम बनाना चाहिए था जो धर्म-ईमान देख कर फटे। तब तो माने कि सही मायने में तरक्की हुई। पाकी कहता है कि हिन्दुस्तान में हमारे भाई रहते हैं और कल अगर परमानू मार दिया और भाई लोग ही फना हो गए तो !! बम तो बम है भई, बोले तो पक्का सेकुलर। मारने को निकले तो फिर कुछ देखे नहीं, न धरम न जात। आधे जन्नत जाओ, आधे सरग में और बाकी धरती पर पड़े सड़ते रहो। पाकी के हाथ में परमानू का मतलब है किसी बंदर के हाथ में उस्तरा। मालूम पड़े किसी दिन परेशानी की हालत में परमानू से ही सिर ठोक लिया उसने। जो नादानी में बंटवारा करके पाकी बना सकते हैं वो परमानू से सिर नहीं ठोक सकते हैं। 

                   अब आप जान गए होंगे कि बदरू को नींद नहीं आने का कारण वाजिब है। दुनिया में सबसे ज्यादा मुसलमान भारत में हैं और उनका पड़ौसी, जिसका दावा है कि वो उनका खैरख्वाह है, भाई है, वही उन पर परमानू तरेर रहा है। माना कि सियासत में भाई का भाई नहीं होता है लेकिन बदरू को अपने चौदह बच्चों और दो बीवियों की फिक्र भी है। कल को परमानू सीधे आ कर उनके सिर पर गिर गया और दूसरी दुनिया नसीब हो गई तो पता नहीं बीवी-बच्चों को मुआवजा मिले या नहीं मिले। एक जिम्मेदार आदमी फिक्र के अलावा और कर भी क्या सकता है। और आप समझ सकते हैं कि फिक्रमंद आदमी को नींद कैसे आ सकती है। 

                          मुर्गे ने बांग दी, सुबह हो गई। बदरू ने बीड़ी सुलगाते हुए बीवी से कहा, ‘‘ पाकी के परमानू की चिंता में बदन गल सा गया है, आज इस मुर्गे को बना लेना’’।

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प्रमाण  जब से बदरू ने सुना है कि पाकी ने परमानू बम मारने की घमकी दी है उसकी नींद उड़ गई है। बीवी तो बीवी है, उसकी चिंता ये है कि बदरू दो दिन से सो नहीं पाए हैं। जब वो नहीं सो पाए हैं तो जाहिर है कि वह भी नहीं सो पा रही है। जब दोनों नहीं सो पा रहे हैं तो क्या करेंगे सिवा बातों के। बदरू का ही एक शेर है

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