Pant_ji
छवि धूमिल सी,घटा अभि-रिक्त सी मानस रूप अभी दिखा नही!!
Mere_लेख
अल्फाज जो छोटे से है जिंदगी के हँसी पल से लेकर सुख की सीमा के बीच, उन्ही किस्सों का रोपड़ मेरे लेख कही!
Mere_लेख
अल्फाज जो छोटे से है जिंदगी के हँसी पल से लेकर सुख की सीमा के बीच, उन्ही किस्सों का रोपड़ मेरे लेख कही!
याद नहीं अब
मन में उछले कुछ शब्द जो लेख में उतर से जाते हैं, रात के गहरे अंधियारे में जो डर बयां नहीं हो पाता वो लेख में उतर से गये हैं। याद नहीं अब वो पल जो तोड़ सी गयी उन हस्ती को जो अब नासूर सी चुभन दिए जा रहा हैं।।
याद नहीं अब
मन में उछले कुछ शब्द जो लेख में उतर से जाते हैं, रात के गहरे अंधियारे में जो डर बयां नहीं हो पाता वो लेख में उतर से गये हैं। याद नहीं अब वो पल जो तोड़ सी गयी उन हस्ती को जो अब नासूर सी चुभन दिए जा रहा हैं।।
मारुत नन्दन
मारुत नन्दन पवनसुत अपनी भक्ति में रहकर अन्य कर्म रूप को एक सौम्य रूप द्वारा पूर्ण करते हैं जो कर्म में भी भक्ति को एक रूप प्रदान करते हैं।।
मारुत नन्दन
मारुत नन्दन पवनसुत अपनी भक्ति में रहकर अन्य कर्म रूप को एक सौम्य रूप द्वारा पूर्ण करते हैं जो कर्म में भी भक्ति को एक रूप प्रदान करते हैं।।