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परीक्षाभवन

15 सितम्बर 2022

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परीक्षाभवन में आज फिर होने लगा आत्ममंथन मेरा
काश कुछ पढ़ा होता याद कुछ करा होता

प्रश्नपत्र देखते ही मेरा सर चकरा गया
पढ़ी थी अमोनिया, फास्फोरस आ गया

छात्र एकता संकल्प हमारा है
आज तो बस नकल का ही सहारा है

मैंने सोचा पानी पीने जाता हूँ
वहीं इधर उधर से दो चार पर्ची ले आता हूँ

मैंने पूछा सर पानी पीने जाऊँ
सर बोले ज्यादा प्यासे हो तो पानी वाले को यहीं बुलाऊँ
कैसे दूँ मैं गुरु को झांसा मेरा मन पर्ची का प्यासा

हाय कितने सख्त शिक्षक रूम में पड़े हैं
आधे घंटे से मेरे ही सर पे खड़े हैं

मैंने सर को भोलेपन से देखा और ब्रह्मास्त्र फेंका
सर पिछले कुछ दिनों से मेरी तबीयत खराब रही है
इधर बहुत गर्मी लग रही है
सर मेरे साथ थोड़ी रियायत कीजिये
मुझे उस पंखे के नीचे बिठा दीजिये

सर बोले उधर का पंखा तो और भी धीरे चल रहा है
उधर बैठे बच्चों के देखो कितना पसीना निकल रहा है
तुम मेरी कुर्सी पे आओ समय निकल रहा है

कुछ छात्र तो उत्तर लिख रहे थे
लेकिन अधिकतर परेशान दिख रहे थे

तभी एक छात्र बोला
सर इतनी सख्ती, क्या ये सही है
ऐसे माहौल में बहुत परेशानी हो रही है

गुरु जी बोले मैं नकल नहीं करने दूँगा
गर्दन हिली तो कॉपी छीन लूँगा

सर ये आप कर क्या रहे हैं,
परीक्षा का इस तरह मखौल मत उड़ाइए
जाइए थोड़ा पान वान खाकर आइये

हमारे उतरे हुए चेहरे देख गुरुजी मंद मंद मुस्काने लगे
और अपनी जेब से पान की पुड़िया निकाल वहीं पान खाने लगे

लगता है आज मैं अपने शाकाहारी व्रत को बचा नहीं पाऊँगा
अपने जीवन का प्रथम अंडा इसी प्रश्नपत्र में खाऊँगा

शायद ये मेरे पिछले कुकर्मों का हिसाब है
आज भाग्य भी कुछ ज्यादा ही खराब है

अंततः मैं बोला ठीक है सर इजाजत दीजिये
बहुत हुआ अब मेरी कॉपी जमा कर लीजिये

इस घटना के दो महीने बाद,
पिताश्री अपनी अभिव्यक्तियों को मुझ पर वार रहे थे
मेरे ही भीगे जूतों से मेरे केश संवार रहे थे॥

मेरे जैसे सभी परीक्षार्थियों के साथ सहानुभूति सहित
आज फिर से आया परीक्षा भवन ॥

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अनुपम की डायरी
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यह किताब मेरी डायरी के कुछ पन्नों का हिस्सा है।
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परीक्षाभवन

15 सितम्बर 2022
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परीक्षाभवन में आज फिर होने लगा आत्ममंथन मेराकाश कुछ पढ़ा होता याद कुछ करा होताप्रश्नपत्र देखते ही मेरा सर चकरा गयापढ़ी थी अमोनिया, फास्फोरस आ गयाछात्र एकता संकल्प हमारा हैआज तो बस नकल का ही सहारा हैमैंन

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            "क्या मुझे कविता नहीं आती" 

15 सितम्बर 2022
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हिन्दी

15 सितम्बर 2022
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वह थी नन्ही सी लड़कीवह थी नन्ही सी लड़की मा-बाबा ने उसे बहुत प्यार किया खुब शरारती, खुब नटखट जिसके पास जाती अपना बन जाती हुई वह पाँच वर्ष की जाने लगी वह स्कूल में कुछ नहीं था तकलीफ जीवन में 

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