मुझे कविता नहीं आती
मैं कवि नहीं हूँ
फिर भी यह दिल की
धड़कन कुछ सुना जाती
रोज़ चलते रुक जाता हूँ
सोचता क्या मुझे कविता नहीं आती
कविता क्या है,
भावनाओं का संसार
शब्दों का मेल - जोल
रसो की प्रावाह
क्या मुझे कविता नहीं आती
जब मैं कल्पना रुपी सागर में
जाता हूँ सोच में पड़ जाता हूँ
क्या सच, क्या झुठ
इसी चक्कर में डुब
जाता हूँ खुब
खोजता हूं मैं खुद को
मिलता कोई ओर है
रोकता हूं खुद को
रुकता कोई ओर हैं
क्या मुझे कविता नहीं आती है