पहली नज़र यह बात सन 2000-2001 की जब में दसवी क्लास का छात्र हुआ करता था, जुलाई का महिना था और गर्मियों की छुट्टियाँ समाप्त होने के बाद स्कूल फिर से खुले थे| स्कूल खुले हुए ज्यादा समय नहीं बीता था और इस बार में भी ज़ोर शोर से पढाई में जुट गया था, ठान लिया था की इस बार कम से कम 80% मार्क्स लेकर आऊंगा, बचपन समाप्त हुआ था और किशोर अवस्था की दहलीज़ पर क़दम ही रखा था| ज़ाहिर सी बात है उस समय पढाई के अलावा मेरे दिमाग में भी बहुत कुछ चल रहा था, वैसे तो में भी उस समय एक दुबला पतला कम हाइट वाला आम लड़का ही था, हालाँकि शुरू से पढने वाला और हमेशा टॉप थ्री प्लेस पर रहना एक ढंग से मेरी भी आदत बन गयी थी | साथ साथ में मेरे नैन नखश भी थोड़े बेहतर थे, पर फिर ऐसा कुछ खास नहीं था की की क्लास की सबसे खूबसूरत लड़की मुझे देखे, हाँ यह ज़रूर था की एक सस्ते हिंदी मध्यम स्कूल में होने के बाद भी मेरी अंग्रेजी बाकियों से बेहतर थी, कह सकते है की हम अंधों में काणे राजा थे| यूँ तो क्लास में 26 लड़कियां थी पर उन सभी में सबसे ज़्यादा खास थी प्रिशा और सबसे ज्यादा सुन्दर भी या कहे तो सौंदर्य की देवी..............जो लड़का भी उसे देखता उसे अपना दीवाना बना लेने के लिए उसमें सबकुछ था....हल्के भूरे बाल, दूध जैसा गौरा रंग, मक्खन सी मुलायम त्वचा, गोल गोल चेहरा ....कथ्थई रंग की आँखें गुलाबी होंठ हल्के लालिमा लिए हुए गाल.....ओफ्फ़ ....उसमें इतना कुछ था की उस सौंदर्य की प्रतिमूर्ति की एक झलक पाने के लिए कोई भी अपना सब कुछ दाव पर लगा दे| ज़्यादातर मैंने उसे स्कूल की ड्रेस में ही देखा था सामान्यतः वोह स्कर्ट और टॉप पहनती थी पर उसकी बढती उम्र के कारण उसमें होने वाले सारे परिवर्तन नग्न आँखों से ही दृश्यमान हो रहे थे| कोई भी उसे एक नज़र देखता और प्रीशा की मोहक सुन्दरता का दीवाना हो जाया करता| बात उन दिनों की है जब हमारा स्कूल दो पालियों में लगता था,,,,क्यूंकि यह कोई बड़ा स्कूल तो था नहीं इसलिए स्कूल की बिल्डिंग छोटी होने के कारण इसे दो पालियों में लगाया जाया करता था...पहली सुबह 7 से 11.30 बजे तक और दूसरी पली 12 से शाम 5 बजे थे, हमारा टाइमिंग 12 से 5 वाली पली में हुआ करता था| 25 जुलाई, 2000 की बात है, दोपहर के लगभग 3.30 बजे होंगे तभी पता चला की मैडम किसी कम में बिजी होने की वजह से आज नहीं आ पायेगी, पूरी क्लास ख़ुशी से झूम उठी ऐसा लगा मानो सभी के बैंक अकाउंट में 15-15 लाख आ गए हों| सभी अपने अपने अपने कामो में लग गए, मैंने भी पढाई करने के लिए अपनी कॉपी किताब निकाली ही थी (उस समय में वाकई इतना घोछु हुआ करता था की इससे आगे मेरी दुनिया थी ही नहीं) दरअसल में लड़को की सबसे आगे वाली लाइन में बैठता था, और मुझे यह स्वीकारने में कोई गुरेज़ नहीं की में एक किताबी कीड़ा था | और वह लड़कियों की दूसरी लाइन में, कुल मिलकर स्थिति कुछ ऐसी बनी की हम दोनों ज़रा भी मुड़ते तो नज़रे एक दुसरे पर जाती, और उस दिन मनो चमत्कार ही होगया जैसे ही में ज़रा सा घुमा मैंने देखा उसकी और मेरी नज़रे कुछ देर के लिए मिली, पर में ज्यादा देर तक नज़रे मिला न सका और अपनी नज़रे उसकी नजरो के सामने से हटा ली | यह क्या हुआ ,,,,मैं अचानक से घबरा गया मेरे शरीर के रोंगटे खड़े हो गए दिल की धड़कन तेज़ हो गयी और में कांपने लगा, यह अजीब सी फिलिंग थी शायद शब्दों में इसे बयां नहीं किया जा सकता, मेरे लिए यह बहुत ही बड़ी बात थी क्यूंकि आज तक कभी किसी लड़की से नज़रे भी नहीं मिला पाया था| यदि आपकी नज़रे पहली बार ही अपने क्लास की सबसे सुन्दर लड़की से मिले तो वाकई यह तो चमत्कार से कम नहीं था|
........जारी रहेगी |