दोस्तों हमारे रोज़मर्रा की ज़रुरतो को पूरा करने के लिए आज के इस युग में उर्जा का महत्वपूर्ण स्थान है, सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक हम किसी न किसी रूप में उर्जा का उपयोग करते ही है | इसीलिए उर्जा का उपयोग बहुत ही संभलकर और सोच समझकर करना चाहिए, या वै ज्ञान िक भाषा में कहे तो उर्जा का उपयोग एफ्फेशीएंटली करना चाहिए| इसीलिए में आज आपका परिचय एक ऐसी टेक्नोलॉजी से करवाना चाहता हूँ, जो हमारी उर्जा की एक महत्त्वपूर्ण ज़रूरत को बहुत ही एफ्फेशीएंटली पूरा कर सकती है |
दोस्तों खाना बनाने के लिए घर में तो आपने ज़रूर ही इंडक्शन कुक्टोप्स देखे ही होंगे, पर यह कुक्टोप्स आकर में कुछ छोटे और कैपेसिटी में भी कुछ कमतर होते है, इसलिए इनका प्रयोग व्यावसायिक रूप से नहीं किया जा सकता है, पर अब बाज़ार में ऐसे इंडक्शन कुक्टोप्स भी मौजूद हैं जिनका इस्तेमाल ज्यादा लोगो का खाना बनाने के लिए उर्जा की बचत के साथ भी किया जा सकता है |
आखिर ये कुक्टोप्स कैसे कम करते हैं ????
दोस्तों दरअसल यह कुक्टोप्स एक मेग्नेटिक फील्ड जनरेट करते है जिसकी वजह से इसके ऊपर रखे बर्तन में एडी करंट की धाराएँ पैदा हो जाती है, जब यह करंट बर्तन में बहता है तो बर्तन में धाराओं के प्रवाह में आने वाले प्रतिरोध की वजह से बर्तन स्वतः ही गर्म होने लगता है, और उसका तापमान धीरे-धीरे बढ़ने लगता है|
इस तरह यह बर्तन एक बर्तन न रहकर स्वयं ही एक हीट जनरेटर बन जाता है|
दोस्तों यहाँ गौर करने वाली बात यह है की कुकटोप और बर्तन के बीच में किसी तरह की उर्जा का स्थानान्तरण नही होता बल्कि मैग्नेटिक वेव्स ही ट्रान्सफर होती है | जिस वजह से उर्जा हास न होते हुए अधिकतर उर्जा का स्थानान्तरण हो जाता है, और एफिशियंसी भी ज्यादा रहती है | इंडक्शन कुक्टोप्स के फायदे ......
हाई एफिशियंसी : इंडक्शन कुक्टोप की एफिशियंसी करीब 90% रहती है, जबकि एक एल.पी.जी. गैस की एफ्फिशियांसी महज़ 32% तक रहती है| लो कास्ट : इंडक्शन कुक्तोप्स परम्परागत एल.पी.जी. गैस से 60% तक सस्ती पड़ती है एक 5 kw के इंडक्शन कुक्टोप और एल.पी.जी. के T-35 बर्नर की तुलना करें तो इंडक्शन कुक्टोप का उपयोग कर महीने के 9600 रुपये तक बचाए जा सकते है |
ग्रीन टेक्नोलॉजी : यह एक तरह की ग्रीन टेक्नोलॉजी है क्यूंकि इससे किसी भी तरह की हानिकारक गैसेस का उत्सर्जन नहीं होता, जो की वातावरण के लिए बहुत हद तक लाभदायक है|
राष्ट्रहित : चूँकि एल.पी.जी. एक पट्रोलियम उत्पाद है, जिसे बाहर के देशो से आयत करना पड़ता है, यदि व्यावसायिक रूप से इंडक्शन टेक्नोलॉजी का उपयोग बढाया जाये, तो पट्रोलियम के आयात पर किये जाने वाले खर्च को कुछ हद तक कम किया जा सकता है|साथ ही साथ घरो में एल.पी.जी. की ज्यादा ज़रूरत है इसलिए व्यवसायिक रूप से एल.पी.जी. के विकल्प तलाश कर हम उन लोगो की मदद कर सकते है जिन्हें एल.पी.जी. की ज्यादा ज़रूरत है|
क्लीन एनर्जी : इन कुक्टोप्स का उपयोग बड़ा कर हम बड़े होटल्स, मेस और सार्वजनिक स्थानों के रसोई घरो को साफ सुथरा रखकर भारत को स्वाच बनाये रखने में अहम् भूमिका निभा सकते हैं|
यूँ तो इस टेक्नोलॉजी का कोई दुष्प्रभाव नहीं है, बस इन कुक्टोप्स की यही एक सीमा हे की इनकी शुरुआती कीमत थोड़ी ज्यादा रहती है|
मैं इतना ही कहकर अपनी बात समाप्त करना चाहूँगा की आने वाले समय में हमें अपने परंपरागत उर्जा के स्त्रोतों का कोई न कोई विकल्प तो अवश्य ही ढूँढना पड़ेगा, इसलिए ज़रूरी हे की हम दुसरे आप्शन को भी धीरे धीरे बढ़ने लगे अपने रोज़ मर्रा की ज़रुरतो के लिए, और यह एक ऐसा आप्शन भी हे जो बेहतर होने के साथ साथ लम्बे समय में खर्चो को कम करने वाला भी साबित हो सकता है |
धन्यवाद
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