ऑपरेशन R.ED C.A.T.
दृश्य 1
रितिका खन्ना .... । एक जानी मानी सोशल एक्टिविस्ट और पत्रकार । आज उसके घर के बाहर भारी भीड़ लगी हुई है । पुलिस और एम्बुलेंस की मिली जुली ध्वनि एक साथ उभरती है। सारी भीड़ काई की मानिंद ही फट जाती है । मीडिया कर्मी भी पहुंच चुके हैं।धड़ धड़ाते हुए पुलिस के वैन से कुछ पुलिस कर्मी उतरे और एम्बुलेंस से डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी ।
जैसे ही पुलिस कमिश्नर आग्नेय त्रिपाठी अपनी गाड़ी से उतरे मीडिया कर्मियों की भारी भीड़ ने उन्हें घेर लिया ।
सर ...क्या आप बता सकते है की इस रितिका खन्ना मर्डर में किस का हाथ हो सकता है ?
पुलिस कमिश्नर त्रिपाठी ने एक विशेष अंदाज़ में अपने सिर को जुम्बिश दी और मुंह में भरे पान की पीक किनारे थूकी और कहा - देखिए अभी अभी तो हम आये है ...। छानबीन करने को ...। अभी तो नहीं बता सकते कि किसका हाथ हो सकता है । पर हाँ इतना बताये देते हैं कि कातिल जल्द हमारी गिरफ्त में होगा । अभी आपलोग प्लीज..... पीछे हट जाइए । इतना कहकर उन्होंने फिर से पान थूका और अपनी टोपी संभालते हुए वारदात की जगह प्रवेश किया जहाँ सोफे पर रितिका खन्ना की लाश पड़ी हुई थी ।
बाहर एक रिपोर्टर दूसरे से कह रहा था ...यार ये कैसे आदमी है । इन्हें पुलिस कमिश्नर किसने बना दिया । इन्हें देखकर तो शहंशाह फ़िल्म के अमिताभ बच्चन के किरदार की याद आती है ।
हाँ हाँ यार ठीक कहते हो तुम ... सही में ये कमिश्नर के लायक नहीं हैं । पता नहीं कैसे कमिश्नर जैसे पद पर पहुँच गए ।
नहीं दोस्त तुमलोग गलत हो । ये इनका छद्म रूप है । इनके काम करने के अलग तरीके के कारण ही इन्हें कमिश्नर बनाया गया है । इनके पान खाने और बात करने के अंदाज़ में मत जाओ इनके काम करने के तौर तरीके पर जाओ । अगर इन्हें रितिका मर्डर केस सौंपा गया है तो जरूर कोई बड़ी बात रही होगी । और देखना की ये मर्डर मिस्ट्री कितनी जल्दी सुलझाते हैं । किसी अन्य पत्रकार ने दोनो को समझाते हुए कहा ।
देखते हैं ...... । उनमें से एक ने संदेह जताते हुए कहा ।
रितिका खन्ना मर्डर केस इन्हें नहीं बल्कि क्राइम डिपार्टमेंट के दो काबिल अफसरों को सौंपी गई है। मुझे नहीं लगता कि जितनी साफाई से रितिका खन्ना की हत्या की गई है ये मर्डर मिस्ट्री इतनी जल्दी हल हो जाएगी । किसी तीसरे ने धीरे से कहा ।
कमिश्नर त्रिपाठी ने लाश के चारों तरफ घूम कर देखा । उनकी आँखे किसी गिद्ध की आंखों की मानिंद अपने शिकार की तलाश कर रही थी । उन्होंने लाश का बारीकी से मुआयना किया । लाश के शरीर पर कोई भी चोट का निशान नहीं था । सिवाय उसके माथे के बीचोबीच आर पार हो चुकी गोली के ।
तभी उनकी आँखें एक जगह जाकर रुक गयी । पर इस बात का उन्होंने किसी को अंदाज़ा भी नहीं होने दिया और विशेष रूप से जांच के लिए भेजे गए क्राइम डिपार्टमेंट के दो अफसरों चैतन्य सरकार और आदित्य ठकराल को जल्दी से लाश का पंचनामा कर पोस्टमार्टम के लिए भेजने को कहा । फिर वे किचन की तरफ चले गए आए कुछ देर तक इधर उधर देखते रहे ,फ्रिज से पानी निकाल कर पीया और बाहर निकल गए ।
अपनी गाड़ी में बैठते हुए उनकी आँखों में एक विशेष प्रकार की चमक थी ।
घर के बाहर नो एंट्री के फीते लगा दिए गए। मतलब कि उस घेरे के अंदर कोई भी पब्लिक या मीडियाकर्मी नहीं आ सकता ।
चैतन्य और आदित्य भी अपना काम करके बाहर निकल गए ।
यार आदित्य इतने सारे केसेस हमने हल किये । तुम्हे नहीं लगता कि ये केस उनसे बहुत कुछ अलग है ? चैतन्य ने गाड़ी ड्राइव करते हुए कहा ।
मैं भी यही सोच रहा हूँ कि जिसने भी ये हत्या की है वो रितिका खन्ना के बहुत करीब रहा होगा । वरना इतनी आसानी से योजना बना कर नहीं मार सकता । सबसे बड़ी बात कि कातिल ने कोई सबूत नहीं छोड़ा है । न कोई फिंगरप्रिंट न कोई और निशान । गोली भी आर पार हो गयी और गायब भी । चैतन्य ने गंभीरता से कुछ सोचते हुए कहा।
नहीं भाई दुनिया मे कोई ऐसा अपराधी नहीं हुआ जो अपराध के बाद कोई सबूत न छोड़ता हो । बस हमे अपने पूरे विवेक और बारीकी से जाँच करनी पड़ेगी । आदित्य ने चैतन्य की तरफ देखते हुए कहा ।
एक बात मुझे समझ मे नही आयी ...। चैतन्य ने गाड़ी कि रफ्तार थोड़ी धीमी कर दी ।
क्या हुआ तुमने गाड़ी धीमी क्यों कर दी ? और कौन सी बात समझ में नहीं आयी ।
बताता हूँ चल पहले एक एक कॉफ़ी पीते है । सामने कॉफ़ी शॉप पर चैतन्य ने गाड़ी रोकते हुए कहा ।
अच्छी बात है ...। कहता हुआ आदित्य ने जरूरी फ़ाइल और बैग पिछली सीट पर रखा और उतर गया ।
हां तो अब बता कि कौन सी बात तुम्हे समझ में नहीं आयी । आदित्य ने कॉफी के साथ सिगरेट की कश लगाते हुए पूछा ।
यही कि रितिका के पास इतनी प्रोपर्टी , रुपये और ऐशोआराम के सारे सामान मौजूद थे फिर उसने किसी से रुपये उधार क्यों ले रखे थे ?
क्या ? ये तुम्हे किसने बताया ? आदित्य ने चौंकते हुए कहा ।
यार मैं भी तेरी तरह क्राइम डिपार्टमेंट के स्पेशल इंवेस्टिगेटिंग विंग का ऑफिसर हूँ । चैतन्य ने कॉफी सिप के बाद धुँए का गोल छल्ला बनाते हुए कहा ।
तुम्हे कैसे पता चला ? आदित्य ने हैरान परेशान होते हुए कहा ।
तुम्हे इतना हैरान परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है । बताता हूँ - मुझे सबूत ढूंढते हुए डस्ट बीन में कुछ कागज मिले थे जिनमें कुछ लिखा तो नहीं था पर मैंने सारे कागजों को लाल रौशनी में स्कैन किया तो एक कागज में मुझे डॉलर के चिन्ह की परछाई दिखाई दी । मैंने सोचा कि भारत मे रह कर भी रीतिका का सम्बंध रुपयों से न होकर डॉलर से होना किसी गहरे साजिश की तरफ इशारा करता था । मैं वो कागज साथ लाया हूँ तू भी देख । चैतन्य ने वो कागज का टुकड़ा आदित्य की तरफ बढ़ाया ।
आदित्य ने उस कागज के टुकड़े को हाथ मे लेकर गौर से उलट पुलट कर देखा । उसने अपनी लाइटर जलायी और कागज के उस टुकड़े के नीचे ले गया । ऊपर से पढ़ने की कोशिश करने लगा । कुछ खास जानकारी तो नहीं थी पर चैतन्य का शक सही लग रहा था । डॉलर के चिन्ह के ठीक पहले लिखे गए अमाउंट का खुलासा किया जाना बहुत जरूरी था । पर रुपये उधार लिए थे रितिका खन्ना ने या दिए थे ये अभी कहना मुश्किल था।
क्या हुआ आदित्य .......? कुछ समझ मे आया कि ये डॉलर वाली पहेली क्या है ? चैतन्य ने कॉफी के सिप के साथ ही जेब से सिगरेट का डिब्बा निकाला और आदित्य के हाथ से लाइटर लेते हुए कहा ।
आदित्य की आँखे अभी भी उस कागज के टुकड़े को गौर से देख रही थी । डॉलर के निशान के पहले तीन अंकों की एक संख्या लिखी हुई थी । वो संख्या क्या थी और उस संख्या के पहले किसका नाम लिखा था ?
कुछ पता चला आदित्य ...?
नहीं भाई लगता है फोरेंसिक लैब में भेजनी पड़ेगी । आदित्य ने चैतन्य के हाथ से अपनी लाइटर ली और जेब मे रख ली । उस कागज को अच्छी तरह से तह कर चैतन्य को देते हुए कहा - चल लैब से होकर आते हैं । चैतन्य ने सहमति में सर हिलाया । दोनों अपनी जगह से उठे ही थे कि अचानक एक शख्स , जिसने काले रंग की लंबी ओवरकोट और लाल रंग की टोपी लगा रखी थी , सामने आया और चैतन्य के हाथ से वो कागज का टुकड़ा झपट लिया और भागने लगा । जब तक कि वे लोग कुछ समझ पाते वह दौड़ता हुआ एक गली में दाखिल हो गया । पीछे पीछे आदित्य भी उस गली में दाखिल हुआ । पर इतनीं जल्दी वह कहाँ गायब हो गया आदित्य को समझ में नहीं आया । तभी पीछे से पुलिस की जीप सायरन बजाती हुई वहाँ से गुजरी । पीछे से आती पुलिस कमिश्नर आग्नेय त्रिपाठी की गाड़ी भी गुजरी। मगर आदित्य को देख कर गाड़ी रिवर्स करते हुए त्रिपाठी जी अपनी कार से उतरे और बोले - क्या हुआ ऑफिसर यहाँ क्या कर रहे है आप ?
कुछ नहीं सर एक चोर मेरी कुछ जरूरी चीजें लेकर भाग रहा था। मैं उसके पीछे पीछे यहां तक आया भी... पर न जाने गली में कहाँ गायब हो गया कमबख्त ।
क्या लेकर चला गया वो ? आप कहें तो पुलिस के कुछ जवान आपकी मदद को भेजूं क्या ?
नो सर मैं देख लूँगा आप कष्ट न करें ..। आदित्य ने मुस्कुराते हुए कहा । तब तक चैतन्य भी वहाँ आ पहुंचा था । आते ही बोला - क्या हुआ आदित्य वह व्यक्ति कहाँ गया ?
यार वो न जाने कहाँ गायब हो गया । लगता है हमें खाली हाथ ही लौटना पड़ेगा । चलो घर चलते हैं । देर भी हों रही है फिर हमें ऑफिस भी पहुँचना पड़ेगा । आदित्य और चैतन्य दोनों अपनी गाड़ी में बैठ कर चल दिये । इधर कमिश्नर साहब भी अपने रास्ते चले गए ।
दृश्य 2
एक बड़ा सा हॉल । हॉल के बीचों बीच एक गोलाकार मेज लगी हुई है । जिसके चारों ओर कुर्सियां रखी हुई है । कुल मिलाकर तीन लोग बैठे है । चारों तरफ धुँआ ही धुँआ । करीने से शराब की बोतलें सजी हुई । एक लंबे से शख्स ने तीनों गिलास में शराब डालते हुए कहा- बाल बाल बच गए सर आज तो वरना ये क्राइम डिपार्टमेंट वाले तो पीछे ही पड़ गए थे ।
एक दूसरे शख्स ने सिगरेट सुलगाया और गिलास हाथ मे उठाते हुए कहा - बात तो तुम्हारी सही है। ये क्राइम ब्रांच वाले आजकल कुछ ज्यादा ही तेजी दिखा रहे हैं । आज अगर वो कागज उनके हाथ लग जाता और फोरेंसिक लैब चला जाता तो मेरे ऊपर शक उठना लाजिमी ही था । वो तो ठीक समय पर मुझे पता चल गया और मैंने तुम्हें भेज दिया । वरना मेरे साथ साथ तुमलोग भी जेल की सलाखों के पीछे होते ।
इसलिए कहता हूं सर कोई भी सबूत कभी भी कहीं भी किसी भी कीमत पर मत छोड़ो । आज हमलोग फंसते फंसते बचे है । सॉरी सर पर एक बात जानना चाहता हूं कि आखिर इस कागज के टुकड़े में है क्या जो मुझे जान हथेली में डालकर इसे क्राइम ब्रांच वालों से छीन कर लाना पड़ा ।
उस दूसरे व्यक्ति ने अपनी गिलास खाली कर मेज पर रखते हुए कहा -तुमलोग अभी चैतन्य औऱ आदित्य को शायद नहीं जानते । वो बेस्ट ऑफिसर्स में से हैं क्राइम डिपार्टमेंट के । जब भी कोई जटिल केस सामने आती है विभाग उन्हें ही चुनता है । विशेष रूप से चैतन्य को । वह एक नंबर का साहसी और कुशाग्र बुद्धि वाला अफसर है । इस बात पर दिमाग लगाओ कि इस चैतन्य की नजर उस कूड़ेदान पर कैसे गयी और उस कूड़ेदान में इतने सारे कूड़े और रद्दी कागजों में से सिर्फ इस कागज़ पर कैसे पड़ी होगी ।
पहले व्यक्ति की आँखे सिकुड़ कर छोटी हो गयी । उसने हैरान होते हुए कहा - ये बात तो मार्क करने वाली है । मेरा ध्यान तो इस बात पर बिल्कुल नहीं गया ।
अगर तुम्हारी बुद्धि इतनीं तेज होती तो तुम चैतन्य नही बन जाते । कहते हुए दूसरे शख्स ने गिलास खाली कर टेबल पर रखा, एक हाथ से बड़ी ही सावधानी से उस कागज के टुकड़े को खोला और दूसरे हाथ से लाइटर जलायी। फिर दूसरे शख्स को दिखाते हुए कहा - अब देखो ...।
अरे बाबा रे बाबा ...! ये तो मैने सोचा ही नही था । उस कागज में डॉलर का निशान साफ साफ दिखाई दे रहा था । पर उसके आगे लिखी राशि कुछ साफ साफ दिखाई नहीं पड़ रही थी । हालांकि "दो शून्य " जरूर दिख रहे थे ।
सर मुझे लगता है कि उन्हें पता नहीं चल पाया होगा कि कितनी राशि लिखी गयी है । पहले शख्स ने एक सिगरेट सुलगा ली ।
दूसरे शख्स ने सर्द आवाज़ में कहा - मैंने कहा न तुम अभी उन दोनों को नहीं जानते । तुम शायद ये सोच कर खुश हो रहे हो कि इस कागज़ के टुकड़े को उनसे लेकर तूने जहाँ जीत लिया है पर तुझे इसका एहसास भी नहीं हुआ कि तुम्हे बेवकूफ बनाया दोनों ने ।
ये क्या कह रहे हैं सर ? उन्होंने बेवकूफ बनाया है और मुझे ?
हाँ ...। और तुम आसानी से बन भी गए ।
वो कैसे ?
वो ऐसे कि क्या तुम्हे लगता है तुम उनसे कोई भी चीज छीन कर सुरक्षित भाग सकते हो ? बिना किसी व्यवधान के तुम यहाँ तक पहुंच सकते हो ? तुम क्या सोच रहे हो कि तुम उनसे ज्यादा चलाक हो ? तुम उनसे ज्यादा तेज कदमो से भाग सकते हो ? इन सारे सवालों का जवाब है नहीं ..। उस दूसरे शख्स ने सिगरेट का गहरा धुआँ छोड़ा । कुछ देर की चुप्पी के बाद बोला - तुम गलत कागज ले आये हो । क्योंकि जिस डायरी से वो टुकड़ा फाड़ा गया था वह ये कागज जा टुकड़ा नहीं है । अर्थात उन्होंने जानबूझकर कर ये टुकड़ा छीन जाने दिया ।
इतना कहते हुए उस शख्स ने कागज का वो टुकड़ा जला दिया और लाइटर जेब में रखते हुए कहा - तुम अब यहां से निकलो मैं थोड़ी देर में आता हूँ ।
जी सर । कहता हुआ पहले शख्स ने अपने काले कोट और लबादे को उतारा और एक अलमारी में सुरक्षित रख कर वहाँ से निकल गया । दूसरा व्यक्ति वहीं कुर्सी पर बैठ गया औऱ तेजी से अपना दिमाग चलाने लगा ।
दृश्य -3
क्राइम डिपार्टमेंट का ऑफिस । सभी कर्मी और ऑफिसर अपने अपने काम मे व्यस्त है।आदित्य अपनी कुर्सी पर बैठा लैपटॉप पर कुछ देखने मे व्यस्त था । तभी चैतन्य ने उसके कमरे का दरवाजा खटखटाया ।
अंदर आ जाओ ...। कहता हुआ वह अपने काम पर लगा रहा ।
क्या देख रहे हो आदित्य ? चैतन्य ने मूंगफली चबाते हुए कहा ।
आदित्य ने लैपटॉप से नजरें हटाते हुए चैतन्य की तरफ देखा और कहा - कुछ नहीं यार एक मूवी देख रहा था । घर मे देख नहीं पाता सोचा यहीं देख लूँ .
अच्छा देखूँ तो सही कौन सी मूवी देख रहे हो ? जैसे ही चैतन्य ने लैपटॉप सरकाया झट से आदित्य ने उसके हाथ से मूंगफली छीन ली और बड़े आराम से छिल कर खाने लगा ।
अरे अरे ये क्या कर रहे हो ? मेरी मूंगफली छीन ली तुमने ?
तो क्या सिर्फ तुम ही खा सकते हो ?
चैतन्य ने घूर कर उसे देखा और अचानक चेहरे का भाव बदलते मुस्कुराया और आदित्य के लैपटॉप में खो गया । दरअसल आदित्य कोई मूवी नहीं बल्कि अपने आगे की योजना का रोडमैप बना रहा था ।
यार आदित्य मुझे एक बात समझ मे नहीं आ रहा कि ये आखिर किस तरह की पहेली है जो इस डायरी में बनायी गयी है ? कहते हुए चैतन्य ने अपने कोट के अंदर से एक छोटी सी डायरी निकाली और टेबल पर रख दिया । आदित्य ने अपनी जेब से कागज का असली टुकड़ा निकाला जो उस काले कोट वाले ने छिनने का प्रयास किया था । चैतन्य ने कागज के टुकड़े को उस डायरी के आधे फटे पेज से मिलाया और जोड़ कर उलट पुलट कर देखने लगा । जो नहीं मिल पाया ।क्योंकि वो उस डायरी का पेज था ही नहीं ।
डायरी के एक पन्ने पर एक पहेली लिखा था।
" लाल रंग का दिखता हूँ , कुछ सिखता और सिखाता हूँ ,
होता हूं प्रायः सबके घर , रात रात भर फिरता हूँ ,
होती है जब छीर की चोरी , सबकी नजरों से गिरता हूँ । "
आखिर ये किसने लिखी होगी । और इसका क्या अर्थ निकलता है ? चैतन्य की नजरें सोच वाली मुद्रा में सिकुड़ती चली गयी । इधर आदित्य मूंगफली खाने में व्यस्त था । चैतन्य ने एक घूंसा आदित्य को मारा । वह गिरते गिरते बचा ।
अब मैने क्या किया है जो मुझे मार रहे हो ? आदित्य ने जमीन में गिरी मूंगफली के दाने को प्यार से उठाकर, फूंक मार कर साफ किया और मुँह में डाल लिया । दो मिनट तक प्रेम से चबाया और बोला - देखो भाई मेरा साफ साफ मानना है कि रितिका खन्ना की मौत की वजह उनकी बेनामी संपत्ति और रुपये रहे होंगे । किसी अपने ने ही उनकी संपत्ति पर से हाथ साफ करने को उनकी हत्या की है ।
आब तुम ये कोई नई बात नहीं बता रहे । इतना तो मेरे साथ साथ सभी कोई जानते है कि रितिका खन्ना की मौत की वजह उसकी संपति है । पर किसने की है ये एक यक्ष प्रश्न है ।
पहले तो इस पहेली को सुलझाना आवश्यक है । चैतन्य ने फिर से बात वहीं से आरंभ किया जहाँ से छोड़ा था ।
तो चल इस पहेली को क्रेक करते हैं पहले ...। हाँ तो पहली लाइन है
" लाल रंग का दिखता हूँ कुछ सीखता और सिखाता हूँ "
इसका मतलब लाल रंग से है अर्थात
" RED "
दूसरी और तीसरी लाइन है
" होता हूँ प्रायः सबके घर रात रात भर फिरता हूँ "
" होती है जब क्षीर की चोरी , सबकी नजरों से गिरता हूँ " ।
यहाँ इसके दो मतलब निकलते है , पहले पंक्ति का अर्थ कुत्ता हो सकता है। पर दूसरे लाइन में कुत्ता सटीक नहीं बैठता क्योंकि वह क्षीर अर्थात दूध नहीं पीता । बल्कि बिल्ली सटीक बैठती है । बिल्ली दूध भी पीती है और दूध की वजह से बदनाम भी होती है ।
मतलब
" बिल्ली "
पहेली का हल है "लाल बिल्ली" अर्थात
" RED CAT "
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इसका क्या मतलब हो सकता है ? " RED CAT " आखिर उस हत्यारे ने क्यों लिखा । कहीं हत्यारे ने हमें कोडवर्ड में चैलेंज तो नहीं दिया है ? आदित्य ने हैरान होते हुए कहा ।
लग तो यही रहा है । पर शायद वह ये नहीं जानता कि उसने किसे चैलेंज किया है । आदित्य और चैतन्य को । वह लाख पाताल में छुप ले , लाख अपनी तरकश के तीरों को चला ले , हमसे नहीं बच सकता इतना तो मैं जानता हूँ। चैतन्य ने सर्द आवाज़ में कहा ।
तो अब हमे क्या करना चाहिए ...? आदित्य ने सिगरेट का कश लेते हुए कहा ।
तुम्ही बताओ हमारा अगला कदम क्या होना चाहिए । चैतन्य ने प्रत्युत्तर में जवाब के बदले सवाल किया ।
मेरी समझ से हमें एक बार फिर से रितिका खन्ना के घर जाकर कत्ल की जगह को ठीक से और दोबारा बारीकी से जांच करना चाहिए ।
हम्म्म्म ... चैतन्य ने हामी भरी और उसके हाथ से सिगरेट लेकर गहरे गहरे कश लेने लगा ।
दृश्य - 4
जूतों की आवाज से कई कुत्ते एक साथ भौंकने लगे । अन्धेरे में दो शख्स धीरे धीरे ... सतर्क निग़ाहों से चारों तरफ निगाह दौड़ाते हुए बढ़ते चले जा रहे थे । कुछ देर बाद कुत्तों ने भी भूकना बंद कर दिया । दोनों शख़्स चोर नजरों से इधर उधर देखते हुए रितिका खन्ना के घर के पिछले हिस्से में पहुँचे । जहां एक छोटे से गेट पर ताला लगा हुआ था । ताले के चारों ओर पुलिस ने कपड़े की सील लगा दी थी । दोनों ने चहारदीवारी फांदी और अंदर दबे पाँव दाखिल हुए । एक कमरे की खिड़की में लगी कांच के चौकोर टुकड़े को हटाया और खिड़की की सिटकिनी खोल कर अंदर दाखिल हो गए । फिर सावधानी से खिड़की को बंद किया और धीमे धीमे उस कमरे में पहुँचे जहाँ रितिका खन्ना का मर्डर हुआ था । दोनों ने हाथ मे टॉर्च ले रखी थी । बड़ी ही तेजी से उस कमरे में रखे अलमारी को खंगाल रहे थे । आखिर कौन थे वे ...?
तभी दोनों की नजरें एक दरवाजे पर ठहर गयी जहाँ से अभी अभी कोई अन्य शख्स कमरे से दौड़कर बाहर निकला था । दोनों शख्स चौंक गए जो खिड़की के रास्ते अंदर घुसे थे । दोनों में से एक ने टॉर्च की रौशनी बुझाई और धीरे से दरवाजे की तरफ खिसकने लगा । दोनों व्यक्तियों के चेहरे पर पसीने की बूंदे उभर आई थी । पहले व्यक्ति ने टॉर्च बुझाकर दरवाजा की ओट से बाहर की ओर झाँका जहां से कोई तीसरा आदमी बाहर की ओर भागा था ।
उस पहले टॉर्च वाले व्यक्ति ने अचानक टॉर्च जलायी और बाहर वाले कमरे में चारो तरफ रौशनी दौड़ाई । कहीं कोई नजर नहीं आया । उसने फिर से उसी कमरे में आते हुए दूसरे शख्स के कान में फुसफुसाहट भरे स्वर में कहा - लगता है कोई चोर था जो हमें देख कर भाग गया ।
बेवकूफ कहीं के ... तुमसे कोई काम नहीं होता । कोई चोर यहां आ ही नहीं सकता । चारों तरफ से पुलिस का पहरा है कोई चोर यहाँ घुसने की सोच भी नही सकता । जरूर कोई दूसरा आदमी है जो हमसे भी चालाक और तेज है । तभी दूसरे कमरे में कोई आहट हुई । अब दूसरे शख्स ने देखने की सोची कि बाहर कौन हो सकता है । सोचकर उसने टॉर्च की रोशनी को हाथ से ढंक कर दूसरे कमरे में जाने के लिए दरवाजे की तरफ बढ़ा । उसने थोड़ी देर के लिए टॉर्च बंद की और दरवाजे को ओट से कमरे के बाहर झाँका । जब कोई नजर नहीं आया तो धीरे से बाहर वाले कमरे में घुसा । बेहद सतर्कता के साथ आगे बढ़ता हुआ सोफे के पास पहुंचा ही था कि किसी ने पीछे से उसपर छलांग लगा दी और उसका मुंह बंद कर दिया । उसकी गर्दन अब उस अजनबी शख्स के बाज़ुओं के कैद में था ।
कौन हो तुम ? बाहों की कैद में छटपटाते हुए खिड़की के रास्ते घुसे दूसरे शख्स की घरघराती हुई आवाज़ निकली ।
पहले तुम बताओ कौन हो तुम ? बाहों से गर्दन पर दबाव बढ़ाता हुआ अजनबी शख्स ने पूछा ।
अजनबी शख्स को एहसास हो गया था कि जिसे उसने पकड़ रखा था , शारीरिक ताकत में उससे कमतर नहीं था । क्योंकि जिस ताकत के साथ वह अपनी गर्दन को छुड़ाने का प्रयास कर रहा था धीरे धीरे उसकी गर्दन उसके हाथ से फिसल रही थी । अचानक ही टॉर्च वाले शख्स ने टॉर्च का भरपूर वार अजनबी शख्स के सिर पर किया । उसकी गर्दन उसकी गिरफ्त से आजाद हो चुका था ।
उसने टॉर्च की रौशनी अजनबी के चेहरे पर डाली तो चौंक गया वह शख्स । झट से रोशनी बुझाई और लगभग दौड़ता हुआ उस कमरे में आया जहां वे कुछ खोजने का प्रयास कर रहे थे । अपने साथी को इशारा किया और वे दोनों तेजी से उसी खिड़की के रास्ते बाहर की ओर भाग निकले । पीछे पीछे वह अजनबी शख्स भी दौड़ता हुआ आया पर तब तक वे दोनों बाहर निकल चुके थे । उस तीसरे और अजनबी शख्स के चेहरे से खून रिस रहा था । उसने एक हाथ से अपना सिर पकड़ रखा था । वह जिस चीज की तलाश कर रहा था । वह उसे अभी तक नहीं मिली थी । अचानक उसकी नजर एक चीज पर पड़ी जो उस भाग चुके शख्स के पैकेट से गिरी थी । उसने धीरे से उसे अपनी कोट की जेब के अंदर रख लिया ।
फिर उस कमरे में वापस आया जिस कमरे में रितिका की लाश मिली थी । तभी उस कमरे में चैतन्य एक लैपटॉप लेकर प्रवेश किया और कहा - क्या हुआ आदित्य तुम्हे चोट कैसे लगी ?
कुछ नहीं यार अंधेरे में दरवाजे से टकरा गया था । आदित्य ने बडी ही सफ़ाई से झूठ बोलते हुए उससे लैपटॉप लेकर पूछा - तू कहाँ रह गया था ? बड़ी देर कर दी तुमने ?
कुछ जरूरी काम से रितिका के ऑफिस चला गया था । वहाँ से रितिका का पर्सनल लैपटॉप मुझे मिल गया है । बहुत कुछ जानकारी हमें मिल सकती है । अब हमें यहां से निकलना चाहिए ताकि बाहर पुलिस वालों को कोई शक न हो कि घर मे कोई आया था ।
फिर दोनों पिछले दरवाजे की बाउंडरी वाल को फांद कर बाहर निकल गए ।
दोंनो पुलिस की नजरों से बच कर निकल जाना चाहते थे पर आवारा कुत्तों के भौंकने के कारण पुलिसकर्मियों का ध्यान उनकी ओर चला गया ।
देखो कुछ लोग पिछली गली से भाग रहे हैं उन्हें पकड़ो ...। पुलिस के गाड़ी की तेज सायरन बज उठी । चारों तरफ अफरा तफरी मच गई । आदित्य और चैतन्य तेज कदमों से भागते हुए दूर खड़ी अपनी गाड़ी में बैठ गए ।
सर आपने कुछ लोगों को इधर से भागते देखा है क्या ? एक पुलिसकर्मी ने क्राइम डिपार्टमेंट की गाड़ी खड़ी देख रुका और ड्राइविंग सीट पर बैठे चैतन्य से पूछा।
हाँ हाँ दो लोग इधर से अभी अभी दौड़कर निकले हैं .. । चैतन्य ने उंगली से इशारा कर बताया । सारे पुलिसकर्मी उसी दिशा में दौड़ पड़े ।
चैतन्य को लग रहा था कि उसने झूठ बोल कर अपने को बचाया है । पर उसे क्या पता था कि सचमुच ही उधर से वे दोनों शख्स भागे थे । जिनमें से एक के साथ आदित्य की झड़प भी हुई थी और उसी के प्रहार से उसके सिर पर चोट लगी थी । पर आदित्य ने वह बात चैतन्य से क्यों छुपाई यह समझ के परे था ।
दृश्य - 5
क्राइम डिपार्टमेंट की फोरेन्सिक लैबोरेटरी ...। आदित्य और चैतन्य रितिका के उस लैपटॉप को खंगालने में लगे थे । वे RED CAT के बारे में जानकारी इकट्ठा करने ने लगे थे । वे रितिका की संपत्ति की सारी डिटेल्स जानना चाह रहे थे । वे पता लगाने की कोशिश में थे कि रितिका खन्ना के बिज़नेस के साझेदार कौन कौन थे ? वे सिर्फ भारत के थे या इंटरनेशनल रैकेट का हिस्सा थे जिनके साथ रितिका खन्ना का व्यपारिक रिश्ता था ।
करीब चार घंटेके अथक प्रयास और टेक्निकल एक्सपर्ट की मदद से कई चौंकाने वाले मामले सामने आ रहे थे ।
बाप रे बाप ....। ये तो किसी इंटरनेशनल रैकेट हिस्सा जान पड़ती है । सामने से तो कुछ पता ही नही चलता था कि वह इतने बड़े कारोबार की मालकिन थी । आदित्य ने हैरान होते हुए कहा । उसकी आँखों मे एक अनजाना सा खौफ साफ नजर आ रहा था । दरअसल कुछ ऐसी चीजें उस लैपटॉप में थी कि वह भी डर गया था एक पुलिसकर्मी होकर ...।
बात खुलकर इस तरह से आ रही थी ...।
रितिका खन्ना ने सबसे पहले अपना कैरियर बिजनेस में आजमाया । उसके पापा एक बड़े बिजनेस मैन थे । वह उनके बिजनेस में हाथ बँटाती थी । धीरे धीरे उसने एक लड़के से दोस्ती कर ली जो उसके कॉलेज का दोस्त हुआ करता था । नाम था सुयश । उसने बिजनेस में अभी नया नया कदम रखा था । उस लड़के ने अपने बिजनेस को बढ़ाने के लिए रितिका का सहारा लिया । चूँकि उसके पापा बड़े बिजनेस मैन थे रितिका के लिए सुयश के बिजनेस में हुए घाटे को पाटना कोई बड़ी बात नहीं थी। इस तरह सुयश बिजनेस में तरक्की करता चला गया । जबकि रितिका उसके चाहत में पागल होती चली गयी ।
अंत मे कुछ ऐसा हुआ कि सुयश ने अपना रिश्ता रितिका से तोड़ लिया। जिसके गम में रितिका का मानसिक संतुलन बिगड़ गया । इधर सुयश अपना बिजनेस समेट कर उससे दूर चला गया ।
रितिका काफी दिनों तक डिप्रेशन में रही ।
समय बीतता रहा ।करीब दस साल बीत गए। अंत में उसके पापा ने उसे फिर से सहारा दिया । अब रितिका का मन बिजनेस में नहीं लगता था । उसने अपने पापा से इतर नाम कमाने का फैसला किया , पढ़ी लिखी तो वह थी ही उसने जर्नलिज्म का रास्ता अख्तियार किया । कुछ सालों में ही जानी मानी पत्रकार बन बैठी वह । इलाके में बड़ा नाम हो गया उसका ।
पर अचानक इस तरह से उनका मर्डर हो जाना । एक बड़ा सवाल खड़ा करता था । कातिल का उस तरह से यूँ चैलेंज करना वह भी एक डायरी में
" RED CAT " शब्द का इस्तेमाल कर ।
आखिर ये RED CAT क्या था इसका जवाब ढूंढा जाना एकदम जरूरी था ।
क्या हुआ चैतन्य ? आदित्य ने ने गंभीर होते हुए कहा । अब हमें क्या करना चाहिए ?
कुछ नहीं अब कातिल को पकड़ने के लिए इस RED CAT शब्द का पोस्टमार्टम करना ही पड़ेगा ।
मतलब ?
मतलब की अब एक एक अक्षर का जोड़ तोड़ कर इस चैलेंज को स्वीकार करना होगा । और हमें कातिल तक पहुंचना होगा ।चैतन्य ने सुर्ख लहजे में कहा ।
मतलब अब चलेगा
" ऑपरेशन RED CAT "
आदित्य ने बात पूरी की ।
हां लगता तो है ....! कहता हुआ चैतन्य ने उसकी हां में हां मिलाते हुए एक रहस्यमयी मुस्कान अपने चेहरे पर बिखेरी जिसे आदित्य देख नहीं पाया ।
ठीक है फिर शुरू करते है
" ऑपरेशन RED CAT "
चैतन्य ने उस डायरी को बाहर निकाला और एक कागज पर लिखा
" RED CAT "
R=?
E=?
D=?
C=?
A=?
T =?
हमे इन्हीं अक्षरों के मतलब निकालने हैं ।
R से रितिका....नहीं हो सकता क्या ? आदित्य ने सवालिया निगाहों से चैतन्य की तरफ देखा ।
आगे बताओ ..। चैतन्य ने मुस्कुराते हुए कहा तो आदित्य भी सकपका गया ।
दोनों काफ़ी देर तक सोचते रहे पर कोई हल नहीं निकला । दोपहर से शाम और शाम से रात हो गई ।
आदित्य ने घर के लिए विदा ली । वह रितिका खन्ना के घर की तरफ से ही जा रहा था। उसका दिमाग बड़ी ही तेजी से चल रहा था । जितनी जल्दी हो वह घर पहुंच जाना चाहता था । अचानक उसे कुछ याद आया और उसने तेजी से अपनी गाड़ी यू टर्न लेकर ऑफिस की तरफ मोड़ दिया । ऑफिस के कंपाउंड में पहुंच कर देखा चैतन्य अपनी गाड़ी निकाल रहा था । आदित्य को देखते ही बोल - क्या हुआ आदित्य तुम उल्टे पाँव वापस क्यों लौट गए ।
तुम ऊपर चलो बताता हूँ । आदित्य ने बदहवासी में कहा ।
हुआ क्या ?
कुछ नहीं मुझे कुछ याद आ गया है ।
ऊपर पहुँच कर उसने रितिका की डायरी फिर से खोली और बोला - तुमने शायद ठीक से नहुँ पढ़ा ....। आदित्य ने अपने शब्दों को चबाते हुए कहा । उसने इस पहेली का हल भी स्वयं दे दिया है ये देखो .. इस तरह आदित्य ने डायरी के कोने में लिखे R , अगले पृष्ट पर एक डॉट ,अगले पृष्ठ पर E फिर अगले पर D एक पृष्ठ छोड़ कर अगले पृष्ठ पर C, फिर डॉट ,फिर A, फिर डॉट ,फिर T, फिर डॉट।
" R.ED C.A.T. "
इसमे लिखे शब्दों के बीच दिए गए पॉइंट को हमने गौर नहीं किया । अर्थात ये पहला शब्द " RED " न होकर R.ED है । इसका मतलब कुछ और ही निकल रहा है । फिर आगे आये सारे अक्षरों के बीच डॉट है ।
इसका मतलब मैं तुम्हे बताता हूँ । कहते हुए पुलिस कमिश्नर आग्नेय त्रिपाठी ने क्राइम डिपार्टमेंट के ऑफिस में कदम रखा ।
अरे आप कब आये सर ...? कहते हुए चैतन्य और आदित्य दोनों एक साथ खड़े हो गए । और ये आपकी गर्दन को क्या हुआ ?
कमिश्नर साहब की गर्दन पर लगे गद्देदार पट्टी को देखकर चैतन्य ने पूछा ।
कुछ नही बस रात में सोते वक्त गर्दन अकड़ गयी है । कमिश्नर साहब ने गर्दन पर हाथ रखते हुए कहा ।
इससे पहले की कोई कुछ समझ पाता कमिश्नर साहब ने एक पुलिसकर्मी को इशारा किया । उसने झट से आदित्य को हथकड़ी पहना दी और कहा -अपको रितिका मर्डर केस में गिरफ्तार किया जाता है ।
आदित्य के साथ साथ चैतन्य भी चौंक गया ।
ये आप क्या कह रहे हैं सर । चैतन्य ने हैरान होते हुए कहा ।
मैं ठीक कह रहा हूँ .... उन्होंने अपने वाक्य को चबाते हुए कहा। आदित्य ने चैतन्य की ओर देखते हुए उसे शांत रहने का इशारा किया ।
लेकिन सर आपके पास कुछ तो सबूत होगा जिसके आधार पर आप आदित्य को गिरफ्तार कर रहे हैं ।
हाँ है न ....। क्यो मिस्टर सुयश ...!
क्या ?? सुयश और वो भी आदित्य ...? चैतन्य ने हैरानी भरे स्वर में कहा ।
यस मिस्टर चैतन्य... । सुयश ...ही आपका दोस्त आदित्य है ।
ये आप इतने विश्वास के साथ कैसे कह सकते हैं ?
विश्वास न हो तो तुम खुद पूछ सकते हो ।
कुछ देर के लिये चैतन्य का सिर चकरा गया ।
क्यों कुछ समझ मे आया मिस्टर चैतन्य ...। कमिश्नर साहब की आवाज़ सुनकर चैतन्य ने उनकी ओर देखा ।
ये educational ट्रस्ट चलाने वाले कोई और नहीं आपके दोस्त आदित्य ही है जिससे दस साल पहले रितिका खन्ना जुड़ी हुई थी ।
कमिश्नर आग्नेय त्रिपाठी ने मुस्कान चेहरे पर लाते हुए कहा - तुम लोग जिस आपरेशन RED CAT चला कर इस मर्डर की गुत्थी को सुलझा रहे हो उसमें अंतिम के दो अक्षर A और T आदित्य ठकराल ही बनते हैं । जिस R.ED की बात तुमलोग सुलझा रहे हो वो और कुछ नहीं बल्कि Ritika educational trust ही है ।
इस बात पर आदित्य और चैतन्य दोनों चौंक गए ।
तो इससे कहाँ साबित होता है कि आदित्य ने ही रितिका खन्ना का मर्डर किया है ।
मैं ये कहाँ कह रहा हूँ कि इसने ही मर्डर किया है । पर इसके और रितिका के पुराने संबंधों और बिजनेस के आधार पर शक तो जाता ही है ,और मैं शक के आधार पर ही इसे गिरफ्तार कर रहा हूँ । आप प्लीज सहयोग करें ।
सर मुझे आदित्य पर अब भी विश्वास नहीं हो रहा है कि यह मर्डर जैसे घिनौने काम मे शामिल हो सकता है ।
पैसा कुछ भी करा सकता है मिस्टर चैतन्य । कमिश्नर ने मुस्कान बिखेरते हुए कहा ।
मुझे अफसोस है सर मैंने ऐसे आदमी के साथ काम किया जिसने मेरे साथ साथ पूरे डिपार्टमेंट को धोखा दिया । आप इसे तुरंत यहाँ से ले जाएं । वरना मैं पता नहीं क्या कर बैठूँ इसके साथ ।
आदित्य ने चैतन्य को शान्त रहने का इशारा किया । और कमिश्नर से कहा - सर अगर आपकी इजाजत हो तो थोड़ी देर के लिए मैं चैतन्य से बात कर सकता हूँ क्या ?
ठीक है पर थोड़ी देर के लिए ...। एक जहरीली मुस्कान कमिश्नर के चेहरे पर ऊभरी ।
ओके सर । आदित्य ने सहमति में सिर मिलाया ।
इतना कह कर पुलिस वाले और कमिश्नर साहब बाहर निकल गए।
ये कमिश्नर साहब क्या कह रहे हैं तुम्हारे बारे में ? ये कैसे हो सकता है कि तुम्हारा कभी रिश्ता रितिका से रहा हो और तुमने मुझे बताया नहीं। तुमने मेरे साथ साथ पूरे डिपार्टमेंट को बदनाम किया है तुम्हे सजा मिलनी ही चाहिए ।
हाँ ये सच है पर कुछ और भी बातें है जो मैं तुम्हे बता रहा हूँ ....।
मुझे तुम्हारी कोई बात नहीं सुननी ।
पहले मेरी बात तो सुनो ।
मैंने कहा न मुझे कोई बात नहीं सुननी तुम जा सकते हो । चैतन्य ने गुस्से से बिफरते हुए कहा ।
बाहर से ही बड़े ही गौर से कमिश्नर साहब दोनों की गतिविधियों को देख रहे थे ।
कुछ देर बाद आदित्य थक कर बाहर आ गया और पुलिस की जीप में बैठ गया । कमिश्नर साहब अपनी गाड़ी में बैठ कर थाने के लिए निकल गए ।
दृश्य -6
अदालत का दृश्य । चारों तरफ खचाखच भीड़ । पाँव रखने को भी जगह नहीं बची थी । आज रितिका मर्डर केस की सुनवाई थी । जज साहब के आने की उदघोषणा हुई । जज साहब के केस की करवाई शुरू करने के आदेश के साथ ही दो तीन पुलिस वाले अदालत में आदित्य को लेकर आये और कटघरे में खड़ा कर दिया । केस की कार्यवाही शुरू हुई पब्लिक प्रोसिक्यूटर ने अपनी दलील पेश करते हुए कहा - मी लार्ड ये जो शख्स कटघरे में खड़ा है । यह एक ऐसा मुजरिम है जिसने रितिका खन्ना की बेरहमी से हत्या की है सिर्फ उसकी संपत्ति हथियाने को ...। ऐसे हत्यारे को किसी भी सूरत में माफ नही किया जाना चाहिए ।
आई ऑब्जेक्ट योर ऑनर ... आदित्य के वकील ने पब्लिक प्रोसिक्यूटर की बात काटते हुए कहा - बिना किसी ठोस सबूत या गवाह के आप ये कैसे बोल सकते है कि मेरे मुवक्किल ने ही रितिका खन्ना की हत्या की है ।
सबूत है जज साहब ...। अगर। आपकी इजाजत हो तो मैं कुछ सवाल आदित्य जी से करना चाहता हूं ।
इजाजत है ...।
( पीपी =पब्लिक प्रोसिक्यूटर )
पीपी :- आदित्य साहब आप ये बता सकते है कि आप रितिका खन्ना को कब से जानते थे।
आदित्य - पिछले दो सालों से ।
परन्तु आपने तो पुलिस को बयान में बताया है कि आप रितिका को पिछले दस सालों से जानते थे ।
आदित्य - हाँ ये भी सत्य है ।
ये किस तरह का सत्य है जज साहब यहाँ अदालत में कुछ और बयान दे रहे हैं और पुलिस को कुछ और ?
हाँ यही सत्य है । ये बात सही है कि मैं रितिका को दस साल पहले मिला था । मैंने उस समय एक नया बिज़नेस शुरू किया था एक्सपोर्ट इम्पोर्ट का । मेरे पास पूंजी की कमी थी तो मैने रितिका से मदद मांगी । चूँकि मैं और रितिका कॉलेज में साथ साथ पढ़े थे तो उसने मेरी मदद भी की । मेरा पूरा ध्यान अपने कारोबार पर था मैंने अथक परिश्रम और मेहनत से अपनी कंपनी खड़ी की । उसके पैसे वापस भी कर दिए । पर वह एक साइको थी जिसे अपने किसी भी काम को जुनून के रूप में लेने की आदत थी । पता नहीं वह जब मुझे पसंद करने लगी मुझे पता ही नहीं चला । मैंने इसी दौरान एक संस्था खोली जो गरीब लोगों के बच्चों को शिक्षा देने का काम करती थी । मेरी देखा देखी उसने भी एक educational ट्रस्ट बना लिया । चूंकि उसके पास पैसों की।।कमी तो थी नहीं । उसकी trust चल निकली । देश विदेश के कई नामी गिरामी शैक्षणिक संस्थाएं उससे जुड़ गई । उसने गलत काम करने शुरू कर दिए अपने सामाजिक कामों की आड़ में । जबकि उसके पास ढेर सारा पैसा था ।
फिर जब एक बार उसने मुझे एक विदेशी बैंक के सीईओ से मिलाया और मुझे बैंक में एकाउंट खुलवाने को कहा । मैंने मना कर दिया । मैं अपने देश के लोगों की मदद करना चाहता था न कि किसी विदेशी बैंक से मिलकर किसी तरह के गलत काम करना । मेरे मना करने के बाद वह मुझपर दबाव बनाने की कोशिश करने लगी । मैं उसकी मानसिक पागलपन को जानता था । वह एक बड़े घराने की थी । मैं समझ चुका था कि उसने गलत राह पकड़ ली है । समझाने की कोशिश भी की मगर सब व्यर्थ । हद तो तब हो गई जब उसने मुझे ब्लैकमेल करने की कोशिश की इस बात को लेकर कि अगर तुमने मेरा कहा नहीं माना तो मैं तुम्हारे सारे धंधे चौपट कर दूंगी । तुम्हे सरकार से जो पैसे अनुदान के रूप में मिलते है वह भी बंद हो जाएगी ।
मैं अपने वजूद के साथ कोई सौदा नहीं करना चाहता था न ही कोई समझौता इस लिए मैंने उससे दूर जाने के फैसला किया और अपने सारे कारोबार यहां तक कि अपने शैक्षणिक संस्था को भी बंद कर दिया और इस शहर में चला आया । अथक मेहनत के बल पर मैंने पुलिस फ़ोर्स जॉइन कर लिया और फिर अन्ततः क्राइम डिपार्टमेंट । यही मेरी कहानी थी मी लार्ड । हाँ ये सच है कि मेरे ताल्लुकात रितिका खन्ना के साथ रहे थे पर मैंने उसका खून नहीं किया । मैं भला उसे क्यों मारूंगा ?
पीपी : उसकी संपत्ति हड़पने को , जैसा कि सारे शहर को मालूम है कि वह एक बड़ी संपत्ति की मालकिन थी ,आपके पुराने ताल्लुकात भी रहे हैं तो जाहिर सी बात है कि आपके सिवा रितिका के सारे राज कौन जान सकता है ।
संबंध तो एसपी साहब से भी रहे है सर ...। आदित्य के वकील मिस्टर शशांक मनोहर ने उठते हुए कहा ।
आप कौन ?
सर मैं अदित्य ठकराल का वकील शशांक मनोहर । कहते हुए शशांक ने अपना वकालतनामा जज साहब की ओर बढ़ाया ।
यू मे प्रोसीड ... कहते हुए उन्होंने आज्ञा दी ।
सबसे पहले मैं पुलिस कमिश्नर मिस्टर आग्नेय त्रिपाठी जी से कुछ सवाल पूछने को विटनेस बॉक्स में बुलाने की इजाजत चाहता हूँ ।
इजाजत है ..।
पुलिस कमिश्नर आग्नेय त्रिपाठी आकर कटघरे में खड़े हो गए । वकील शशांक ने उनसे गीता की पुस्तक देकर सच बोलने की सौगंध खिलाई और पूछा - एसपी साहब मैं आपसे कुछ सवाल करने जा रहा हूँ उम्मीद है सच बोलेंगे ।
आग्नेय त्रिपाठी ने मुस्कुराते हुए कहा - वकील साहब आपसे गलती हो रही है मैं एसपी नहीं बल्कि पुलिस कमिश्नर हूँ ।
मुझे पता है सर ...आप पुलिस कमिश्नर है ,आपको गलत संबोधन के लिए क्षमा चाहता हूँ । आपसे जानना चाहता हूँ कि आप रितिका खन्ना को कब से जानते थे ?
ये कैसा सवाल है ? जाहिर सी बात है जब से मेरी पोस्टिंग कमिश्नर के तौर पर इस कमिश्नरी के लिए हुई है तब से जानता था मैं उन्हें । आग्नेय त्रिपाठी ने कुछ हिचकिचाते हुए कहा तो शशांक ने मुस्कुराते हुए कहा - ठीक से याद कीजिये सर ।
मुझे अच्छी तरह याद है । कमिश्नर त्रिपाठी ने झूठ बोलने की कोशिश की ।
तो फिर ये क्या है ....। एक फोटो जज साहब की ओर बढ़ाते हुए शशांक ने कमिश्नर साहब की ओर देखा ।
सारा कोर्ट रूम सन्नाटे में समा गया था । सबकी धड़कने बढ़ गयी थी कि आखिर उस फ़ोटो में क्या था ।
जज साहब ने गौर से देखते हुए कहा - मिस्टर त्रिपाठी आप तो कह रहे हैं कि आप रितिका खन्ना से इस शहर में आने के बाद मिले थे । पर इस फोटो में तो आप रितिका खन्ना के साथ दिख रहे है और आपके नाम के आगे एसपी दिख रहा है ।
इस पर कमिश्नर त्रिपाठी सकपका गए और बोले- मुझे नहीं पता ये फोटो इन्हें कहाँ से मिली और कैसे मिली ...? हो सकता है कि तस्वीर के साथ छेड़छाड़ की गई हो । पर इससे कहाँ साबित होता है कि मैंने ही रितिका का कत्ल किया गया है ? या ये भी हो सकता है कि किसी पार्टी में ये तस्वीर खींची गई हो जहाँ इत्तेफाक से एक ही तस्वीर में हमदोनों आ गए हों ।
शशांक ने मुस्कुराते हुए कहा - जी जज साहब ये बात हो सकती है कि तस्वीर के साथ छेड़छाड़ की गई हो या फिर इत्तेफाक से दोनों की तस्वीर एक साथ खींच ली गयी हो । पर इसे कैसे झुठला सकेंगे त्रिपाठी सर । कहते हुए शशांक ने एक वीडियो कैसेट जज साहब की ओर बढ़ाया और अदालत में ही उसे दिखाने का आग्रह किया ।
अदालत में ही उस वीडियो को दिखाया गया । जिसमें साफ साफ दिखाई और सुनाई दे रहा था कि कमिश्नर त्रिपाठी हँस हँस कर रितिका खन्ना से बातें कर रहे थे ।
जज साहब ने कमिश्नर त्रिपाठी की ओर देखते नए कहा - मिस्टर त्रिपाठी अपने अदालत से झूठ बोलकर अदालत की तौहीन की है । क्या आप जानते है कि अदालत में झूठ बोलने के एवज में आपको सजा भी हो सकती है ।
अचानक त्रिपाठी का चेहरा उतर गया । इन्होंने हाथ जोड़ते हुए कहा - मी लॉर्ड मुझे उस बात के लिए माफ कर दिया जाए की मैने रितिका खन्ना से मिलने की बात छुपाई । पर ये बात मैं अब भी कहना चाहूंगा कि सिर्फ बात कर लेने या मिलने से साबित नहीं होता कि मैंने ही रितिका खन्ना को जान से मारा है ।
इस बीच पब्लिक प्रोसिक्यूटर ने उठते हुए कहा - आई ऑब्जेक्ट योर हॉनर... जज साहब मेरे मुवक्किल को जबरदस्ती इस केस में घसीटा जा रहा है । उन्हें फंसाने की कोशिश की जा रही है । कल को अगर मेरे साथ भी रितिका खन्ना की जान पहचान निकल जाए तो क्या मैं भी रितिका खन्ना का हत्यारा घोषित कर दिया जाऊंगा ?
शशांक ने बीच मे ही उठते हुए कहा - नहीं जज साहब मैं ये नहीं कह रहा हूँ कि सिर्फ जान पहचान होना ही हत्यारा साबित करता है इन्हें । अभी कुछ और सबूत है मेरे पास जो इन्हें गुनाहगार साबित करता है । मैं अदालत में इनके एक पुराने साथी और मददगार मिस्टर चतुरानन मिश्रा जी को पेश करना चाहता हूँ जो इनके कलिग है और इनके ही डिपार्टमेंट में सब इंस्पेक्टर हैं ।
सबने देखा। कमिश्नर साहब का चेहरा उतर गया था।
इजाजत है । दूसरे कटघरे में चतुरानन जी को बुलाया गया शशांक ने उन्हें कसम दिलायी और कहा - मिस्टर चतुरानन जी मैं कुछ कहूँ या आप खुद ही सच्चाई बताएंगे ।
चतुरानन जी ने कहा - जज साहब मुझे जितनी जानकारी है मैं सब कुछ सच सच बताने को तैयार हूं ..। हाँ मैंने इनका सहयोग किया है । चूँकि ये मेरे सिनियर थे तो मुझे इनक़ी मदद करनी पड़ी । मैंने इनके कहने पर आदित्य से एक कगज का टुकड़ा छीन कर भागा था पर मुझे पता नहीं कि उस कागज के टुकड़े में क्या था । मैं बस इतना ही जानता हूँ कि जो भी किया इनके अंदर काम करने के एवज में किया ।
ठीक है आप जा सकते है । कहते हुए शशांक ने कटघरे में चैतन्य को बुलाने की इजाजत मांगी । कुछ देर में चैतन्य भी कटघरे में खड़ा दिखाई दिया । शशांक ने चैतन्य से कहा - सर आप कुछ बताएंगे कि उस कगज में क्या लिखा था ।
चैतन्य ने गीता में हाथ रखकर कसम खायी और कहा - जज साहब मैं उस कागज के बारे में कुछ भी कहने से पहले कुछ और बताना चाहता हूँ । रितिका खन्ना मर्डर के बाद मुझे और आदित्य को उस केस के अनुसंधान का काम सौंपा गया था । जिस समय रितिका के लाश का पंचनामा तैयार किया जा रहा था उस समय वहां कमिश्नर साहब भी मौजूदथे । मेरे हाथ दो चीज लगी थी । पहला वो कागज जा टुकड़ा जो डस्टबिन में रद्दी कागजों के बीच पड़ी थी । दूसरी एक डायरी जिसमें किसी ने रितिका की हत्या की गुत्थी को सुलझाने के लिए हत्यारे ने हमारे लिए एक चैलेंज छोड़ा था ।
जिसमें लिखा था
" R.ED. C.A.T. "
मैंने और आदित्य ने इस गुत्थी सुलझाने के लिए बहुत मेहनत की । और एक एक अक्षर को बारीकी से जांच किया ।
R का अर्थ था रितिका
ED का अर्थ था एजुकेशनल ट्रस्ट परंतु CAT का अर्थ था नहीं मिल पाया था । हम एक ठोस नतीजे तक पहुँचे भी नहीं थे कि अचानक ही कमिश्नर साहब पहुंच गए। जिससे हमारा शक और गहरा गया क्योंकि हमने डायरी की बात किसी को नहीं बताई थी । फिर इन्हें ऑपरेशन RED CAT के बारे में किसने बताया । खुद कमिश्नर साहब ने कहा कि अंतिम के दो अक्षर A.T . का मतलबकहीं आदित्य ठकराल तो नहीं ।
तब हमारे दिमाग में किसी के नाम फिट करने की बात कौंधी । अब मुझे लगता है कि
c का अर्थ चतुरानन मिश्रा और
"A T " का अर्थ आग्नेय त्रिपाठी है ।
मतलब ये डायरी आग्नेय त्रिपाठी की ही चाल थी वह हमें चैलेंज करना चाहते थे कि हम नतीजे तक नहीं पहुंच पाएंगे । अब उस कागज के टुकड़े पर आते है । उस कागज के टुकड़े पर हमें कुछ लिखी हुई राशि के चिन्ह नजर आए । हमने इंफ्रा रेड तकनीक की सहायता से देखी तो पता चला कि उसमें 100 मिलियन डॉलर के लेनदेन का जिक्र था ।
इतनीं बड़ी रकम आखिर किसके साथ रितिका कर सकती है । वह भी डॉलर में ..! इसी की जानकारी लेने हम रात के अंधेरे में दुबारा रितिका के घर मे गए । जहां बाद में कमिश्नर साहब और चतुरानन जी भी पहुँच गए। उन्हें पता नहीं था कि वहाँ हम पहले से ही मौजूद है । जहां रितिका खन्ना की मौत हुई थी उसके बगल वाले कमरे में कमिश्नर साहब की झड़प आदित्य से हुई । कमिश्नर साहब को पता भी नही चला कि कब उनकी और रितिका की पार्टी वाली फ़ोटो तस्वीरों के एल्बम से नीचे गिर गयी । वे शायद उसी एल्बम को हासिल करने गए थे जिसमें कई सारी तस्वीरें उन दोनों की थी । झड़प के बीच वे इस बात को भूल गए कि जिस कागज के पैड पर 100 मिलियन डॉलर का हिसाब किताब था उसे साथ लेना भूल गए और किस्मत से मेरे हाथ लग गयी । कागज जिसमे ये हिसाब लिखा था वह तो हमें नहीं मिला पर वह पैड मिल गया । मैं कल रात को कमिश्नर साहब के घर गया था जहाँ इनके बेड में बिछाए गददे के अंदर मुझे ये असली कागज का टुकड़ा मिल गया । जिसमें लिखावट कमिश्नर साहब की है । जो ये साबित करता है कि पैसों की लेनदेन कमिश्नर साहब और रितिका के बीच हुई थी । अब हत्या इन्होंने क्यों और कैसे की ये तो कमिश्नर साहब ही बता सकते हैं ।
पूरी कोर्ट रूम में पिन ड्राप साइलेंस था । सब अपनी सांस थामे एकाग्रचित्त होकर सुन रहे थे । केस कभी आदित्य की ओर मुड़ता तो कभी कमिश्नर साहब की ओर । कभी कातिल आदित्य लगता तो कभी कमिश्नर त्रिपाठी ।
तभी पब्लिक प्रोसिक्यूटर ने उठते हुए कहा - आई ऑब्जेक्ट योर हॉनर । पता नहीं त्रिपाठी सर से क्या दुश्मनी है क्राइम डिपार्टमेंट वालों को और क्यों फंसाना चाहते है । पर इतना जरूर है कि वे कमिश्नर साहब को एक फर्जी केस बना कर , झूठे गवाह और सबूत पेश कर इन्हें जानबूझ कर कातिल साबित करना चाह रहे हैं।
ये आप किस बिनाह पर आप कह सकते है ? क्या आपके पास कोई सबूत है ? जज साहब ने पब्लिक प्रोसिक्यूटर से कहा । इसपर वकील ने मुस्कुराते हुए कहा - है जज साहब एक ठोस वजह है । अभी चैतन्य जी ने कहा कि इनके पास दो सबूत है एक वह कगज का टुकड़ा और एक वह डायरी । जिसपर इनका कहना है कि इस डायरी के माध्यम से कमिश्नर साहब ने इनको चैलेंज किया और उस 100मिलियन डॉलर वाले कागज में लिखी लिखावट उनकी ही है जो उनके गद्दे के बीच से निकली है , फिर तो दोनों लिखावट मिलनी चाहिए । योर हॉनर मेरी दरख्वास्त है कि दोनों के लिखावट को मिलाई जाये और किसी राइटिंग एक्सपर्ट को बुला कर कागज , डायरी और कमिश्नर साहब की लिखाई तीनो की मिलान की जाए ।
अचानक आये इस दलील से सब कोई शांत हो गया वहाँ । जज साहब ने ध्यान से कुछ देर सोचा और किसी राइटिंग एक्सपर्ट को बुलाने को कह मध्यांतर की छुट्टी दी और एक घंटे बाद कार्यवाही जारी रखने को कहकर अपनी जगह से उठ गए । सारे उपस्थित लोगों के बीच काना फुसी होने लगी । आदित्य और कमिश्नर साहब को पुलिस ने अपनी कस्टडी में ले लिया ।
लगभग एक घंटे में ही सुनवाई फिर से शुरू की गई ।
सारा कोई शांत था । सामने ही एक राइटिंग एक्सपर्ट बाद ही ध्यान से तीनों चीज़ों की मिलान कर रहा था । फिर अपनी रिपोर्ट बनाई और जज साहब के टेबल की तरफ बढ़ाया । कुछ देर की खामोशी के बाद जज साहब ने फैसला सुनाया ।
" तमाम सबूतों गवाहों और राइटिंग एक्सपर्ट के किये गए जांच के आधार पर अदालत फैसला सुनाती है कि मिस्टर आदित्य ने ही रितिका खन्ना की हत्या की है । इसलिए इन्हें दफा 302 के तहत उम्र कैद की सजा सुनाई जाती है। और पुलिस कमिश्नर मिस्टर आग्नेय त्रिपाठी को रितिका की हत्या की साजिश रचने हत्या का प्रयास करने और उनकी संपत्ति हड़पने की साजिश के जुर्म में पांच साल की सजा दी जाती है और सरकार को आदेश देती है कि उनकी सारी बेनामी और अवैध संपत्ति की जाँच के लिए एक कमेटी का गठन करे । परंतु यहाँ उपस्थित सारे लोगों के बीच खुलासा होना बाकी है इसलिए आगे वे खुद बताएंगे कि आदित्य ने क्यों ऐसा किया ।"
जज साहब के फैसले से मानो एक भूचाल आ गया । सब अपनी अपनी जगह बैठे एक दूसरे का मुंह ताकने लगे । लोगों के बीच कानाफूसी शुरू हो गयी ।
आर्डर आर्डर ...आर्डर ।
सब कोई शांत हो गए ।
इधर आदित्य कटघरे में खड़ा खामोश हो गया था । उसने सपने में भी नहीं सोचा था कि इतनीं सफाई से काम करने के बाद भी वह पकड़ा जाएगा । कहते है न जुर्म कितनी भी चालाकी से की जाए कुछ न कुछ सबूत गुनाहगार छोड़ ही जाता है । काश उसने अतिउत्साह में एक छोटी सी भूल न कि होती, वह डायरी न छोड़ी होती तो आज वह नही बल्कि कमिश्नर त्रिपाठी हत्या के जुर्म में बंद होते ।
जज साहब ...। मैं अपना गुनाह कबूल करता हूँ । कहानी शुरू होती है जब मैंने अपना एक छोटा सा एक्सपोर्ट इम्पोर्ट का बिजनेस शुरू किया था । चूँकि मैं बिजनेस में नया नया था मेरी मदद की मेरी कॉलेज की एक दोस्त रितिका खन्ना ने । वह एक बड़े बिजनेसमैन की बेटी थी । उसके पास बहुत पैसा था । उसने मेरा बिजनेस सेट अप करने में मेरी बहुत मदद की । मेरा बिजनेस चल निकला । मैंने उससे लिए रुपये वापस कर दिए । मैंने एक एजुकेशनल संस्था खोली । जिसमें गरीब और कमजोर लोगों के बच्चों को शिक्षा देने का काम करती थी । मुझे देख रितिका ने भी एक एजुकेशनल ट्रस्ट खोला । मैं स्वतंत्र रूप से अपना बिजनेस करने लगा । मुझे बाद में पता चला कि वह एक साइको थी । वह मुझे प्यार के नाम पर जबरन शादी के लिए दबाव डालने लगी । मैंने उसे लाख समझाया पर वह किसी भी कीमत पर मानने को तैयार ही नहीं थी । उल्टा मुझे ब्लैकमेल करने की कोशिश करने लगी । हमारी दोस्ती को संबंध का नाम देने की कोशिश करने लगी । मेरी शैक्षणिक संस्था के विरुद्ध अपने पैसे औऱ ताकत का इस्तेमाल करने लगी ।
उस समय वहां के एसपी आग्नेय त्रिपाठी हुआ करते थे । पार्टियों में मिलना जुलना हुआ करता था । मुझसे जान पहचान नही हुई थी । पर जितना मैं जानता था उनके बारे में वे एक कड़क पुलिस ऑफिसर की हुआ करते थे । पर एक अरसे के बाद मुझे पता चला कि उनका संबंध एक बड़े अंतरराष्ट्रीय अपराधियों के गिरोह से था जो तरह तरह के गैरकानूनी धंधों मे लिप्त थे ।
मेरा बिजनेस में घाटे में जा रहा था । इस कारण मैंने अपना बिजनेस बन्द करने की ठानी ताकि यहाँ से चला जाऊँ । पर यहाँ भी उसने अड़ंगा डाल दिया और मुझसे शादी करने का दबाव बनाया जिसे मैंने ठुकरा दिया । उसने मेरे खिलाफ कई तरह के आरोप लगा दिए और मुझे झूठे केस में फंसा दिया। इस हादसे में मेरी माँ की मौत हो गयी । पुलिस ने मुझे गिरफ्तार कर लिया । यहाँ मेरा साथ दिया मेरे साथी चैतन्य ने । उसी ने मेरा केस रफादफा कराया । मैं उसके साथ ही इस शहर में चला आया । हम दोनों ने कड़ी मेहनत करके पुलिस फ़ोर्स जॉइन किया और फिर क्राइम डिपार्टमेंट के बेस्ट ऑफिसर बन गए। पर दुर्भाग्य ने मेरा पीछा नहीं छोड़ा एक अरसे बाद मेरी मुलाकात फिर से उस रितिका खन्ना से हो गयी जो अब एक जानी मानी सोशल एक्टिविस्ट और पत्रकार बन गयी थी।अचानक ही मुझसे एक केस के सिलसिले में मुलाकात हो गयी। उसके बाद मेरे न चाहते हुए भी उसने मुझसे जबर्दस्ती मिलना जारी रखा । तब तक एसपी आग्नेय त्रिपाठी कमिश्नर बन चुके थे । उनकी अब एक अलग रुतबा था । उनके पास इतना पैसा कहाँ से आया कैसे आया ये जानने और पूछने की हिम्मत पुलिस डिपार्टमेंट में नहीं थी । पता नहीं क्यों ये जानने के बाद कि कमिश्नर साहब और रितिका खन्ना के बीच अवैध ताल्लुकात हैं , इसी रितिका खन्ना की वजह से मेरी माँ की जान गई और मुझसे सम्बंध रखने की जिद ..इसी वजह ने मुझे उसकी जान लेने को मजबूर कर दिया । और मेरी योजना तब पूरी होती नजर आयी जब मुझे पता चला कि कमिश्नर त्रिपाठी उसकी संपत्ति हड़पने को उसे मारने वाले है । ये बात मुझे उनके साथी चतुरानन मिश्रा ने शराब के नशे में बतायी । मैंने एक योजना बनाई और राइटिंग एक्सपर्ट की मदद से एक डायरी लिखवाई और पुलिस को गुमराह करने को R.ED C.A.T. वाली बात लिखी । मैंने ये बात चैतन्य को भी नहीं बतायी । न ही चतुरानन मिश्रा को । एक रात मैं डायरी रखने रितिका के घर गया तो देखा कि 100 मिलियन डॉलर वाली बात को लेकर रितिका और कमिश्नर साहब के बीच बहस हो रही थी। बहस इतनीं बढ़ चुकी थी कि कमिश्नर साहब ने बंदूक निकाल ली । मैने मौका देखा और कमिश्नर साहब के पीछे से सायलेंसर लगी बंदूक से गोली चला दी । उन्हें लगा कि उनके हाथ से गोली चली है । देखा कमिश्नर साहब उसकी मृत शरीर के मुआयना करने में व्यस्त थे । मैंने डायरी एक टेबल के दराज में रख दी और चुपचाप निकल गया । उस डायरी को शायद कमिश्नर साहब ने भी पढ़ा था । पर किसी काम का न सोचकर वहीं छोड़ दिया पर 100 मिलियन हिसाब वाले पैड के पहले पेज को फाड़ा और अपनी जेब मे रख लिया । दुर्भाग्य वश दो पेज एक साथ फट गए जिसका एक पेज उन्होंने डस्ट बिन में फेंक दिया ।
मैंने जान बूझकर चैतन्य को डस्ट बिन से सबूत ढूंढने को कहा । और किस्मत से उसे वो कागज मिल भी गया । पैड मुझे पहले ही मिल चुका था ।
इतना कहकर आदित्य थोड़ी देर के लिए चुप हो गया ।
फिर कुछ देर बाद बोला - ऑपरेशन R.ED C.A.T. में इस्तेमाल C का अर्थ चैतन्य , AT का अर्थ आदित्य ठकराल था, न कि आग्नेय त्रिपाठी । मगर चैतन्य ने कुछ भी नहीं किया है । सारा गुनाह मेरा था । मैंने बदले की भावना वश , मेरी जिंदगी में तमाम मुश्किलें खड़ी करने वाली रितिका को मारने जा प्लान बनाया ।
पूरा कोर्ट रूम एक गहरे सन्नाटे में डूब गया था ।
चैतन्य भावनाशून्य हो चुपचाप आदित्य को देखे जा रहा था ।
लोगों के समझ मे नहीं आ रहा था कि कौन गुनाहगार था । क्या रितिका अपनी मौत की खुद ही जिम्मेदार थी ? क्या आदित्य ठकराल ने रितिका का कत्ल कर सही किया था ? यह एक विचारणीय प्रश्न था जिसे सारे लोगों को सोचना था ।
समाप्त