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दिनेश कुमार कीर

10 अध्याय
1 व्यक्ति ने लाइब्रेरी में जोड़ा
1 पाठक
13 फरवरी 2024 को पूर्ण की गई
निःशुल्क

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tlaash

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पुस्तक के भाग

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9 फरवरी 2024
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वो हमारी मुलाकातेंऔर रात भर की मीठी मीठी बातेंन जाने कब तुम मुझसे इतना दूर हो गएहम एक दूसरे से अलग होने को मजबूर हो गएजब भी वह बीते हुए पल याद आतीदिल जोर से धड़कता है और आंखों में आंसू आजाते हैं।जाने

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9 फरवरी 2024
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एक किताब सी जिंदगी मेरी..!एक खुली किताब सी है ये जिंदगी मेरी.जिस पर कहीं खुशी के पल,तो कहीं गम लिखा है,जिस पन्ने पर फिर भी जैसा लिखा है,मैंने हर पन्ने को,उतनी ही खुबसूरती से पढ़ा है,कभी किसी सुबह कोई

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9 फरवरी 2024
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यू तो समझदार हूसबको बातें समझा जाती हूंफैसला लेना हो जब खुदकी ज़िन्दगी का,ना जाने क्यूं भटक जाती हूं।पहली मोहब्बत से जब उभरी,तो सोचा ये गलती दुबारा नहीं करूंगी।पर बेह कर उन जज़्बातों में,फिर मोहब्बत क

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9 फरवरी 2024
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मुझे कॉल करनातुम कभी उदास हो, रोने का दिल करे, तो मुझे कॉल करना।शायद मैं तुम्हारे आस् न रोक पाऊँ, पर तुम्हारे साथ रोऊँगा जरूर..कभी अकेलेपन से घबरा जाओ, तो मुझे कॉल करना,शायद मैं तुम्हारी घबराहट न मिटा

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9 फरवरी 2024
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हम अपनी गज़लों में भी तुझसे इज़हार करते हैमहफिलों में भी तेरा ज़िक्र बार बार करते हैतेरी लिए जीते है और तुझी पे जां कुर्बान करते हैहम तेरे लौटने की दुआ आज भी यार करते है।रूठी रूठी रहती है अब मेरी नज़म

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10 फरवरी 2024
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मुझ को तेरा शबाब ले बैठारंग, गोरा गुलाब ले बैठादिल का डर था कहीं न ले बैठेले ही बैठा जनाब ले बैठाजब भी फ़ुर्सत मिली है फ़रज़ों सेतेरे रुख की किताब ले बैठाकितनी बीती है कितनी बाक़ी है।मुझ को इस का हिसा

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10 फरवरी 2024
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रख सकों तो एक निशानी हूँ मैंखो दो तो सिर्फ एक कहानी हूँ मैंरोक ना पाए जिसको ये सारी दुनियावो एक बूँद आँख का पानी हूँ मै...सबकों प्यार देने की आदत हैं हमेंअपनी अलग पहचान बनाने की आदत हैं हमेंकितना भी ग

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10 फरवरी 2024
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मैंने कब कहाकी मैं तुमसे नाराज हूँ?बस हर रात अबबात करने का मन नहीं करता..,तुम्हे खोने से अब दिल नही डरता..।ना अब बरसात में तुम्हारी याद आती है..और ना जाने क्युं रातें भी अब,तुम्हारे ख्वाब नही दिखाती ह

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10 फरवरी 2024
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काश तुम चाहो मुझे मेरी तरह औरमैं बन जाऊ तेरी तरह...काश तुम इंतजार करो मेरा मेरी तरह औरमैं ना आऊ तेरी तरह..काश तुझे भी तकलीफ हो मेरी तरह औरमैं पत्थर बन जाऊं तेरी तरहकाश तुम भी तरसो मेरी तरह और...मैं सो

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11 फरवरी 2024
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धुंआ बन बन के उठते हैं हमारे ख्वाब सीने सेपरेशान हो गए ऐ ज़िन्दगी घुट घुट के जीने सेहमें तुफ़ान से टकरा के दो दो हाथ करने हैं।जिसे साहिल की हसरत हो उतर जाए सफ़ीने सेचले तो थे निकलने को, पलक पर थम गये

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