खुवाइशे तो देख मेरी तू ....
अंजाम तय है फिर भी खिलने की तमन्ना रखता हूँ।
खिलता हु कांटो के दामन में...
फिर भी दिलो को जोड़ने की आरज़ू रखता हूँ।
छोटी है सांसो की गिनती...
लेकिन डोली से जनाजे तक अहमियत में खास रखता हु।
तोड़ लेता है हर कोई बेगाना कलियो से,
फिर भी उसके मुकमल को अंजाम देता हु।
~डॉ. प्रकाश चौधरी