कहाँ बेच पायेगा वो अपनी क़िस्मत,
शहर तो महँगाई का ढोंग लिए बेठा है....
कैसे मिल पायेगी उसको रोटी,
गली में हर कोई रमज़ान किए बेठा है....
~डॉ. प्रकाश चौधरी
22 फरवरी 2017
कहाँ बेच पायेगा वो अपनी क़िस्मत,
शहर तो महँगाई का ढोंग लिए बेठा है....
कैसे मिल पायेगी उसको रोटी,
गली में हर कोई रमज़ान किए बेठा है....
~डॉ. प्रकाश चौधरी