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प्रतिबिंब : हिस्ट्री रिपिट्स

29 अक्टूबर 2021

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             2099 नए साल की सुबह आयुष का घर संभालने वाला ह्यूमनॉइड रोबॉट मैक्स की चेस्ट पर लगे डिसप्ले से 2098 साल हट गया | उसने मैजिक जैसे अपनी नजर घुमाते हुए बड़ी सी बाल्कनी के परदे खोल दिये | सुनहरी धूप से कमरा चमक उठा | 
"मैक्स..! परदे बंद करदो...सोने दो.." - आयुष बिना आँखे खोले ही चिल्लाया | 
रोबोटिक साउंड : "सॉरी आयुष..! पर आज आपको ADI ब्यूरो जाना हैं | कल आप एस्ट्रोनॉट ट्रेनिंग के लिए हिमाचल रवाना होंगे फिर माँ और पापा से नहीं मिल पाएंगे |" मैक्स ने अपनी रोबोटिक आवाज से आयुष को दिनभर के सारे काम बता भी दिए और प्रोजेक्टर ऑन करके दीवार से सटे बड़े से डिस्प्ले पर दिखा भी दिए | आज का वेदर रिपोर्ट और कौनसे रास्तेपर कितना ट्रैफिक हैं यह भी दिखा दिया | मैक्स चुप होने का नाम नहीं ले रहा था | लिहाज़ा आयुष को उठाना हि पडा | आयुष के अकेलेपन का एकमात्र साथी मैक्स हैं | वैसे माँ और पापा से मिलने के लिए आयुष बेताब था | उसने जल्दी जल्दी में सब काम निपटा लिए | मैक्स तो ने ब्रेकफास्ट रेडी रखा ही था | आयुष ने अपने लिए 'क्लाउड्स' बुक की, यह कैब कंपनी का प्रचलित नाम हैं | बाल्कनी के सामने ही 'क्लाउड्स' कैब आ गई और आयुष के बैठतेहि हवा से बातें करती हुई कैब उड़कर निकल गयी | बाहर सूरज की गरमी से हाल बेहाल हैं | जंगलों का नामोनिशान मिटता नज़र आ रहा हैं | बारिश हर साल कम होने लगी हैं या फिर वक्त बेवक्त कभीभी होती | बचे कूचे पेड़ लगाने और उन्हें बचाने का काम जोरों से चल रहा हैं, पर कई पेड़ पौंधों की प्रजातियाँ नष्ट हो चुकी हैं | परिणाम स्वरूप हर तरफ आर्टिफिशियल पेड़ लगे हैं जो वक्तपर हवा में ऑक्सीजन छोड़ रहे हैं | रास्ते ट्रैफिक से जैम है पर इन उड़नेवाली कारों से थोड़ी राहत मिलती | अब ईनकी बदौलत कहीं समय पर पहुँचना आसान हैं | लेकिन अब तो आसमान में भी ट्रैफिक की चिंता बढ़ने लगी हैं | 
          पर आयुष को तो आसमान से भी ऊपर ब्रम्हांड की खोज करनी हैं | ब्रम्हांड के रहस्यों को जानने में उसे खास दिलचस्पी हैं | अब तो सुना है कि सूरज के उस तरफ पृथ्वी से मिलता जुलता एक ग्रह पाया गया हैं | जो बिल्कुल हमारी इस पृथ्वी से मेल खाता हैं | जिसे सायंटिस्ट अर्थ 2 कहते हैं | शायद वहाँपर जीना सम्भव हो ? हो सके तो यहाँसे लुप्त हुए जीवित हर प्रजाती के पौंधे और जानवर अर्थ 2 से लाकर पुनः अपने पृथ्वी सजीव किया जा सकें ? अपनी असंतुलित पृथ्वी पर शायद पुनः संतुलन बनाया जा सकता हैं | अनेकों संभावनाएं थी और उसके लिए अर्थ 2 पर जाकर विश्लेषण करना जरूरी हैं | अगर हमारी तरह मानव या कोई ऐसा जीव वहाँपर हो जिन्हें हम एलियन कहते हैं | तो क्या वे हमें अपने प्लेनेट पर आने से रोकेंगे तो नहीं ? बहोत से तर्क - वितर्क और संभावनाएं, असंभावित ख़तरों की चर्चा आजकल रोज मिडिया की  विषय बन चुके हैं | आयुष को भी यह सोच परेशान करती रहती और इसीलिए बड़ी सी टेलिस्कोप से वह ब्रम्हांड का सदैव निरीक्षण करते रहता |
           आयुष को बचपन से ही स्पेस के विषय में बड़ी रुचि रहीं हैं | उसके सभी खेल स्पेस के इर्दगिर्द घूमते | अपने छोटेसे कमरे की छत पर रात के अंधेरे में टिमटिमाती गैलेक्सी ईसी का हिस्सा हैं | आयुष जैसेजैसे बडा होते गया उसकी स्पेस के प्रति दिलचस्पी और भी बढ़ती गयी | ISET इंडियन स्पेस एज्युकेशन ऑफ टेक्नोलॉजी से मास्टर्स डिग्री हासिल करने के बाद पायलट ट्रेनिंग प्रोग्राम में भी गोल्ड मेडल पाने पर आयुष की ख़ुशी का तो ठिकाना न रहा | वह अब अपने सपने के आखरी पड़ाव पर आ पहुंचा... एस्ट्रोनॉट बनने का सपना..! जाकर यह बात कब पापा और माँ से शेअर करूँ ऐसी उसकी हालत हो रही हैं | पर एयर फोर्स में पायलट रह चुके आयुष के पापा एक दुर्घटना में मारे जा चुके थे और उनके गुजरने के बाद सालभर बीमारी से जुंझती उसकी माँ भी आयुष को जीने के लिए अकेला छोड़ चल बसी | यह तो अब टेक्नोलॉजी का कमाल हैं जिसके चलते इस दुनिया को छोड़ चुके अपने परिजनों की मेमरी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में फीड करने से होलोग्राफिक इमेज में वह इंसान मरने के बाद भी केवल अपनी मेमरी के जरिए जिंदा रह सकता हैं चाहे जितने साल | और हम उनसे बातें भी कर सकते हैं | ADI (आफ्टर डेथ इंटेलिजेंस) ब्यूरो पहुँचते ही आयुष के मस्तिष्क में लगी चिप डिटेक्ट होनेपर उसे अंदर जाने की इजाजत मिल गयी | आयुष सरकारी स्पेस एजेंसी के लिए काम करता था लिहाज़ा उसके मस्तिष्क में एक चिप लगाई गई थी | आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ईतना आगे बढ़ चुका हैं कि, सरकारी काम करनेवाले हर व्यक्ति के मस्तिष्क में एक चिप लगाई जाती जो सीधे तौर पर इंटरनेट से कनेक्टेड हैं | जो कि भगवान से बातें करने जैसा था | मन में सवाल उठते ही हर तरह की जानकारी अपने आप दिमाग़ में लोड हो जाती | जिससे हमारा दिमाग़ दस गुना ज्यादा तेज़ हो जाता | ADI (आफ्टर डेथ इंटेलिजेंस) ब्यूरो में आज होलोग्राफिक इमेज में न जाने कितने लोग हँसते-हँसाते, मिलजुलकर जी रहे हैं | आयुष की नजरें माँ और पापा की खोज रहीं हैं आखिर उन दोनोंको किसी चिजपर बहस करते देख आयुष की आँखों में चमक दिखाई देने लगी वो दौड़कर उनके पास पहुँचा | 
"मुझे अच्छी तरह याद हैं ट्वेल्थ के रिजल्ट के दिन आयुष ने रेड टीशर्ट पहनी थी |" - माँ अपने मुद्देपर अड़ी थी |
"अच्छा बाबा ठीक हैं तुम जीत गई मैं हारा | उफ़्फ़..! तुम और तुम्हारी याददाश्त |"
"क्या पापा ! माँ ठीक ही तो कह रही हैं | मैंने रेड टीशर्ट ही पहनी थी | वैसे आपको कैसे याद होगा ? आप तो ड्यूटी पर थे |" 
"अरे..! पता हैं..! मैं तो बस तेरी माँ को उकसा रहा था |"
"आप भी ना पापा..!" तीनों चलते चलते बड़ी सी लॉबी की खिड़की से सटे बात करने लग गए | आयुष से खुशखबरी सुनते ही उसके माँ और पापा खुशी से झूम उठे | अब तो एस्ट्रोनॉट ट्रेनिंग के लिए रशिया या अमेरिका जाने की भी जरूरत नहीं हैं ईतनी बेहतरीन ट्रेनिंग इंडिया में ही शुरू हो चुकी हैं | बल्कि उससे कई गुना उमदा तकनीक आज भारत में आ चुकी हैं | भारत टेक्नोलॉजी में सर्वश्रेष्ठ देश माना जाने लगा हैं | सुपर पॉवर | ईसके परिणाम स्वरूप आप खिड़की से बाहर झांकेंगे तो पता चलेगा | रास्ते, गली, मोहल्ले हर जगह रोबॉट्स तैनात हैं | झोपड़पट्टीयाँ गायब होकर उनकी जगह बादलोंको छूती काँच की इमारतों ने ले ली हैं, चमचमाती बुलेट ट्रेनें, फ्लाई ओव्हरब्रिज तो पज़ल की तरह जाल बिछाते जा रहा हैं | क्राईम रेट ना के बराबर | स्वच्छ भारत का सपना कबका पूरा हो चुका हैं | वैसे तो हमारा प्लेनेट आधे से ज्यादा वीरान और बंजर हो चुका हैं | कॉन्क्रीट के जंगल ईतने बढ़ चुके हैं कि पेडोंका नामोनिशान मिट गया हैं | फिर भी एकमात्र भारत में ऐसी सुविधा दिखाई देती हैं जहाँपर आर्टिफिशियल पेड़ हवा में ऑक्सीजन छोड़ते रहते जिसका टैक्स आम लोगोंको देना पड़ता | चारों ओर हरियाली दिखाई देती जो झूठमुठ की ही सही पर काम असली जैसा करती  | हर नागरिक ने अपना छोटासा ही सही बाग़ीचा रखना सख़्त हो गया हैं | अब क़ानूनन हर एक शादीशुदा जोड़ों को केवल एक ही बच्चा अपने साथ रखने की अनुमति हैं | एक से ज्यादा बच्चे होनेपर उन्हें  मिलिटरी या देश हित के कारण सरकारी ट्रेनिंग कैम्पों में भरती करवाना पड़ता | गरीबी पूरी तरह हट गई हैं और भारत विकास की चरम सीमा पर हैं | बाकी देशों से कई गुना ज्यादा तरक़्क़ी भारत कर रहा हैं | यू.एस. से भी बेहतरीन टेक्नोलॉजी से युक्त हॉस्पिटल्स आज भारत में हैं | स्टेम सेल्स का उपयोग कर हर बीमारी से निज़ात पाना संभव हो चुका हैं | पर्यावरण के बारे में सतर्क रहने से पानी की किल्लत से हमें जुंझना नहीं पड़ रहा | बल्कि आज भारत एकमेव ऐसा देश हैं जो पानी का निर्यात करता हैं | और सब पानी के लिए भारत पर निर्भर हैं | पोल्यूशन और पॉप्युलेशन दोनो पर नियंत्रण पाने से हमारा देश आदर्श बन चुका हैं, पर ईसके बावजूद हमारा जीवनकाल सिर्फ हमारे देश पर निर्भर नहीं  बल्कि हमारा प्लेनेट ही अगर न रहा तो हमारा अस्तित्व भी जल्द ही मिट सकता हैं | धरतीपर बढ़ती मानव संख्या विश्व के लिए समस्या बनी हुई हैं जिस की वजह से मुफ्त में लोगोंको मार्स भेजा जाने लगा | सूरज की तपती धूप से ये साफ ज़ाहिर था की पृथ्वी के वातावरण में तेजी से बदलाव हो रहें हैं | और हमारी अर्थ को बचाने के लिए अर्थ 2 का सहारा लेना जरूरी हो गया हैं | पर इसके लिए प्रकाश की गति से तेज़ उड़नेवाली स्पेसशिप की जरूरत हैं | ऐसी स्पेसशिप एलियन्स की मदत से अमेरिका ने हमसे पहले ही बना ली | और अर्थ 2 का खोज अभियान भी उन्होंने हमसे कई वर्ष पहले कर लिया था | पर ईसके चलते उन्हे ना चाहते हुए भी एलियन्स की हर मांग माननी पड़ी | एलियन्स के साथ हुए ऐसे किसी समझौते के बारे में दुनिया को बहोत सालों बाद पता चला | अपनी टेक्नोलॉजी के बदले हमारे प्लेनेट पर सर्वेक्षण और ब्रीडिंग करने की एलियन्स की मनीषा थी जो अमेरिका ने मान ली | एरिया 51 नेवाडा, अमेरिका स्थित मिलिटरी कैम्प की कई एकड़ फ़ैली जगह में स्पेसशिप आते-जाते दिखाई देते पर अंदर क्या हो रहा हैं किसी को भी पता न था | कोई कहता एलियन्स को गुलाम बनाकर उनसे काम निकलवाया जाता हैं | तो कोई कहता अपने टेक्नोलॉजी के बदले धरतीपर ब्रीडिंग करने के लिए मानव डीएनए पर एलियन्स का रिसर्च चल रहा हैं | महज तीन से चार फीट लंबे ये एलियन्स आख़िर आये कहाँ से यह एक न सुलझी पहेली हैं क्योंकि, एलियन्स की कोई बोलीभाषा नहीं थी | व्होकल कॉर्ड्स ना होने की वजह से उन्हें बोलना नहीं आता | गले से बस अजीब से आवाज निकलते जिसे एक मशीन के जरिए किसी भी भाषा में सुना या समझा जा सकता हैं | पर अब एलियन्स का मानव सहचर के साथ मिलकर नई प्रजाति को जन्म देना संभव हो गया | उनका प्रयोग सफ़ल रहा और इस नई पीढ़ी में मानव के सारे गुण तथा व्होकल कॉर्ड्स भी थे और एलियन्स जैसा तेज़ दिमाग़ भी | जब यह बातें लोगों से छुप न सकी तब अमेरिका ने मान लिया कि, कई सालों से स्मार्ट फोन्स से लेकर एअर फोर्स में नए लड़ाकू हाइटेक विमान, न्यूक्लियर वेपन्स बनना कोई चमत्कार नहीं  बल्कि यह सब एलियन्स टेक्नोलॉजी का दृश्य परिणाम स्वरूप हैं | एलियन्स से हाथ मिलाकर आज अमेरिका में कई ऐसी प्रजाति वहाँके नागरिकों के साथ घुल मिल गयी हैं जिन्हें ह्यूमन-एलियन हायब्रिड कहा जाता हैं | जो पैदाइशी बुद्धिमान, तेज़ और मानवी भाव भावनाओंसे युक्त हैं | उन्हें दी गई छूट का परिणाम अमेरिका भुगत रहा हैं अब वहाँ का प्रेसिडेंट एक एलियन बन गया हैं | भारत के पास भी ऐसे कई प्रस्ताव एलियन्स की तरफ से आये पर भारत जैसे अन्य देशों ने भी इसका विरोध किया | लिहाज़ा एलियन्स की घुसपैठ अमेरिका तक ही सीमित रह गयी | और एलियन्स ने भी जबरदस्ती किसी देश में घुसने की कोशिश नहीं कि |
           आयुष हिमाचल स्थित IASO  इंडियन एरोनॉटिक्स एंड स्पेस ऑर्गनाइजेशन सेंटर पहुँचा | हमारे सुपरपॉवर देश में टाईमट्रॅव्हल आम बात होने के बावजूद इसका इस्तेमाल आम जनता के लिए प्रतिबंधित हैं | लेकिन यू.एस. में ईऑन मस्क की स्पेसएक्स (SpaceX) ने टाईम ट्रॅव्हल आम इंसानों के लिए 2038 साल में ही खुला कर दिया | वे खुद इसके जरिये अमर बन चुके हैं | टाईम ट्रॅव्हल से वे भविष्य में जाते और अपनी जवानी, तथा नई टेक्नोलॉजी लेकर लौट आते | ईऑन मस्क एक इम्मोर्टल जवान जिंदगी जी रहे हैं | और साथ ही में नई नई हैरतअंगेज खोजें | पर टाईम मशीन का उपयोग करना हमारे यहाँ क़ानूनन अपराध हैं | इसका उपयोग केवल हमारे स्पाय करते हैं | सुरक्षा यंत्रणा को और भी मजबूत करने के लिए | ईससे टेररिस्ट अटैक्स होनेसे पहलेही समझते | टाईम ट्रॅव्हल जैसी टेक्नोलॉजी को हथियाने की कई नाकाम कोशिशें टेररिस्ट आजतक कर चुके हैं |
         देर से ही सही पर हमारे सायंटिस्ट की बदौलत प्रकाश की गति से उड़ने वाली स्पेसशीप 'फीनिक्स' बनकर तैयार हैं | और कहा जा रहा हैं कि, उसका पहला अभियान अर्थ 2 होनेवाला हैं | पर अब तक अर्थ 2 की खोजयात्रा के लिए 'फीनिक्स' की काबिलियत को आजमाने पर सबकी एकराय नहीं हुई हैं | ईस मिशन की शुरुआत होने में सबकी सहमति आवश्यक हैं | मिशन के बारे में सुनते ही आयुष के कान खड़े हो गए वो किसी भी हालत में इस मिशन का हिस्सा बनने की चाहत करने लगा | जिसके चलते आयुष हर परीक्षा में पास होने लगा | उसकी रुचि को देख सालभर में ही स्पेसशिप 'फीनिक्स' के प्रोग्राम में उसकी एंट्री हो गई | अर्थ 2 पर जाना मतलब बिल्कुल ही अलग डायमेंशन में दाख़िल होना | जहाँ शायद हमारी तरह आधुनिक मानव हो या आदिवासी भी हो सकते हैं | या फिर हमसे आगे भविष्य में जीनेवाले हो सकते है | सम्भावना तो यह भी हैं, कि हूबहू हमसे मिलते जुलते प्रतिरूप भी वहाँ अलग जीवन व्यतीत कर रहें हो | अमेरिका ने आजतक अर्थ 2 पर जाकर जो विश्लेषण किया उसके बारे में दुनिया से बात नहीं कि हैं | लिहाज़ा अर्थ 2 अब भी एक रहस्य बना हुआ हैं |
            आख़िर जल्द ही सब साइंटिस्ट और राष्ट्रपति तथा प्रधानमंत्री से भी ईस अभियान पर सहमति पानेपर IASO के सारे कर्मचारी एवं वरिष्ठों ने खुशी से तालियाँ बजाकर अपना जोश और आनंद प्रकट किया | इस अभियान को साकार करनेवाली एस्ट्रोनॉट की टीम में ना केवल भारतीय लोग हैं बल्कि रशिया, जापान, चायना, जर्मनी जैसे अन्य देशों से कई बुद्धिमान लोग भी शामिल हैं | मॅथेमॅटीशियन (गणितज्ञ), सायकॉलॉजीस्ट (मनोविज्ञानी), फ़िझीसिस्ट (भौतिक विज्ञानी), केमिस्ट्री और स्पेसशिप इंजिनिअर्स, डॉक्टर्स, बॉटनिस्ट (वनस्पति-विज्ञानिक), बायोलॉजिस्ट (जीवविज्ञानी), जिओलॉजिस्ट (भूविज्ञानी).... अॅस्ट्रोफिझिसिस्ट (खगोलशास्त्र विज्ञानी) ऐसे कई डिपार्टमेंट्स की अलग अलग टीम को साथ लेकर अर्थ 2 पर जाना तय हुआ | 'फीनिक्स' मानो एक शहर जितना बड़ा हैं | आयुष मिलाकर कुल तीनसौ लोग सफर करनेवाले हैं | प्रकाश की गति से उड़ान भरते हुए दूसरे आयाम में जाने के लिए आयुष बहोत एक्साइट हैं |
          इग्निशन की जबरदस्त आवाज हुई और पलक झपकते ही फीनिक्स ब्रम्हांड की सुनहरी चमचमाती दुनिया से होकर गुज़रने लगा | आयुष उन नजारोंको को देख मन ही मन ख़ुशी से पाग़ल हुए जा रहा हैं | लाईट स्पीड से अर्थ 2 के नजदीक आते आते 4 हफ़्ते गुज़र गए | वह धरती स्वरूप ग्रह दिखाई देने लगा | सब उस प्लेनेट को देख हैरान रह गए क्योंकि वो हूबहू हमारे प्लेनेट से मिलता जुलता नज़र आ रहा हैं | बादलोंसे ढ़का निले रंग का खूबसूरत ग्रह | सब बाहर की ओर देखने में लगे हुए थे कि अचानक अर्थ 2 के अॅटमॉसफियर में आने से जोर का झटका महसूस हुआ | किसी पहाड़ी की चोटी से फीनिक्स टकरा कर नीचे की ओर तेजी से गिरने लगा | आयुषने होशियारी दिखाते हुए सभी बलून्स को अॅक्टिव्हेट कर दिया जिसके चलते स्पेसशिप नीचे तो गिरी मगर बलून्स की वजह से भारी नुकसान होते होते बच गई | फिर भी अब पृथ्वी पर वापस लौटने के लिए 'फीनिक्स' को मरम्मत की जरूरत हैं | आयुष की स्पेसशिप को गिरता देख अर्थ 2 के निवासी बिना किसी संकोच के सब की मदत करने वहाँ पहुँच गए | उन्हें देखतेही आयुष चौंक गया...ये क्या..? यह तो मानव हैं  | बस ऐसा लग रहा है जैसे भूतकाल में पहुँचे हो क्योंकि यह लोग आज के दौर जितने मॉडर्न नहीं लग रहे  | उनका पेहराव पुराने ज़माने जैसा हैं | आयुष ने जाना 'फिनिक्स' भूतकाल के प्राचीन भारत में लैंड हुई हैं | 
         अर्थ 2 के लोगों ने सबका स्वागत उपहार देकर किया | उनसे जल्द ही आसानी से बातचीत शुरू हुई | वे लोग संस्कृत में बात कर रहे थे | फिनिक्स जहाँपर उतरा या क्रॅश हुआ यह आर्यवर्त का काल हैं | जहाँ पर सबको समान रूप से देखा जाता | ना कोई जात ना कोई रंगभेद, केवल एकही समूह था आर्यवर्त | जो केवल अच्छे या बुरे कर्मों के सिद्धांतों को मानते | वे लोग अपने सिद्धांतों पर अटल रहते और उनके कायदे कानून अलग थे |  आयुष के साथ गए सभी यात्रियोंको भगवान मानकर सर झुकाए सब की बात मान रहे थे | कुछ दिन आराम करने के बाद सभी टीम मेम्बर्स अर्थ 2 के अलग अलग क्षेत्रों का परीक्षण करने रॉकेट की तरह दिखनेवाले छोटे कैप्सूल विमानों से निकल पड़े | उस रोशनी को देख अर्थ 2 निवासियों ने नीचे बैठकर प्रार्थना की | लाईक वी आर 'गॉडस् फ्रॉम द आऊटर स्पेस'...! आयुष सोचने लगा कि शायद हमारे वेपन्स, ऑक्सीजन मास्क्स, कपड़े, रहन सहन, रात के अंधेरे में भी रोशनी से जगमगाती स्पेसशिप, यह सब देख ये लोग पृथ्वी से आये अंतरिक्ष यात्रियों को भगवान समझ रहे हैं | 
          अर्थ 2 का परीक्षण करते समय कई मंदिर, मूर्तियाँ, और गुफाओं में पत्थरों को तराशकर बनाये शिल्प कारीगरी देख आयुष से लेकर बाकी सभी लोग भौंचक्के से रह गए | अमेरिका की एलियन्स तकनीक से बनी स्पेसशिप जब एलियन्स के साथ यहाँ पर पहलीबार आयी थी तब यहाँ क्या हुआ होगा यह सब बयाँ कर रहे थे ये मंदिर, गुफ़ाओं के चित्र और मूर्तियाँ | निले रंग के शांत स्वभाव के एलियन्स की मूर्तियां बनाई गई जिन्हें मानव चेहरा देकर ईश्वर स्वरूप पूजा जाता | कई एशियाई हिस्सों में न्यूक्लियर वॉर के निशान मिले जिससे यह साबित होता हैं कि यहाँपर रहनेवाले अच्छे विचार समूह के लोगों के हित के लिए एलियन्सने बुरी विचारधारा रखनेवाले किसी समुदाय का खात्मा किया होगा | या फिर उनका पीछा करते आये उनके प्रतिद्वंद्वी ताक़दवर एलियन्सके साथ यहाँ घना युद्ध छिड़ गया हो | न्यूक्लियर वेपन्स इस्तेमाल करने से भारी मात्रा में हुए रेडिएशन कि वजह से आसपास के क्षेत्रों में पैदा होनेवाले बच्चों में कई अभाव थे, या कईयों में कुछ खास गुण दिखाई देते | कुछ बच्चे तीन मुँह वाले या फिर हाथी जैसी सूंढ़ वाले या पूँछ वाले पैदा होने लगे जिन्हें इन लोगों ने ईश्वर समझ लिया | वे ईश्वर नहीं बल्कि वो सब म्युटंट थे | रेडिएशन ने उन्हें सुपर पॉवर्स भी दिए थे | वे बुद्धिमान थे, और चमत्कारी भी थे | तब आयुष को एहसास हुआ चमत्कार को प्रणाम करना शायद इसीलिए भारत की प्राचीन सभ्यता रहीं हो | जो पृथ्वी के इतिहास को देख समझ आ रहा हैं |
         ना केवल आर्यवर्त बल्कि,  इस ग्रह के कई खंडों में अमेरिका ने जब अभियान किया होगा तब शायद सहाय्यक बने अंतरिक्ष यात्रीयों ने वहाँ के रहवासियों को पढ़ना लिखना एवं अच्छी बातें सिखाई होगी | भाषाओं का ज्ञान दिया होगा | नई भाषाओं से परिचित करवाया होगा | उनके साथ बिताए उन पलों को अर्थ 2 रहिवासियों ने कल्पकता से मनोरंजक कहानियां एवं गीत रच डाले थे | जिनमें अतिश्योक्ति वर्णन करके किताबें लिख डाली | जिससे अगली पीढ़ी को भगवान जैसे किसी कल्पना पर निर्भर होकर जीना पड़ेगा यही वास्तव दिखाई दे रहा हैं | असल में ऐसा कुछ नही यह बात आयुष उन्हें समझता भी तो कैसे ? आयुष के दिमाग़ में सब तर्क वितर्क तूफ़ान मचा रहे थे कि, ईतने में आज का इजिप्त तब का प्राचीन 'केमेट', गए खगोलशास्त्र टीम की तरफ से एक छायाचित्र आयुष के सामने रखी स्क्रीनपर चमका | वहाँ की गुफाओं में आज के जमाने के एअर क्राफ्ट, हेलिकॉप्टर, पनडुब्बी, विमान तराशे गए हैं | स्पेन में तो एस्ट्रोनॉट की मूरत तराशी गई हैं |बिल्कुल ऐसे ही चित्र पृथ्वी के इजिप्त और स्पेन में भी मौजूद हैं | इसका मतलब अमेरिका से पहले भी कई दूसरे ग्रहों से ना सिर्फ अर्थ 2 बल्कि हमारी पृथ्वी पर भी लाखों करोड़ों साल पहले एलियन्स का आना जाना आम बात रही होगी | जो शायद आज की तकनीकी से भी कई गुना ज्यादा प्रगत मानव ही हो..? आज असलियत में आयुष की पूरी टीम अर्थ 2 वासियोंके लिए एलियन्स ही थी..एक परग्रहवासी..! पर विज्ञान की समझ कम होने के कारण वे लोग पृथ्वीवासी अंतरिक्ष यात्रियों को ईश्वर समझ बैठे हैं |
          ऐसे में सबसे बूढ़े आर्यवर्ती जो वहाँ के समुदाय के मुखिया थे उनसे वार्तालाप करते हुए पता चला कि, पहले भी आसमान से आकर गए भगवान ने (अंतरिक्ष यात्रियों ने) उनके सुरक्षा हेतू युद्ध किये | और उन्हें धर्म ज्ञान दिया | जाते जाते उन ईश्वरीय स्वर्गदूतों ने वचन दिया था कि हम दोबारा लौटकर आएंगे | लिहाज़ा जब पृथ्वी से भारत की स्पेसशिप फीनिक्स यहाँ उतरी तब इन लोगों ने मान लिया कि ईश्वर उनकी रक्षा करने फिर आया हैं और वो ऐसे ही आते रहेगा बुराई का खात्मा करने | यहाँ के लोगों ने यह सभी घटनाक्रमों को मिलाकर कहानियां, महान ग्रंथ लिखे हैं | सुदर्शन चक्र जैसे वेपन्स, आग उगलती रोशनी से शिकार की तरफ दागा हुआ तीर, रावण का पुष्पक विमान और ऐसी कई कहानियां ईसी का हिस्सा हैं | जो की पृथ्वी पर भी मौजूद पवित्र ग्रंथों के रूप में पाया गया हैं | असलमें तीन आयामों से बना हमारा विश्व जिसमें कई ग्रह मौजूद हैं | जिनमें से कई ग्रहों पर जीवन होना संभव हैं | बचपन से लेकर अब तक आयुष को मिले ज्ञान से उसे यहीं पता था कि, भगवान किसी चौथे डायमेंशन से आते हैं | चौथा डायमेंशन जो समय और काल हैं | लेकिन अब उसके मन में सवाल खड़ा हुआ हैं | क्या भगवान सच में होते हैं ?  या फिर मानवता ही ईश्वर का रूप हैं | पृथ्वी पर हम बचपन से जिन्हें पूजते आये हैं क्या वे ईश्वर नहीं बल्कि एलियन्स थे..? अजीबोगरीब कश्मकश में आयुष जूँझ रहा था | विज्ञान की माने तो कुल चौसठ डायमेंशन हैं और इन चौसठ डायमेंशन का स्तरीय विभाजन करने पर अनंत आयाम रूप ले लेते हैं ऐसे ही किसी डायमेंशन से आनेवाले परग्रही कभी किसी प्लेनेट के विनाश का कारण रहे होंगे या फिर कभी अच्छाई का पाठ पढ़ाकर लाईट स्पीड़ से आयी स्पेसशिप से लुप्त होते होंगे | क्या इसीलिए हम भगवान को याद कर ऊपर देखते हैं ?
           यह तो पृथ्वी ने अपनी हिस्ट्री रिपीट करने जैसा हैं | आयुष ईश्वर को ना मानते हुए बस इतनाही जानता था की, इस क्वांटम फील्ड में हमें जो चाहिये वो साकार करने की क्षमता हैं | हमारी सोच, भावनाओंसे से अंदर मैग्नेटिक फील्ड तैयार होता हैं जो बाहर के फोटॉन्स को जैसे चाहे मोड़ सकता हैं क्योंकि, केमिस्ट्री लैब में ग्लास होस में अगर फोटॉन्स छोड़ दिये जाय तो वे ईधर उधर घूमते रहते हैं पर उसमें उनके साथ अगर मानव डीएनए छोड़ दिया जाय तो सारे फोटॉन्स मानव डीएनए का आकार लिए स्थिर रहते हैं | इसका मतलब हम जो चाहते हैं उसे पा लेना केवल अपनी ईच्छा शक्ति पर निर्भर हैं | सारे फोटॉन्स आपकी ईच्छा पूरी करने में लग जाएंगे | अॅटम से बने इस मानव देह को गर माँपना हो तो केवल एक माचिस की डिब्बी जितने अॅटम्स में हम पूरे समा सकते हैं | जो बाहर हैं वही अंदर समाया हैं तो फिर भगवान रूपी किसी अनदेखे पर विश्वास कैसे कर सकते हैं..? विज्ञान ही सर्वश्रेष्ठ हैं | कण, या पदार्थ के टुकड़े, आकार में सीमा और अॅटम से बड़े या छोटे हो सकते हैं | उदाहरण के लिए, इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन, एक अॅटम यानी कि, परमाणु बनाने वाले उप-परमाणु कण हैं | और यह सब अॅटम के अंदर समाए रहते हैं | अॅटम्स से ही हमारी दुनिया बनी हैं | लेकिन वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि हिग्स बोसोनही वह कण है जो सभी द्रव्यमानों को अपना द्रव्यमान देता है। इसीलिए हिग्स बोसॉन को गॉड पार्टिकल कहा जाने लगा | अगर विज्ञान ही ज्ञान का मूल केंद्र हैं तो किसी भगवान की पूजा का क्या मतलब..? 
        स्पेसशिप 'फिनिक्स' की मरम्मत का कार्य पूरा हो चुका हैं | कई तरह के जीवित पेड़-पौंधे, औषधि वनस्पतियाँ, और पृथ्वी से लुप्त हुई जीवित प्राणियों की प्रजातियों को साथ लिया गया | अर्थ 2 पर स्टडी करते करते करीब चार साल बीत गए थे | टीम के कई मेंबर्स ने वहाँकी युवतियों से प्यार वाले संबंध बना लिए थे | कईयों ने तो गांधर्व विवाह तक कर डाला था और वे अपना घर वहीं पर बसा चुके थे, अब वे वहाँसे वापस पृथ्वी पर लौटने से मना कर रहें थे | उनके बच्चे भी पैदा हो चुके थे | आयुष उन्हें अपने साथ चलने से  जबरदस्ती तो नहीं कर सकता हैं | पर एक बात जरूर हैं ईससे अर्थ 2 पर जन्म लेनेवाली अगली पीढ़ी बुद्धिमान और विज्ञान के प्रति सचेत होगी | जल्द ही गणितज्ञ और वैज्ञानिक बिना कोई खास पढ़ाई किए बचपनसेही चिकित्सक पैदा होंगे | सच में क्या पृथ्वी अपना इतिहास दोहरा रहीं हैं ?
         लौटते समय अंतरिक्ष में द कोहरन्ट एनर्जी यानी कि, तरंग लहरों की ऊर्जा देख आयुष सोचने लगा | हमारे मस्तिष्क में सौ बिलियन से भी ज्यादा मौजूद न्यूरॉन्स इनमें से निकलनेवाली विद्युत तरंगे यानी कि, न्यूरॉन फायरिंग इनके अगर फ़ोटो लिए जाय तो वे समान ही दिखाई देते हैं | इसीलिए ब्रम्हांड का हमारे मस्तिष्क से सीधे तौर पर कनेक्शन हैं | आयुष इस बात से सोच में पड़ गया | आख़िर ऐसा क्या हुआ होगा बिग बैंग के बाद ? जो हमें हमारे वास्तविक रूप से जोड़े रखता हैं यह यूनिव्हर्स ? गॉड जीन्स की बदौलत हममें से कई लोग उस अभूतपूर्व शक्ति से बंधे हुए हैं | आखिर वो शक्ति आयी कहाँ से और है कहाँ ?
           अर्थ 2 से सफलतापूर्वक मिशन कर आयुष धरती पर लौट तो आया एमजीआर अब जिंदगी की तरफ देखने का उसका नजरिया बदल चुका हैं | आयुष माँ-पापा से तो मिला मगर उसने ADI में किया गया अपने मातापिता का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मेमरी प्रोग्रामिंग शट डाउन करने की अर्जी दे दी और हमेशा के लिए उन्हें डीअॅक्टिव्हेट कर दिया | आखरी बार उन्हें अलविदा कर आयुष अब टाईम मशीन की खोज में निकल पड़ा जो सिर्फ़ हमारे स्पाई एजेंट्स के लिए कारगर थी | आयुष ने अर्थ 2 पर जो देखा, महसूस किया वही सब अपनी पृथ्वी पर हुआ था या नही यह उसे जानना था | उसे भूतकाल देखना था | जो शायद अर्थ 2 पे वो देखके आया हैं, क्या वही पृथ्वी का भी भूतकाल था ? टाईम ट्रॅव्हल अब उसकी ज़िद थी | अब ब्रम्हांड से ज्यादा उसे टाईम ट्रॅव्हल में रुचि आ गयी थी | उसे फोर्थ डायमेंशन की खोज करनी थी | अगर भगवान जैसा कोई हैं तो वो कहाँ हैं इसका जवाब जब तक नहीं मिलता आयुष चैन से बैठनेवालों में से नहीं था | और हालही में एक और पृथ्वी जैसा ग्रह अर्थ 3 की भी ख़बर मिली हैं | अबकी बार टाईम मशीन इस्तेमाल करने का सुझाव आयुष ने अपनी बात रखते हुए सबको कह दी | जिसपर सबने स्वीकृति जताई हैं | पता नहीं अब आयुष क्या खोज निकालेगा..? या सच में ईश्वर तक पहुँचकर ही दम लेगा...? 
             

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आयुष ने अर्थ 2 पर जो देखा, महसूस किया वही सब अपनी पृथ्वी पर हुआ था या नही यह उसे जानना था | उसे भूतकाल देखना था | जो शायद अर्थ 2 पे वो देखके आया हैं, क्या वही पृथ्वी का भी भूतकाल था ? टाईम ट्रॅव्हल अब उसकी ज़िद थी | अब ब्रम्हांड से ज्यादा उसे टाईम ट्रॅव्हल में रुचि आ गयी थी | उसे फोर्थ डायमेंशन की खोज करनी थी | अगर भगवान जैसा कोई हैं तो वो कहाँ हैं ? इसका जवाब जब तक नहीं मिलता आयुष चैन से बैठनेवालों में से नहीं था | और हालही में एक और पृथ्वी जैसा ग्रह अर्थ 3 की भी ख़बर मिली हैं | अबकी बार टाईम मशीन इस्तेमाल करने का सुझाव आयुष ने अपनी बात रखते हुए सबको कह दी | जिसपर सबने स्वीकृति जताई | पता नहीं अब आयुष क्या खोज निकालेगा..? या सच में ईश्वर तक पहुँचकर ही दम लेगा...?             

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