दरअसल लौकी, लौकी नही होती, वो आपकी बीबी की इज्जत का सवाल होती है ! आप पूरी हिम्मत करके लौकी का एक एक निवाला गले से नीचे उतारते है ! बीबी सामने बैठी होती है ! जानना चाहती है लौकी कैसी बनी ! आप बीबी का मन रखने के लिये झूठ बोलना चाहते हैं पर लौकी झूठ बोलने नही देती ! लौकी की खासियत है ये ! इसे खाते हुये आदमी हरीशचन्द्र हो जाता है ! आप चाहते हुये भी लौकी की तारीफ नही कर पाते !