विचारो का द्वंद कैसे इंसान पर हावी हो जाता है । किसी को समझे बिना भला बुरा कह जाता है। उसके व्यक्तित्व के बारे में बिना सोचे अनुमान लगा लेता है । जून में गर्मी के दिन थे बहुत बेहाल सूरज ने भी रूप बनाया था विकराल तभी की बात बताता हू एक छोटा सा किस्सा आपको सुनाता हूं। जीवन परिचय के दर्शन का बोध करता हू ।
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