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मेरा नाम पुनीत द्विवेदी है मैं बी.एस सी का विद्याऱथी हूं मेरा निवास स्थान सिंहपुर कछार बैरी कल्यानपर कानपुर नगर है मै ११ वीं से लेखन काऱय मे हूं मेरी पहली कविता आशा पंछी बनने की कानपुर महोत्शव २०११ की बिगुल स्मारिका मे पृकाशित हुई.

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punitdwivedi

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मेरा नाम पुनीत द्विवेदी है . पुनीत द्विवेदी विष्णु ke naam se kavitaayen likhta हू|mera nivaas sthan Singhpur kachhar kalyanpur kanpur nagar uttar Pradesh hai.sath hi saath Abhi mai vidhya adhyayan kar raha हु.

निःशुल्क

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मेरा नाम पुनीत द्विवेदी है . पुनीत द्विवेदी विष्णु ke naam se kavitaayen likhta हू|mera nivaas sthan Singhpur kachhar kalyanpur kanpur nagar uttar Pradesh hai.sath hi saath Abhi mai vidhya adhyayan kar raha हु.

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common.kelekh

कौन है वो ...

8 सितम्बर 2015
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कौन है वो जिसे पाने की चाहत है,तन्हाइयों में आती किसकी ये आहट है|चले हैं अकेले ही राह-ए-सफर मे,मिले कोई हमसफर कोई हमकदम तो राहत है! पुनीत द्विवेदी विष्णु

कौन है वो ...

8 सितम्बर 2015
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कौन है वो जिसे पाने की चाहत है,तन्हाइयों में आती किसकी ये आहट है|चले हैं अकेले ही राह-ए-सफर मे,मिले कोई हमसफर कोई हमकदम तो राहत है! पुनीत द्विवेदी विष्णु

मैं बैठा सरहद पर हूं....

1 सितम्बर 2015
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मैं बैठा सरहद पर हूँ,रेगिस्तान की छाँव में;अबके साल कैसा होगा, मौसम मेरे गाँव मेंतकती होंगी सूनी गलियाँ,मेरे आने की राहें|तन्हाई मे रोती होंगी,मेरी याद मे सारी निगाहें||जिनकी बाहों का तकिया,कभी बनाकर सोया था मैं;कभी तरसती होंगी ,मेरे सिर धरने को वो बाहें|इस मिट्टी में स्वर्ग वही, माँ ! जो स्वर्ग है

मैं बैठा सरहद पर हूं....

1 सितम्बर 2015
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मैं बैठा सरहद पर हूँ,रेगिस्तान की छाँव में;अबके साल कैसा होगा, मौसम मेरे गाँव मेंतकती होंगी सूनी गलियाँ,मेरे आने की राहें|तन्हाई मे रोती होंगी,मेरी याद मे सारी निगाहें||जिनकी बाहों का तकिया,कभी बनाकर सोया था मैं;कभी तरसती होंगी ,मेरे सिर धरने को वो बाहें|इस मिट्टी में स्वर्ग वही, माँ ! जो स्वर्ग है

मैं बैठा सरहद पर हूं....

1 सितम्बर 2015
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मैं बैठा सरहद पर हूं....

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मैं बैठा सरहद पर हूँ,रेगिस्तान की छाँव में;अबके साल कैसा होगा, मौसम मेरे गाँव मेंतकती होंगी सूनी गलियाँ,मेरे आने की राहें|तन्हाई मे रोती होंगी,मेरी याद मे सारी निगाहें||जिनकी बाहों का तकिया,कभी बनाकर सोया था मैं;कभी तरसती होंगी ,मेरे सिर धरने को वो बाहें|इस मिट्टी में स्वर्ग वही, माँ ! जो स्वर्ग है

मैं बैठा सरहद पर हूं....

1 सितम्बर 2015
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मैं बैठा सरहद पर हूँ,रेगिस्तान की छाँव में;अबके साल कैसा होगा, मौसम मेरे गाँव मेंतकती होंगी सूनी गलियाँ,मेरे आने की राहें|तन्हाई मे रोती होंगी,मेरी याद मे सारी निगाहें||जिनकी बाहों का तकिया,कभी बनाकर सोया था मैं;कभी तरसती होंगी ,मेरे सिर धरने को वो बाहें|इस मिट्टी में स्वर्ग वही, माँ ! जो स्वर्ग है

मैं बैठा सरहद पर हूं....

1 सितम्बर 2015
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मैं बैठा सरहद पर हूँ,रेगिस्तान की छाँव में;अबके साल कैसा होगा, मौसम मेरे गाँव मेंतकती होंगी सूनी गलियाँ,मेरे आने की राहें|तन्हाई मे रोती होंगी,मेरी याद मे सारी निगाहें||जिनकी बाहों का तकिया,कभी बनाकर सोया था मैं;कभी तरसती होंगी ,मेरे सिर धरने को वो बाहें|इस मिट्टी में स्वर्ग वही, माँ ! जो स्वर्ग है

मैं बैठा सरहद पर हूं....

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मैं बैठा सरहद पर हूँ,रेगिस्तान की छाँव में;अबके साल कैसा होगा, मौसम मेरे गाँव मेंतकती होंगी सूनी गलियाँ,मेरे आने की राहें|तन्हाई मे रोती होंगी,मेरी याद मे सारी निगाहें||जिनकी बाहों का तकिया,कभी बनाकर सोया था मैं;कभी तरसती होंगी ,मेरे सिर धरने को वो बाहें|इस मिट्टी में स्वर्ग वही, माँ ! जो स्वर्ग है

मैं बैठा सरहद पर हूं....

1 सितम्बर 2015
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मैं बैठा सरहद पर हूँ,रेगिस्तान की छाँव में;अबके साल कैसा होगा, मौसम मेरे गाँव मेंतकती होंगी सूनी गलियाँ,मेरे आने की राहें|तन्हाई मे रोती होंगी,मेरी याद मे सारी निगाहें||जिनकी बाहों का तकिया,कभी बनाकर सोया था मैं;कभी तरसती होंगी ,मेरे सिर धरने को वो बाहें|इस मिट्टी में स्वर्ग वही, माँ ! जो स्वर्ग है

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