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मैं बैठा सरहद पर हूं....

1 सितम्बर 2015

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मैं बैठा सरहद पर हूँ,रेगिस्तान की छाँव में; अबके साल कैसा होगा, मौसम मेरे गाँव में तकती होंगी सूनी गलियाँ,मेरे आने की राहें| तन्हाई मे रोती होंगी,मेरी याद मे सारी निगाहें|| जिनकी बाहों का तकिया,कभी बनाकर सोया था मैं; कभी तरसती होंगी ,मेरे सिर धरने को वो बाहें| इस मिट्टी में स्वर्ग वही, माँ ! जो स्वर्ग है तेरे पाँव में || मैं बैठा सरहद पर हूँ.... मैं सोंच रहा था बैठे बैठे ,पूरब से फिर हवा चली; मैंने पूँछा रुक तो ज़रा,घर का हाल बता दे तो घर में सब कुशल मंगल है ,माँ का हाल सुना दे तो; लगी हवा कहने फिर मुझसे याद तुझे सब करते हैं, तुझे याद करें हैं खेत सभी,याद करें हैं गली गली; ऐ हवा!तू ये तो बता, तुझे कैसा लगा था गाँव में मैं बैठा सरहद पर हूं........|||
ओम प्रकाश शर्मा

ओम प्रकाश शर्मा

मर्मस्पर्शी रचना ! बहुत सुन्दर !

2 सितम्बर 2015

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मैं बैठा सरहद पर हूं

7 जून 2015
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मैं बैठा सरहद पर हूं,रेगिस्तान की छांव में| अबके साल कैसा होगा,मौसम मेरे गांव मे|तकती होंगी सूनी गलियां मेरे आने की राहें,मेरी याद मे रोती होंगी तन्हाई मे सारी निगाहें| जिनकी बाहों का तकिया कभी बनाकर सोया था मै,कभी तरसती होंगी मेरे सिर धरने को वो बाहें|इस मिट्टी मे स्वर्ग वही ,माँ!जो स्वर्ग है तेरे पाँव मे|मै सोंच रहा था बैठे बैठे ,पूरब से फिर हवा चली|मैने पूंछा रुक तो जरा घर का हाल बता दे तो,घर मे सब कुशल मंगल है माँ का हाल सुना दे तो| लगी हवा कहने फिर मुझसे ,याद तुझे सब करते हैं तुझे याद करे हैं खेत सभी,याद करे हैं गली गली|ऐ हवा!तू ये तो बता तुझे कैसा लगा था गाँव मे| मै बैठा.....

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अभी उनसे

7 जून 2015
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अभी उनसे इश्क का इज़हार बाकी है|यूं तो हो चुकी है निगाहों की बयानबाजी, अब तो बस जबानी करार बाकी है| ये मौसम-ए-इश्क का मिजाज ही तो है,दिलों मे धड़कन,जिन्दगी मे रफ्तार बाकी है| वो दिल मे मेरे दे चुके हैं दस्तक अपनी,उनके जिन्दगी मे आने का इन्तजार बाकी है|

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हे भगवान !

7 जून 2015
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हे भगवान!

7 जून 2015
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हे भगवान!

7 जून 2015
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हे भगवान ! काश मै नदी तू किनारा होता,मुझे बस तेरा ही सहारा होता,जब भी मै आगे बढ़ता लहरों की तरह ,रोकने वाला न कोई दुश्मन हमारा होता|

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उनकी निगाहों के

15 जून 2015
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उनकी निगाहों के नज़ारों में खो गए है हम,

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वो कोई अनकही सी कहानी....

1 सितम्बर 2015
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वो कोई अनकही सी कहानी लगती है|उस बागबान कि की हुई बागबानी लगती है|उसे देखते ही मन्त्ऱमुग्ध हो जाये लाखों दिल ,वो जवां रितु राज की जवानी लगती है|

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मैं बैठा सरहद पर हूं....

1 सितम्बर 2015
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मैं बैठा सरहद पर हूँ,रेगिस्तान की छाँव में;अबके साल कैसा होगा, मौसम मेरे गाँव मेंतकती होंगी सूनी गलियाँ,मेरे आने की राहें|तन्हाई मे रोती होंगी,मेरी याद मे सारी निगाहें||जिनकी बाहों का तकिया,कभी बनाकर सोया था मैं;कभी तरसती होंगी ,मेरे सिर धरने को वो बाहें|इस मिट्टी में स्वर्ग वही, माँ ! जो स्वर्ग है

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मैं बैठा सरहद पर हूं....

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मैं बैठा सरहद पर हूँ,रेगिस्तान की छाँव में;अबके साल कैसा होगा, मौसम मेरे गाँव मेंतकती होंगी सूनी गलियाँ,मेरे आने की राहें|तन्हाई मे रोती होंगी,मेरी याद मे सारी निगाहें||जिनकी बाहों का तकिया,कभी बनाकर सोया था मैं;कभी तरसती होंगी ,मेरे सिर धरने को वो बाहें|इस मिट्टी में स्वर्ग वही, माँ ! जो स्वर्ग है

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मैं बैठा सरहद पर हूं....

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मैं बैठा सरहद पर हूँ,रेगिस्तान की छाँव में;अबके साल कैसा होगा, मौसम मेरे गाँव मेंतकती होंगी सूनी गलियाँ,मेरे आने की राहें|तन्हाई मे रोती होंगी,मेरी याद मे सारी निगाहें||जिनकी बाहों का तकिया,कभी बनाकर सोया था मैं;कभी तरसती होंगी ,मेरे सिर धरने को वो बाहें|इस मिट्टी में स्वर्ग वही, माँ ! जो स्वर्ग है

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मैं बैठा सरहद पर हूँ,रेगिस्तान की छाँव में;अबके साल कैसा होगा, मौसम मेरे गाँव मेंतकती होंगी सूनी गलियाँ,मेरे आने की राहें|तन्हाई मे रोती होंगी,मेरी याद मे सारी निगाहें||जिनकी बाहों का तकिया,कभी बनाकर सोया था मैं;कभी तरसती होंगी ,मेरे सिर धरने को वो बाहें|इस मिट्टी में स्वर्ग वही, माँ ! जो स्वर्ग है

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मैं बैठा सरहद पर हूँ,रेगिस्तान की छाँव में;अबके साल कैसा होगा, मौसम मेरे गाँव मेंतकती होंगी सूनी गलियाँ,मेरे आने की राहें|तन्हाई मे रोती होंगी,मेरी याद मे सारी निगाहें||जिनकी बाहों का तकिया,कभी बनाकर सोया था मैं;कभी तरसती होंगी ,मेरे सिर धरने को वो बाहें|इस मिट्टी में स्वर्ग वही, माँ ! जो स्वर्ग है

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मैं बैठा सरहद पर हूँ,रेगिस्तान की छाँव में;अबके साल कैसा होगा, मौसम मेरे गाँव मेंतकती होंगी सूनी गलियाँ,मेरे आने की राहें|तन्हाई मे रोती होंगी,मेरी याद मे सारी निगाहें||जिनकी बाहों का तकिया,कभी बनाकर सोया था मैं;कभी तरसती होंगी ,मेरे सिर धरने को वो बाहें|इस मिट्टी में स्वर्ग वही, माँ ! जो स्वर्ग है

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मैं बैठा सरहद पर हूँ,रेगिस्तान की छाँव में;अबके साल कैसा होगा, मौसम मेरे गाँव मेंतकती होंगी सूनी गलियाँ,मेरे आने की राहें|तन्हाई मे रोती होंगी,मेरी याद मे सारी निगाहें||जिनकी बाहों का तकिया,कभी बनाकर सोया था मैं;कभी तरसती होंगी ,मेरे सिर धरने को वो बाहें|इस मिट्टी में स्वर्ग वही, माँ ! जो स्वर्ग है

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