राजिया के दुहे (दोहे )
साचो मित्र सचेत , कह्यो काम न करै किसौ |
हर अरजन रै हेत, रथ कर हाक्यों राजिया ||
अनुवाद :
जो सच्चा मित्र होता है,वह अपने मित्र के हितार्थ तत्परता से कौन सा कार्य नही करता ? श्री कृष्ण ने तो अपने मित्र अर्जुन के लिए रथ अपने हाथो से हांका था |
हर कोई जोड़े हाथ,कामण सूं अनमी किसा |
नम्या त्रिलोकी नाथ,राधा आगळ राजीया ||
अनुवाद :
सभी लोग उसे हाथ जोड़ते है अतः स्त्री के आगे न झुकने वाला व्यक्ति भला कोन हो सकता है ? हे राजिया ! जब तीनो लोकों के स्वामी श्री कृष्ण भी राधा जी के आगे झुकते थे, तो साधारण मनुष्य की तो बात ही क्या है
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Tips in Hindi [आई.सी.टिप्स हिंदी ]: Rajiya Ra Duha