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रहस्यमई जंगल

14 नवम्बर 2022

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दोस्तों यह कहानी एक रहस्यमई कहानी है इस कहानी को पढ़कर आपको बहुत ही मजा आने वाला है तो चलिए शुरू करते हैं

मेरे गांव एक जंगल के बीच बीच एक पहाड़ी पर था जहां से मैं रोज काम करने के लिए रोज शहर आता- जाता रहता था उस रात बहुत सर्दी पड़ रही थी मुझे उस रात काम से निकलते निकलते रात के 11:30 बज गए , मैं कंपनी से बाहर निकला और अपनी बाइक उठाई और घर के लिए निकल पड़ा क्योंकि उस रात सर्दी ज्यादा हो रही थी इसलिए बाइक ज्यादा तेज नहीं चला रहा था सामने कोहरा बहुत था इसलिए बहुत साफ नहीं दिखाई पड़ रहा था करीब आधे घंटे गाड़ी चली होगी कि मैं जंगल में एंटर हो गया, जंगल के अंदर करीब 6, 7 किलोमीटर अंदर जाने पर ऊपर पहाड़ी पर मेरा घर था, जंगल का इलाका आ गया था  इसलिए मुझे गाड़ी अब और सावधानी से चलानी थी ऊपर से कोहरा कब कौन सा जानवर आकर टकरा जाए किसी को पता नहीं चलेगा, मैं धीरे-धीरे गाड़ी चलाया जा रहा था चारों तरफ घोर अंधेरा और सन्नाटा छाया हुआ था आसपास के जंगलों से सियार और कुछ जंगली जानवरों की आवाज सुनाई पड़ रही थी क्योंकि रोज मेरा इस रास्ते से आना जाना रहता है था इसलिए मुझे इन सब आवाज और से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता था लेकिन अगर कोई अकेला आदमी सुनसान जंगल से गुजरे तो पक्का डर जाता, धीरे-धीरे गाड़ी चला रहा था तभी एक कोई छोटा सा जानवर मेरे गाड़ी के सामने से गुजरा मुझे तो दिखाई ही नहीं पड़ा वह जानवर कब सामने आया आ गया मेरी तो दिल की धड़कनें बढ़ गई मैंने सोचा अब तो गाड़ी से टकरा ही जाएगी लेकिन मैंने किसी तरह अपनी गाड़ी कंट्रोल की मैं उससे टकराते टकराते बचा, गाड़ी थोड़ी आगे निकली तब जाकर मैंने चैन की सांस की अब मैं गाड़ी और देर में चलाने लगा था गाड़ी चलाते-चलाते मैं इधर उधर देख रहा था तो मुझे दूर कहीं जंगल के बीचो बीच एक रोशनी दिखाई दी ऐसा नहीं था कि मैंने रोशनी पहली बार देखी लेकिन यह अक्सर बरसात के महीने में दिखती थी तो मैं समझता था सायद यह बिजली गिरी होगी इसलिए यह  उजाला जंगल में दिखाई दे रहा है, यह आज लगातार चौथा दिन था जब मुझे भी रोशनी दिखाई दी चारों तरफ घोर अंधेरा लेकिन यह साफ दूधिया रोशनी कहां से आ रही थी मैं यह अपने दिमाग में सोचने लगा क्योंकि मैं अपने घर के करीब पहुंच गया था यहां से मेरा घर करीब आधा किलोमीटर की दूरी पर था तो मैंने सोचा है चलकर आज देख ही लेता हूं यह कैसी रोशनी है जो रोज मुझे दिखाई पड़ती है मुझे थोड़ा थोड़ा डर लग रहा था लेकिन मैंने सोचा यह हमारा इलाका है इसमें क्या डरना ' मैंने तुरंत उस उजाले के तरफ अपनी गाड़ी मोड़ दी कच्चा पगडंडी रास्ता था मैं उसे ही पकड़ते हुए उस उजाले का पीछा करते हुए जंगल के बीचो बीच पहुंच गए, मेरे वहां पहुंचते ही अचानक से वो रोशनी गायब हो गई और घोर अंधेरा हो गया मैं तो हैरान रह गया कि यह क्या हो गया अभी तो यहां पर 4:00 उजाला था अब कैसे अचानक से अंधेरा छा गया मैंने सोचा छोड़ो होगा कोई मैं जैसे ही वापस लौटने के लिए मोड़ा फिर से वह प्रकाश मुझे दिखाई दिया मैंने सोचा इस बार मैं उसके करीब नहीं जाऊंगा दूर से ही देख लूंगा कि आखिर यह कैसा प्रकार है मैंने वहीं पर एक पेड़ के सहारे अपनी गाड़ी खड़ी की और चुपके से उतरकर एक पेड़ों के झुरमुट के पास जाकर खड़ा हो गया, अपना ध्यान से उस प्रकाश की तरफ देख रहा था तभी उस प्रकाश के बीच में मुझे कुछ परियों के समान सुंदर स्त्रियां नजर आई है 12 नहीं करीब 1 दर्जन से भी ज्यादा परियों के समान दूधिया रोशनी में वह और भी खूबसूरत लग रही थी मैंने उन्हें कुछ देर तक घूमता रहा फिर मैं सोचा नहीं यह मेरा भ्रम है इतने घने और अंधेरे जंगल में यहां पर कौन आ सकता है वह भी स्त्रियां और इतनी सुंदर यह मेरा बहन ही हो सकता है सुखी रात के करीब 12:00 बज चुके थे तो मैंने सोचा शायद मुझे नींद आ रही हो इसलिए मैं सपना देख रहा हूं इसलिए मैंने अपने पीठ पर टंगे टंगे हुए बैग को नीचे उतारा और उसमें से पानी का बोतल निकाल कर अपने मुंह को धोने लगा उसके बाद बोतल फिर से बैग में रख ले फिर से मैं उस दूधिया रोशनी को देखने लगा फिर से मुझे वही सुंदर लड़कियां आपस में बात करती हुई दिखाई दी, मैंने सोचा क्या मुझे वहां पर चलना चाहिएचाहिए, मुझे थोड़ा डर भी लग रहा था यहां बीचों बीच जंगल में कौन हो सकता है शायद कोई भूत चुड़ैल का साया हो यह सोचकर मैं पीछे हटना चाहा लेकिन मेरा मन बार बार बार कह रहा था इतनी सुंदर लड़कियां मुझे एक बार तो चल कर उन्हें देखना ही चाहिए मेरा दिमाग यह सोच नहीं पा रहा था कि मुझे अपने दिल की सुननी चाहिए और जाकर उन्हें देखना चाहिए या फिर लौट जाना चाहिए, फिर मैंने हिम्मत करके मन ही मन सोचा चाहे जो भी हो जाए मैं वहां जाकर देखूंगा जरूर इस जंगल में क्या हो रहा है अच्छा अचानक से लड़कियां यहां क्या कर रही हैं यह सोच कर मैं चुपके-चुपके झाड़ियों के झुरमुट से होते हुए आगे बढ़ रहा था झाड़ियों के पीछे चलते हुए अब मैं उनके बिल्कुल करीब पहुंच चुका था इसलिए मैंने सोचा आप कुछ देर यहां पर रुक कर देखना चाहिए फिर आगे बढ़ता हूं मैंने देखा सब स्त्रियां एक जगह पर आकर बैठ गई, वह आकर अभी बैठी ही थी कि अचानक एक स्त्री कहीं और से मुझे आती हुई दिखाई दी मैंने देखा कि उसके हाथ में चमकती हुई थालियां हैं थालियां इतनी चमकदार कि कोई उन्हें एक बार देख ले तो देखता ही रह जाए फिर वह स्त्री उन सब के पास आती है और सबके सामने एक एक थाल रख देती है और फिर कहीं गायब हो जाती है मैं तो मानो सपने देख रहा था फिर आगे फिर एक स्त्री वहां फिर प्रकट हुई और उसके साथ में अन्य कई स्त्रियां भी थी जो एक बड़े बड़े बड़े बर्तन अपने साथ मिले हुए थे और वह आकर उनके सामने खड़ी हो गई और बर्तन उतार कर नीचे रखा बर्तन खोलते ही उसमें से बहुत तीव्र प्रकाश निकलने लगा मैंने सोचा क्या हो सकता है इस बर्तन में मैंने देखा तो देखता ही रह गया उन सब  बर्तन में 56 प्रकार के भोजन भरे हुए थे मुझे तो वह सब के सब भोजन देखने ही बहुत स्वादिष्ट लग रहे थे जो कि मैंने भी कुछ नहीं खाया था इसलिए मुझे भी बहुत तीव्र भूख लग रही थी लेकिन मैं कर ही क्या सकता था मैं अंदर से डरा हुआ भी था कि आखिर यह क्या हो रहा है मेरे आंखों के सामने अब मैं ना पीछे लौट सकता सकता था और ना भी आगे बढ़ सकता था अपने डर के कारण मैं केवल वहां खड़ा देखता ही रहा, धीरे-धीरे कार्यक्रम आगे बढ़ा वह सब स्त्रियां उन स्त्रियों को खाना पर उसने लगी जो वहां पर बैठी हुई थी और एक-एक करके सब भोजन परोस दिया उसके बाद सब ने खाना शुरू किया मैं तो उन स्त्रियों को ही बोर कर दिया कराते एक से बढ़कर एक सुंदर मानो स्वर्ग से अप्सरा उतरी हो ऐसी सुंदरता ना माने आज से कभी देख पहले कभी देखी थी ना कल्पना की थी सब लोग सभी स्त्रियों ने खाना खाया और फिर जो स्त्रियां खाना लेकर आई थी वह बर्तन उठाकर और खाने का बर्तन भी लेकर अचानक वहां से गायब हो गई उसके बाद अचानक वहां का दृश्य ही बदल गया अचानक से वहां पर तमाम वाद्य यंत्र नर्तकी प्रकट हो गई और वहां का माहौल बदल गया चारों तरफ मीठी मीठी धुन सुनाई देने लगी और जो 12 सुंदर-सुंदर सिया बैठी थी वह सब नृत्य करने लगी उनका नित्य देखकर मैं तो भौचक्का रह गया इतनी सुंदर स्त्रियां ऊपर से इतना सुंदर नृत्य वाह वाह मेरे तो जीवन धन्य हो गया मैं अपने मन ही मन सोच रहा था मैंने अब यह ठान ही लिया था कि मैं उनके पास जाकर ही रहूंगा चाहे मृत्यु क्यों ना जाए मैं झाड़ियों के पीछे से होता हुआ उनके बीच में चुपके से जाकर बैठ गया और नृत्य देखने लगा नित्य देखते देखते मैं कब उसमें खो गया मुझे खुद पता नहीं चला करीब एक-दो घंटे देखने के बाद मैं वहीं पर सो गया और मैं जब सुबह उठा तो मैंने देखा है यह क्या महक सुंदर बेड पर लेटा हूं मैं तुरंत ही अपने बिस्तर पर उठा मैंने सोचा मैं तो रात को जंगल के बीच में था और यह अचानक से कहा गया मैं तुरंत ही कमरे से बाहर निकला देखा तो एक यह एक बहुत बड़ा राजमहल सा लग रहा था यह सब देख कर मेरा तो दिमाग ही काम करना बंद कर दिया मैंने सोचा यह कैसे हो सकता था मैं कल रात को भी घने सुनसान जंगल में था आज मैं यह कहां आ गया यह कि यह कैसे हो सकता है मैं यह सोच ही रहा था कि तभी मुझे दूर से कुछ स्त्रियां मेरी तरफ आती हुई दिखाई दे और उनके हाथ में एक बड़ा बर्तन था और उसमें उसमें कुछ रखा हुआ दिखाई दे रहा था वह जैसे-जैसे मेरे करीब आती मेरे नाक में एक अजीब सुगंध भर्ती जा रही थी मुझे ऐसा लग रहा था कि जरूरत में कुछ सुगंधित चीज होगी मैं अचानक से यह भूल ही गया कि मैं रात को कहां था और कहां आ गया मैं सब सोच रहा था तभी वह स्त्रियां मेरे पास आ गई उन स्त्रियों के अपने पास आते ही मैं जल्दी से अपने कमरे में घुस गया जिस कमरे में सोया हुआ था और जाकर अपने बेड के ऊपर बैठ गया, सभी स्त्रियां कर मेरे बेड के पास रुक गए तभी उनमें से एक स्त्री हुजूर यह रहा आपका आपका सुबह का भोजन मल्लिका ने आपके खिदमत के लिए भेजा है मल्लिका हुजूर यह सब मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था आखिरकार यह क्या माजरा है मैं तो यह सुनते ही मेरे अंदर जो थोड़ा बहुत मेरा दिमाग काम कर रहा था थी वह भी काम करना बंद कर दिया, मैंने उन स्त्रियों से पूछा तुम कौन हो और तुम्हें किसने भेजा है मेरे पास मैं तुम्हारा हुजूर नहीं हूं जरूर  तुम्हारी मलिका कोई गलतफहमी हुई होगी उन्होंने कहा नहीं हुजूर हमें कोई गलतफहमी नहीं हुई है मल्लिका का यह आदेश है कि आपको भोजन दिया जाए, मैंने उनसे पूछ मैं कहां हूं  यह सुनते ही वे सब  स्त्रियां बिना कुछ बताए ही वहां से चली गई | मेरे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था मैं भौचक्का सा कुछ देर सोचता रहा अपने बेड पर बैठे हुए आखिरकार मुझे भूख भी जोरों से लग रही थी तो मैंने सोचा पहले भोजन कर लेता हूं उसके बाद देखता हूं आगे क्या करना है मैंने जैसा ही थाल के ऊपर से ढक्कन उठाया एक्टिव सुगंध मेरे नाक में आकर प्रवेश कर गई वाह सुनते ही मुझे भोजन बहुत स्वादिष्ट लग रहा था, मैंने ढक्कन उठाकर एक तरफ रखा और उस पात्र में से भोजन निकालकर अपने थाल में पर परोसने लगा, थाल में भोजन निकालने के बाद मैं बिना देरी किए जल्दी-जल्दी भोजन करने लगा वाह क्या स्वादिष्ट भोजन था ऐसा भोजन अपने जीवन में मैंने कभी नहीं किया था उस भोजन का एक-एक कर मुझे मानो स्वर्ग  की अनुभूति कराता था इतना स्वादिष्ट भोजन करूंगा मैंने अपने जीवन में कभी सोचा नहीं था मैंने जल्दी-जल्दी अपना भोजन खत्म किया फिर बिस्तर पर लेट गया इतना स्वादिष्ट भोजन करने के बाद मुझे कब नींद आ गई पता ही नहीं चला मैं जब नींद से उठा तो देखा सामने कुछ स्त्रियां सुंदर-सुंदर वस्त्र के लिए मेरे सामने खड़ी थी मेरे उठते ही उन्होंने कहा हुजूर यह है आपके पास चल गया स्नान कर लीजिए मल्लिका का यह आदेश है कि आपको यह सुंदर वस्त्र भेंट किया जाए मैं उन्हें देखता ही रह गया मैं अपने मन ही मन सोच रहा था यह आखिरकार आज मेरे साथ क्या हो रहा है एक के बाद एक इंसीडेंट हो रहा है मेरे साथ, पर मैं कर ही क्या सकता था फिर मैं जैसे ही बेड से नीचे उतरा उन सुंदर  इनमें से किस स्त्री ने कहा मेरे हुजूर आप मेरे पीछे-पीछे चलिए मैं आपको स्नान घर का रास्ता भी दिखा  देती हूं मैं भी क्या करता मैं उठकर उनके पीछे पीछे चलने लगा चलते चलते मैं अपने कमरे से बाहर निकला और सीढ़ियों से होते हुए नीचे उतरा फिर कुछ दूर चलने पर मुझे दूर से पानी का एक बहुत बड़ा सगरा दिखाई दिया , मुझे भी बहुत वहां जाने की बहुत बेताबी थी वहां पहुंचते ही मैंने देखा तमाम स्त्रियां वहां मेरे स्वागत के लिए खड़ी हुई है जिनकी सुंदरता एक से बढ़कर एक है उनको देखते ही मैं देखता ही रह गया तभी वह सब मेरे करीब आई और उसे एक मेरे सामने आकर मेरे गले में एक फूलों की माला पहना कर मेरा स्वागत किया और कहा स्वागत है आपका मेरे हुजूर सब कुछ तो मेरे सामने था लेकिन मुझे यह समझ में नहीं आ रहा था यह लोग मुझे हुजूर क्यों कह रहे हैं लेकिन मरता तो क्यों नहीं करता मैं भी क्या कर सकता था मैं भी प्रसन्न हुआ माला पहनते ही और आगे बढ़ा और माला माला उतार कर एक सुंदरी को दे दिया, चली उसने वाला हाथ में लिया और वहां से चली गई, सामने देखा तो सगरे के किनारे सिंहासन लगे हुए हैं और उनकी सुंदरता अद्भुत है तभी उनमें से एक स्त्री निकल के मेरे सामने आई और कहा हुजूर चलकर स्नान कर ले.  मैं आगे बढ़कर और अपने वस्त्र निकाल कर एक बेंच पर रख दिया और स्नान के लिए स्नानागार में उतर गया , वाह क्या शीतल पानी था पानी से भी मदहोश कर देने वाली खुशबू आ रही थी मानो किसी ने उस में परफ्यूम मिला दिया हो मैं तो उस पानी में नहाते ही खुशी गया और करीब 1 घंटे तक स्नान करता रहा उसके बाद पानी से बाहर निकला तो वह स्त्रियां अभी नए वस्त्र लिए खड़े हुई थी और उन्होंने मुझे वस्त्र दिए मैंने उनसे कहा मुझे कपड़े चेंज करने हैं तुम लोग यहां फ्री रहोगे क्या तुमने कहा नहीं हुजूर आप सामने जो कमरा देख रहा है वहां जाकर कपड़े बदल ले और तब तक हम यहां खड़े होकर आपकी प्रतीक्षा करते हैं मैंने कहा ठीक है फिर मैं नए कपड़े लेकर उस कमरे की तरफ चल दिया , वहां जाते ही जैसे मैं उस कमरे में घुस वहां की शानो शौकत सजावट देखकर मैं तो चक्कर आ गया वह तो मेरे कहीं कमरे से कहीं अधिक थी जिस कमरे में आज सुबह में रुका था मैं कुछ देर देखता रहा फिर मैंने कहा छोड़ो मुझे जल्दी से कपड़े चेंज बदल लेने चाहिए और मैं जल्दी-जल्दी कपड़े बदलने लगा, उन कपड़ों को पहन ने के बाद मुझे लग रहा था जैसे मुझ में एक नई ऊर्जा संचार हो गया हो वह कपड़े  इतने मुलायम थे कि उनके मेरे शरीर पर होने के बाद भी मुझे ऐसा लग रहा था कि मानो मैंने कुछ पहन ही ना रखा हो. कपड़े पहन कर मैंने अपने आप को आईने में देखा तो मुझे अपना चेहरा आईने में मुझे अपने चेहरे का एक नया रूप दिखाई दिया मैंने अपना चेहरा आईने में तो देखा तो लग रहा था कि यह मैं हूं ही नहीं मेरे चेहरे पर एक नया नूर आ गया था इन कपड़ों में हो तो मैं बहुत शानदार लग रहा था आईने में देखकर मैं खुद ही बहुत अच्छा महसूस कर रहा था कुछ देर तक यूं ही मैं अपने आपको आईने में घूरता रहा फिर मैंने सोचा अब बाहर चलते हैं यह सब सोचते हुए मैं कमरे से बाहर आ गया , बाहर आते ही मैंने देखा कुछ युवक मेरी तरफ  एक बहुत ही सुंदर पालकी लेकर आ रहे है मैं उनको देख रहा था कि वह चारों मेरे पास आकर रुक गया और पालकी नीचे रखी और मुझे कहा हुजूर चलिए आपको मल्लिका ने दरबार में बुलाया है मैंने उनसे कहा कौन मलिका और मुझे क्यों दरबार में बुलाया है मैं मैं तुम्हारा हुजूर नहीं हूं मैं तो एक साधारण सा आदमी हूं उसमें से एक युवक ने बोला नहीं मेरे हुजूर यही मेरी मलिका का आदेश है ऐसे ही कुछ देर बहस के बाद आखिरकार उस पालकी में बैठ गया, कुछ देर तक पालकी चलती रही और फिर अचानक रुक गई, मैं कुछ देर तक अंदर पालकी में बैठा रहा है फिर अचानक से मेरे कानों में एक मधुर आवाज सुनाई दी मेरी मेरी जान बाहर आओ यह सुनकर मैं चौक गए फिर मैंने अंदर से पूछा कौन हो तुम और मेरा तुम्हारा क्या रिश्ता है तुम मुझे कैसे जानती हो, फिर से वही की आवाज मेरे कानों में गूंजी मेरा और तुम्हारा जन्मों का नाता है मेरे मेरी जान मैंने पूछा तुम कौन है फिर से उसने कहा मैं तुम्हारी मलिका मेरी जान बाहर आओ यह कहते हुए उसने अपना हाथ अंदर की ओर किया मैं भी पालकी से बाहर निकला बाहर निकलते ही मैंने उसे देखा तो देखता ही रह गए उसकी सुंदरता मानो पूर्णिमा का चांद मेरे सामने धरती पर उतर आया हो जो कोई भी एक बार देख ले इस सुंदर रुको उसका दीवाना हो जाए इतनी सुंदर स्त्री मैंने अपने जीवन में कभी नहीं देखी, सुंदर तभी ऐसे की रंभा ,उर्वशी, मेनका जैसी अप्सराओं की सुंदरता  भी इसके सामने फीकी पड़ जाए , मैंने तो उससे पहले ही नजर में प्यार हो गया मैं यह भूल ही गया मैं कौन हूं मैं बस उसको देखता ही रहा और उसकी बातें सुन रहा था वह क्या कह रही थी फिर अचानक से एक आवाज मेरे कान में गूंजी मेरी जान तुम्हारा यह तो इंतजार था और चले हम मैंने कहा कहा तो उसने कहा बस मेरे साथ चलो तुम खुद ही जान जाओगे , मैं भी क्या करता मैं तो बस उसकी आवाज और सुंदरता का दीवाना हो गया था वह सुंदरी मेरा हाथ पकड़े हुए थे और हम दोनों साथ साथ चल रहे थे चलते चलते हम दोनों एक विशाल का हाल में पहुंच यह हाल बिल्कुल राज दरबार के जैसा में लग रहा था वह राजदरबार इतना बड़ा था कि उसका कहीं अंत नजर नहीं आ रहा था लाखों की संख्या में कुर्सियां लगी हुई थी और उस पर बहुत सारे पुरुष और स्त्रियां बैठे हुए थे और उनकी सुंदरता भी कम नहीं थी एक से बढ़कर एक सुंदर स्त्री और पुरुष जो बैठे हुए थे यह सब देखते हुए मैं उस स्त्री का हाथ पकड़े हुए आगे बढ़ रहा था अभी हमको चाहिए आगे बढ़े थे तभी कुछ लोग आए हमारे स्वागत के लिए आ गए और हम दोनों हीरे हीरे मोती और रत्नों से जुड़ी मालाएं पहनाई इन मालाओं की खास बात यह थी कि उनसे भी ताजे फूलों जैसी खुशबू आ रही थी यह सब होता देख मुझे तो लग रहा था यह सब सपना है और मैंने सोचा काश ऐसा ही हो, फिर हम आगे बढ़े मैंने देखा कि सामने एक बहुत बड़ा सिंहासन नजर आ रहा है और उस पर कोई मुझे बैठा हुआ नहीं दिख रहा है तभी उस सुंदर स्त्री जो मेरे हाथ पकड़े हुए थे उसने कहा मेरी जान कब से यह राज सिंहासन तुम्हारे बिना सुना पड़ा था हजारों वर्ष बीत गए कब से मैं इस तुम कब आओगे और अपना राज काज संभालोगे और हम फिर से एक बार प्रेम भरा जीवन व्यतीत करने लगेगे
कहानी जारी रहेगी अगले भाग 

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विशाल सिंह

विशाल सिंह

दोस्तों यह कहानी पढ़े और मुझे बताएं कैसी लगी मैं आगे कहानी जल्दी लेकर आऊंगा विशाल सिंह अगर कहानी अच्छे लगे तो अगली कहानी के लिए मुझे फॉलो भी करें

14 नवम्बर 2022

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रहस्यमई जंगल
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मेरे गांव एक जंगल के बीच बीच एक पहाड़ी पर था जहां से मैं रोज काम करने के लिए रोज शहर आता- जाता रहता था उस रात बहुत सर्दी पड़ रही थी मुझे उस रात काम से निकलते निकलते रात के 11:30 बज गए , मैं कंपनी से बाहर निकला और अपनी बाइक उठाई और घर के लिए निकल पड़ा क्योंकि उस रात सर्दी ज्यादा हो रही थी इसलिए बाइक ज्यादा तेज नहीं चला रहा था सामने कोहरा बहुत था इसलिए बहुत साफ नहीं दिखाई पड़ रहा था करीब आधे घंटे गाड़ी चली होगी कि मैं जंगल में एंटर हो गया, जंगल के अंदर करीब 6, 7 किलोमीटर अंदर जाने पर ऊपर पहाड़ी पर मेरा घर था, जंगल का इलाका आ गया था इसलिए मुझे गाड़ी अब और सावधानी से चलानी थी ऊपर से कोहरा कब कौन सा जानवर आकर टकरा जाए किसी को पता नहीं चलेगा, मैं धीरे-धीरे गाड़ी चलाया जा रहा था चारों तरफ घोर अंधेरा और सन्नाटा छाया हुआ था आसपास के जंगलों से सियार और कुछ जंगली जानवरों की आवाज सुनाई पड़ रही थी क्योंकि रोज मेरा इस रास्ते से आना जाना रहता है था इसलिए मुझे इन सब आवाज और से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता था लेकिन अगर कोई अकेला आदमी सुनसान जंगल से गुजरे तो पक्का डर जाता, धीरे-धीरे गाड़ी चला रहा था तभी एक कोई छोटा सा जानवर मेरे गाड़ी के सामने से गुजरा मुझे तो दिखाई ही नहीं पड़ा वह जानवर कब सामने आया आ गया मेरी तो दिल की धड़कनें बढ़ गई मैंने सोचा अब तो गाड़ी से टकरा ही जाएगी लेकिन मैंने किसी तरह अपनी गाड़ी कंट्रोल की मैं उससे टकराते टकराते बचा, गाड़ी थोड़ी आगे निकली तब जाकर मैंने चैन की सांस की अब मैं गाड़ी और देर में चलाने लगा था गाड़ी चलाते-चलाते मैं इधर उधर देख रहा था तो मुझे दूर कहीं जंगल के बीचो बीच एक रोशनी दिखाई दी ऐसा नहीं था कि मैंने रोशनी पहली बार देखी लेकिन यह अक्सर बरसात के महीने में दिखती थी तो मैं समझता था सायद यह बिजली गिरी होगी इसलिए यह उजाला जंगल में दिखाई दे रहा है, यह आज लगातार चौथा दिन था जब मुझे भी रोशनी दिखाई दी चारों तरफ घोर अंधेरा लेकिन यह साफ दूधिया रोशनी कहां से आ रही थी मैं यह अपने दिमाग में सोचने लगा क्योंकि मैं अपने घर के करीब पहुंच गया था यहां से मेरा घर करीब आधा किलोमीटर की दूरी पर था तो मैंने सोचा है चलकर आज देख ही लेता हूं यह कैसी रोशनी है जो रोज मुझे दिखाई पड़ती है मुझे थोड़ा थोड़ा डर लग रहा था लेकिन मैंने सोचा यह हमारा इलाका है इसमें क्या डरना

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