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साहित्य

20 अक्टूबर 2015

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देखो यह कैसा कलयुग आया है

सब ने साहित्य को ठुकराया है

पूजा करते थे जिसको इक अरसा

अब उसको ही क्यों बिसराया है ??

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वाकई में, आज के युग में लोगों ने साहित्य को बिसरा दिया हैं! उत्तम रचना!

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