भारतीय इतिहास में युद्ध की घटनाओं को पढ़कर मन में अनेकों प्रकार के रोमांचक प्रश्न उठते थे। मन करता था, युद्ध लड़े गए सैनिकों से मैं बात कर सकूं। शायद भगवान ने मेरी इस इच्छा को अमलीजामा पहनाने के लिए मेरी किस्मत में एक सैनिक की पत्नी बनना निश्चित किया और एक सैनिक की पत्नी के तौर पर 1971 में लड़े गए सैनिकों से मुझे बात करने का मौका मिला। उन्हीं के संस्मरणों का एकत्रीकरण है। मेरी ये लेखनी, सैनिकों की जवानी---