सत्य व्यास
सत्य व्यास आधुनिक हिंदी के पेशेवर-शौकिया लेखक हैं जिन्हें "नई वाली हिंदी" के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक किया है। उनका जन्म और पालन-पोषण बोकारो स्टील सिटी में हुआ है और उन्होंने चार बेस्टसेलिंग हिंदी उपन्यास बनारस टॉकीज, दिल्ली दरबार, चौरासी/84 और बागी बलिया लिखे हैं। वेबसाइट : https://satyavyas.com/
चौरासी 84
‘चौरासी’ नामक यह उपन्यास सन 1984 के सिख दंगों से प्रभावित एक प्रेम कहानी है। यह कथा नायक ऋषि के एक सिख परिवार को दंगों से बचाते हुए स्वयं दंगाई हो जाने की कहानी है। यह अमानवीय मूल्यों पर मानवीय मूल्यों के विजय की कहानी है। यह टूटती परिस्थियों मे भी प
चौरासी 84
‘चौरासी’ नामक यह उपन्यास सन 1984 के सिख दंगों से प्रभावित एक प्रेम कहानी है। यह कथा नायक ऋषि के एक सिख परिवार को दंगों से बचाते हुए स्वयं दंगाई हो जाने की कहानी है। यह अमानवीय मूल्यों पर मानवीय मूल्यों के विजय की कहानी है। यह टूटती परिस्थियों मे भी प
बाग़ी बलिया
यह एक ऐसी कहानी है जो आपको हँसाते हुए रुला देने के मोड़ पर ले जाएगी। संजय-रफ़ीक़ की गंगा जमनी दोस्ती है। दोस्तों की छेड़ है। रफ़ीक़-उज़्मा का प्रेम है। शहर बलिया की अपनी राजनीति है। षड्यंत्र है। हत्या है। आत्महत्या है। और इन सबसे ऊपर एक ऐतिहासिक ट्विस्
बाग़ी बलिया
यह एक ऐसी कहानी है जो आपको हँसाते हुए रुला देने के मोड़ पर ले जाएगी। संजय-रफ़ीक़ की गंगा जमनी दोस्ती है। दोस्तों की छेड़ है। रफ़ीक़-उज़्मा का प्रेम है। शहर बलिया की अपनी राजनीति है। षड्यंत्र है। हत्या है। आत्महत्या है। और इन सबसे ऊपर एक ऐतिहासिक ट्विस्
बनारस टॉकीज
एक आदर्श कॉलेज। तीन अपूर्ण छात्र। एक देखभाल करने वाला छात्रावास। तीन लापरवाह साथी। निर्णायक वर्ष। तीन अज्ञानी आत्माएं। एक बम विस्फोट और एक करीबी दाढ़ी। बीएचयू के द्वार से जीवन में आपका स्वागत है।
बनारस टॉकीज
एक आदर्श कॉलेज। तीन अपूर्ण छात्र। एक देखभाल करने वाला छात्रावास। तीन लापरवाह साथी। निर्णायक वर्ष। तीन अज्ञानी आत्माएं। एक बम विस्फोट और एक करीबी दाढ़ी। बीएचयू के द्वार से जीवन में आपका स्वागत है।
उफ़्फ़ कोलकाता
‘उफ़्फ़ कोलकाता’ हिंदी भाषा की पहली हॉरर कॉमेडी कही जा सकती है। इस लिहाज़ से यह एक पहल भी है। कोलकाता के बाहरी भाग में फैले एक विश्वविद्यालय का हॉस्टल, उपन्यास के मुख्य किरदारों की ग़लती से अभिशप्त हो जाता है। एक आत्मा जो अब हॉस्टल में है, बच्चों को परे
उफ़्फ़ कोलकाता
‘उफ़्फ़ कोलकाता’ हिंदी भाषा की पहली हॉरर कॉमेडी कही जा सकती है। इस लिहाज़ से यह एक पहल भी है। कोलकाता के बाहरी भाग में फैले एक विश्वविद्यालय का हॉस्टल, उपन्यास के मुख्य किरदारों की ग़लती से अभिशप्त हो जाता है। एक आत्मा जो अब हॉस्टल में है, बच्चों को परे
दिल्ली दरबार
दिल्ली दरबार छोटे शहरों के युवाओं के दिल्ली प्रवास, प्रेम, प्रयास और परेशानियों की एक प्रहसनात्मक कहानी है। यह लापरवाह इश्क से जिम्मेदार प्रेम की परिणति तक की एक खुशहाल यात्रा है। यह कहानी दरअसल उन लाखों युवाओं के जीवनशैली की भी है जो बेहतर जिंदगी और
दिल्ली दरबार
दिल्ली दरबार छोटे शहरों के युवाओं के दिल्ली प्रवास, प्रेम, प्रयास और परेशानियों की एक प्रहसनात्मक कहानी है। यह लापरवाह इश्क से जिम्मेदार प्रेम की परिणति तक की एक खुशहाल यात्रा है। यह कहानी दरअसल उन लाखों युवाओं के जीवनशैली की भी है जो बेहतर जिंदगी और