‘चौरासी’ नामक यह उपन्यास सन 1984 के सिख दंगों से प्रभावित एक प्रेम कहानी है। यह कथा नायक ऋषि के एक सिख परिवार को दंगों से बचाते हुए स्वयं दंगाई हो जाने की कहानी है। यह अमानवीय मूल्यों पर मानवीय मूल्यों के विजय की कहानी है। यह टूटती परिस्थियों मे भी प्रेम के जीवित रहने की कहानी है। यह उस शहर की व्यथा भी है जो दंगों के कारण विस्थापन का दर्द सीने में लिए रहती है। यह वक़्त का एक दस्तावेज़ है।
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