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शैलजा पाठक
शैलजा पाठक 29 जुलाई को स्याल्दे, अल्मोड़ा (उत्तराखंड) में जन्मीं। मूलत: बनारस की रहनेवाली हैं। शुरुआती पढ़ाई से लेकर स्नातकोत्तर तक की पढ़ाई इन्होंने वहीं से की है। इनके दो कविता-संग्रह प्रकाशित हैं—‘मैं एक देह हूँ फिर देहरी’ और ‘जहाँ चुप्पी टूटती है’। आजकल मुम्बई में रहती हैं और स्वतंत्र लेखन करती हैं। ई-मेल : pndpinki2@gmail.com
![पूरब की बेटियाँ](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2FpuurbkiibettiyaaN_%25E0%25A4%25B6%25E0%25A5%2588%25E0%25A4%25B2%25E0%25A4%259C%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25AA%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25A0%25E0%25A4%2595_1679416121881.jpg&w=384&q=75)
पूरब की बेटियाँ
‘पूरब की बेटियाँ’ किताब जिस पूरब को हमारे सामने लाती है, वह कोई दिशा नहीं, एक भौगोलिक-सांस्कृतिक क्षेत्र है। उसकी सामाजिक संरचना में बेटियों के क्या मायने हैं, क्या दर्जा है, शैलजा पाठक कथेतर विधा की अपनी पहली किताब में बहुत महीन ढंग से परत-दर-परत
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पूरब की बेटियाँ
‘पूरब की बेटियाँ’ किताब जिस पूरब को हमारे सामने लाती है, वह कोई दिशा नहीं, एक भौगोलिक-सांस्कृतिक क्षेत्र है। उसकी सामाजिक संरचना में बेटियों के क्या मायने हैं, क्या दर्जा है, शैलजा पाठक कथेतर विधा की अपनी पहली किताब में बहुत महीन ढंग से परत-दर-परत
![पीयूष मिश्रा की डायरी](/_next/image?url=%2F_next%2Fstatic%2Fmedia%2Fbook.0614cbf5.png&w=384&q=75)
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