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एक झलक

24 मई 2023

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शैलजा पाठक की नवीनतम पुस्तक 'पूरब की बेटियाँ' कथेतर विधा की उनकी पहली पुस्तक है। यह डायरी भी है, स्‍मृतियों का ब्‍यौरा भी और लगभग हर भारतीय लड़की की कहानी भी। तीन पीढ़ियों की स्त्री-दशा के जीवन्त चित्रण को पढ़ते हुए आँसू और मुस्कान साथ आते हैं।

शैलजा अपनी इस गद्य पुस्तक में दारुण स्थितियों को भी ऐसे खास कॉमिक अंदाज़ में प्रस्तुत करती हैं कि पाठक उन घटनाओं और स्थितियों को भूल नहीं सकता। वे पढ़ने वाले के दिलोदिमाग में गहरे तक पैवस्त हो जाती हैं।

शैलजा पाठक की लेखकीय शैली और भाषा की दृश्यात्मकता पूरी पुस्तक को, स्थितियों और घटनाओं को आँखों के सामने किसी चलचित्र की तरह जीवित कर देती है। देशज रंगों में रची-बुनी उनकी भाषा में एक साथ करूणा, हास्‍य बोध, दुख और विडंबना का मेल उनके लेखन को अद्भुत बनाता है।

भारतीय समाज में लड़कियों की स्थिति का जैसा बारीक चित्रण शैलजा ने इस पुस्तक में पेश किया है उसे हर तबके के स्‍त्री-पुरुष के लिए पढ़ना, जानना और महसूस करना ज़रूरी होना चाहिए।



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रचनाएँ
पूरब की बेटियाँ
4.7
‘पूरब की बेटियाँ’ किताब जिस पूरब को हमारे सामने लाती है, वह कोई दिशा नहीं, एक भौगोलिक-सांस्कृतिक क्षेत्र है। उसकी सामाजिक संरचना में बेटियों के क्या मायने हैं, क्या दर्जा है, शैलजा पाठक कथेतर विधा की अपनी पहली किताब में बहुत महीन ढंग से परत-दर-परत खोलती हैं। बचपन से बुढ़ापे तक का स्त्री-जीवन ही नहीं, तीन पीढ़ियों की स्त्री-दशा कम-से-कम शब्दों में जीवन्त कर देती हैं। शैलजा अपनी दृश्य-भाषा में बाइस्कोप दिखाती हैं जैसे; पूरब के क़स्बाई जीवन की सामूहिकता से लेकर मुम्बई के महानगरीय एकाकीपन तक के त्रास का। उस ‘स्त्री’ का जिसे ‘विमर्श’ की किसी परिभाषा में अँटा देना अभी सम्भव नहीं हो सका है। शैलजा स्मृतियाँ लिखती हैं डायरी की तरह, बात कहती हैं आमने-सामने हुई मुलाक़ात की तरह। उनकी लिखत की भाषा कहन-सुनन के लहजे में है। एक ही साथ भावप्रवण, यथार्थपरक, ईमानदार, कठोर और गुलाबजल भिंगोया रुई का फाहा। यह किताब हँसाते हुए रूलाती है और रूलाते हुए सवालों से बेधती है। सवाल कि तमाम रिश्तों के बीच एक स्त्री का अपना जीवन कहाँ है? बन्धुत्व और मैत्री—स्त्री के जीवन में क्या मायने रखते हैं? सुना जाना—कितना बड़ा जीवन-मूल्य है उसके लिए? ‘पूरब की बेटियाँ’ को पढ़ते हुए हमारे मानस की पीढ़ियों की नींद में खलल पड़ती है। अपने किरदार को परखने और स्त्री-मन को महसूसने के लिए पढ़ी जाने वाली एक संवेदनात्मक स्मृति-कथा!

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