स्त्री
सरल शब्दों में कहा जाए तो औरत
जो एक अगरबत्ती की तरह है
जो अपने घर को भरपूर सुगंध देती है
मगर वक्त आने पर किसी को जला भी सकती है,
औरत
सरल शब्दों में कहा जाए तो नारी
जो एक ज्योति कि तरह है
जो अपने घर को प्रकाशमय करती है
अंधेरे से बचाती है
मगर वक्त आने पर परिवार की रक्षा के लिए
आपको जला भी सकती है,
नारी
सरल शब्दों में कहा जाए तो बहू
जो आपके घर की लक्ष्मी होती है
और घर की हर एक परिस्थिति को
बहुत अच्छे से संभालती है
और अपने परिवार के लिए खुद की खुशियों का त्याग भी कर देती है,
बहू सरल शब्दों में कहा जाए तो किसी की बेटी
जो अपने माता_पिता की उम्मीदों पर खरे
उतरने के लिए दिन रात खुद को अग्नि मेे
तपाती है (अर्थात मेहनत करती है)
और उनके स्वाभिमान की रक्षा के लिए खुद को हर रिश्ते से जोड़ती है,
बेटी
सरल शब्दों में कहा जाए तो कन्या
जो पिता घर आकर उसके घर को रौशन करती है और अपने कर्तव्य का निर्वहन करती है,
कन्या
सरल शब्दों में कहा जाए तो दुर्गा
और दुर्गा जो पापियों का विनाश करती है
और धर्म की स्थापना करती है,
ऐसे ही कितने रूप है एक औरत के
और वो कभी कमजोर नहीं होती,
यदि स्त्री प्रेम से परिपूर्ण है
तो उसे अंदर सृष्टि सम्पूर्ण है
और यदि स्त्री का कोई अपमान करता है
तो वह निश्चित अपने विनाश की और अग्रसर है ,
यदि औरत प्रेम करने वाली राधा है
तो वह पापियों का विनाश करने वाली दुर्गा भी है,
यदि वह त्याग करने वाली सीता है
तो वह अर्थ समझने बाली गीता भी है,
यदि वो सतीत्व प्रेमी मां अहिल्या है
तो वह सबका बोझ सहने बाली धरा भी है,
नम्रता द्विवेदी🖋 'नैन'