नम्रता द्विवेदी 'नैन'
ख्वाबों की दुनियाँ मे अपने लिए हकीकत बुनती लड़की हूँ मै बिल्कुल आपकी ही तरह, हर लड़की के मन मे सपने होते है उम्मीद होती है, विश्वास होता है, मेरे मन मे भी है कि एक दिन कामयाबी के पथ पर एक नाम मेरा भी होगा। अपने आदर्शों और उसूलों पर चलने वाली लड़की हूँ मै, सही को सही, गलत को गलत कहने का दम रखती हूँ, जो मंजिल तक पहुँचा दे मुझे उन्हीं रास्तों पर कदम रखती हूँ। अपनी संस्कृति और सभ्यता दोनों साथ लेकर चलती हूँ,, जो सम्मान देते है इंसानियत को उनके लिए हृदय मे प्रेम और विश्वास लेकर चलती हूँ। 🇮🇳❤🙏 नम्रता द्विवेदी 'नैन'
स्त्री और समाज
यह किताब स्त्रियों की वेदना और उनके अस्तित्व पर लिखी गयी है। एक स्त्री चाहे तो फूल को पर्वत कर सकती है और पर्वत को मोम। स्त्री प्रेम मे राधा, त्याग मे सीता और क्रोध मे दुर्गा भी बन सकती है। अतः स्त्रियों का अपमान अर्थात् प्रकृति अपमान क्योंकि स्त्री
स्त्री और समाज
यह किताब स्त्रियों की वेदना और उनके अस्तित्व पर लिखी गयी है। एक स्त्री चाहे तो फूल को पर्वत कर सकती है और पर्वत को मोम। स्त्री प्रेम मे राधा, त्याग मे सीता और क्रोध मे दुर्गा भी बन सकती है। अतः स्त्रियों का अपमान अर्थात् प्रकृति अपमान क्योंकि स्त्री