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रात हराम जादी होती है

3 मई 2018
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ये बदन पर गालियों का लेप है / अब नहाने का वक्त हुआ एक मर्द देर रात नशे में है वो खाने की थाली को लात मारता है वो औरत को देख करता है आँखें लाल वो बच्चों को बड़ी आवाज में सो जाने का आदेश देता है बच्चों के कमरे में शांत सी हलचल है बच्चों की आँख दिवार के पार देख रही बच्

युवा क्रांति

2 मई 2018
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क्रान्ति

युवा क्रांति

2 मई 2018
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युवा क्रांति

2 मई 2018
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हास्य कविता (कुछ नए अंदाज में मुश्किल है अपना मेल प्रिये)

8 फरवरी 2018
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मुश्किल है अपना मेल प्रिये यह प्यार नही है खेल प्रिये तुम एक पागल बंदरिया सी मैं हु जंगल का शेर प्रिये तुम कड़वी नीम की पत्ती सी मैं हु मीठा से बेर प्रिये मुश्किल है अपना मेल प्रिये यह प्यार नही है खेल प्रिये तुम हवा हवाई चप्पल सी मैं हु रिबॉक का सूज प्रिये मैं तला पकौडा बेसन का तू सड़ा हुवा बचा तेल

ओशो गीता दर्शन

6 फरवरी 2018
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एक बड़ी अनूठी कहानी है। सुना है, अशोक के जीवन में घटी है। कहना मुश्किल है कि कहां तक सच है। लेकिन बड़ी गहरी सचाई की खबर देती है। एक संध्या, वर्षा के दिन हैं, पाटलीपुत्र में, पटना में अशोक गंगा के किनारे खड़ा है। भयंकर बाढ़ आई है गंगा में। सीमाएं तोड़कर गंगा बह रही है। बड़ा विराट उसका रूप है; भयंकर तांड

ओशो गीता दर्शन

6 फरवरी 2018
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