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हास्य कविता (कुछ नए अंदाज में मुश्किल है अपना मेल प्रिये)

8 फरवरी 2018

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featured imageमुश्किल है अपना मेल प्रिये यह प्यार नही है खेल प्रिये तुम एक पागल बंदरिया सी मैं हु जंगल का शेर प्रिये तुम कड़वी नीम की पत्ती सी मैं हु मीठा से बेर प्रिये मुश्किल है अपना मेल प्रिये यह प्यार नही है खेल प्रिये तुम हवा हवाई चप्पल सी मैं हु रिबॉक का सूज प्रिये मैं तला पकौडा बेसन का तू सड़ा हुवा बचा तेल प्रिये मुश्किल है अपना मेल प्रिये यह प्यार नही है खेल प्रिये मुश्किल है अपना मेल प्रिये मैं युराज के 6 छक्कों सा तुम स्टुअर्ड ब्रॉड की गेंद प्रिये मैं विराट से हैण्डसम हु तू तो लगती क्रिश गेल प्रिये मैं तेंदुलकर के छक्कों चौकों सा तूम तो हो अख्तर की झेल प्रिये तुम तो लाल सलाम हो JNU की मैं हु भारत माँ की जय कार प्रिये तुम ठहरी वामपंथी JNU की मैं हु ABVP वाला प्रिये मैं योगी आदित्यनाथ सा सन्याशी हु तुम तो लगती हो हनीप्रीत प्रिये मेरे दिल से तू ना खेल प्रिये मुश्किल है अपना मेल प्रिये यह प्यार नही है खेल प्रिये

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