0.0(0)
0 फ़ॉलोअर्स
1 किताब
हर जीत पर हर गीत परमेरे देश की महिमा छायी है, लहराता ये अपना तिरंगागौरवमय घडी आई है। आजादी की वर्षगांठ पर फिर देश में रौनक आई है, संकल्प करें फिर से मन मेंहर व्यक्ति अपना भाई
सायों में रहने के आदीइतने भी ना हो जानाकी धूप से नज़रें मिला न सको। जो निकलो खुली हवा में तुमइतने तो निडर रहनाकि झोंकों से घबरा न सको। खुलकर जीने का स्वप्न देखनामगर सोते न रह जाना की उठ
जहाँ मित्रता कि नीव विश्वास से भरी हो जिसमें समय की खाद लगी हो जो धूप और छाया प्रेम और कटुता से सजी हो जैसे शीतल पवन वैसे आनंदमयी हो धरती गगन सी विलखता जिनमे ऐसी दो नदियो