0.0(0)
0 फ़ॉलोअर्स
2 किताबें
तेज उड़ते शहरी कबूतर आए थे देहात से,मतला निकालना इस जाहिल की बात से,रंगीन पंख हैं टूटे जिस पर माँस ताजा हैं,म